कोविड-19 संकट के कारण भारत में 41 लाख युवाओं का रोज़गार छिना: रिपोर्ट

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और एशियाई विकास बैंक की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी के कारण युवाओं के लिए रोज़गार की संभावनाओं को भी झटका लगा है, जिसके कारण तत्काल 15 से 24 साल के युवा 25 और उसे अधिक उम्र के लोगों के मुकाबले ज़्यादा प्रभावित होंगे.

New Delhi: A man sits in front of a closed shop at deserted Lajpat Rai market in Chandni Chowk, during ongoing COVID-19 lockdown in New Delhi, Sunday, May 31, 2020. (PTI Photo/Ravi Choudhary) (PTI31-05-2020 000041B)

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और एशियाई विकास बैंक की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी के कारण युवाओं के लिए रोज़गार की संभावनाओं को भी झटका लगा है, जिसके कारण तत्काल 15 से 24 साल के युवा 25 और उसे अधिक उम्र के लोगों के मुकाबले ज़्यादा प्रभावित होंगे.

New Delhi: A man sits in front of a closed shop at deserted Lajpat Rai market in Chandni Chowk, during ongoing COVID-19 lockdown in New Delhi, Sunday, May 31, 2020. (PTI Photo/Ravi Choudhary) (PTI31-05-2020 000041B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: देश में कोविड-19 महामारी के कारण 41 लाख युवाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. इसमें निर्माण और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी सर्वाधिक प्रभावित हुए.

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की संयुक्त रिपोर्ट में यह कहा गया है.

‘एशिया और प्रशांत क्षेत्र में कोविड-19 युवा रोजगार संकट से निपटना’ शीर्षक से आईएलओ-एडीबी की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया, ‘एक अनुमान के अनुसार भारत में 41 लाख युवाओं की नौकरियां गई हैं. सात प्रमुख क्षेत्रों में से निर्माण और कृषि क्षेत्र में सर्वाधिक लोगों के रोजगार गए हैं.’

इसमें कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाओं को भी कड़ा झटका लगा है.

रिपोर्ट के अनुसार संकट के कारण तत्काल 15 से 24 साल के युवा 25 और उसे अधिक उम्र के लोगों के मुकाबले ज्यादा प्रभावित होंगे. इतना ही नहीं आर्थिक और सामाजिक लागत के हिसाब से जोखिम दीर्घकालिक और व्यापक है.

आईएलओ-एडीबी रिपोर्ट ‘युवा और कोविड-19 पर वैश्विक सर्वे’ के क्षेत्रीय आकलन पर आधारित है. अनुमान विभिन्न देशों में उपलब्ध बेरोजगारी के आंकड़े के आधार लगाया गया है.

इसमें कहा गया है कि भारत में महामारी के दौरान कंपनी के स्तर पर दो तिहाई प्रशिक्षण (एप्रेन्टिसशिप) पर असर पड़ा. वहीं तीन चौथाई ‘इंटर्नशिप’ पूरी तरह से बाधित हुए हैं.

रिपोर्ट में सरकारों से युवाओं के लिए रोजगार सृजित करने, शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को पटरी पर लाने और 66 करोड़ युवा आबादी के भविष्य को लेकर निराशा को कम करने के लिए तत्काल, बड़े पैमाने पर लक्षित कदम उठाने का आह्वान किया गया है.

कोविड-19 संकट से पहले ही एशिया और प्रशांत क्षेत्र में युवाओं के समक्ष रोजगार को लेकर चुनौतियां थी. इसके कारण बेरोजगारी दर ऊंची थी और बड़ी संख्या में युवा स्कूल तथा काम दोनों से बाहर थे.

वर्ष 2019 में क्षेत्रीय युवा बेरोजगारी दर 13.8 प्रतिशत थी. वहीं वयस्कों (25 साल और उससे अधिक उम्र) में यह 3 प्रतिशत थी. 16 करोड़ से अधिक युवा (आबादी का 24 प्रतिशत) न तो रोजगार में थे और न ही शिक्षा या प्रशिक्षण में.

रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्र में हर पांच युवा कामगारों में चार असंगठित क्षेत्र में है और चार युवा कर्मचारियों में एक गरीबी में रहने को मजबूर है.

रिपोर्ट की प्रमुख लेखक और आईएलओ क्षेत्रीय आर्थिक एवं सामाजिक विश्लेषण इकाई प्रमुख सारा एल्डर ने कहा, ‘कोविड-19 संकट के बाद से जो चुनौतियां युवाओं के लिए थीं, वह और बढ़ गई हैं. अगर इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया, एक ‘लॉकडाउन पीढ़ी’ सृजित होने का खतरा है, जिसे इस संकट का भार कई साल तक महसूस करना पड़ सकता है.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 की आखिरी तिमाही से 2020 की पहली तिमाही में इस क्षेत्र में युवा बेरोजगारी दर में तेजी से वृद्धि हुई है.

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2019 की पहली तिमाही की तुलना में नौ में से छह अर्थव्यवस्थाओं में युवा बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई है.

इसमें ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया और वियतनाम के साथ हांगकांग और चीन भी शामिल हैं जहां सबसे अधिक तीन फीसदी तक बढ़ोतरी देखी गई.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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