अटॉर्नी जनरल ने नहीं दी अभिनेत्री स्वरा भास्कर के ख़िलाफ़ अवमानना कार्यवाही की सहमति

अभिनेत्री स्वरा भास्कर पर बाबरी-रामजन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को लेकर ‘अपमानजनक’ बयान देने के आरोप में अवमानना की कार्यवाही की मांग की गई थी. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इससे इनकार करते हुए कहा कि स्वरा के बयान तथ्यात्मक लगते हैं और ये उनकी अपनी सोच हो सकती है.

New Delhi: Actor Swara Bhaskar after an interaction with the media on the amended Citizenship Act, at Press Club of India in New Delhi, Thursday, Dec. 26, 2019. (PTI Photo/Subhav Shukla) (PTI12_26_2019_000076B)

अभिनेत्री स्वरा भास्कर पर बाबरी-रामजन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को लेकर ‘अपमानजनक’ बयान देने के आरोप में अवमानना की कार्यवाही की मांग की गई थी. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इससे इनकार करते हुए कहा कि स्वरा के बयान तथ्यात्मक लगते हैं और ये उनकी अपनी सोच हो सकती है.

New Delhi: Actor Swara Bhaskar after an interaction with the media on the amended Citizenship Act, at Press Club of India in New Delhi, Thursday, Dec. 26, 2019. (PTI Photo/Subhav Shukla) (PTI12_26_2019_000076B)
स्वरा भास्कर. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारत के अटॉनी जनरल केके वेणुगोपाल ने बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर के खिलाफ अदालत की आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति देने से इनकार कर दिया है.

आरोप है कि अयोध्या जमीन विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर अभिनेत्री ने कथित तौर पर ‘अपमानजनक और निंदनीय’ बयान दिए थे.

किसी व्यक्ति के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अदालत की अवमानना कानून, 1971 की धारा 15 के तहत अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहमति की जरूरत होती है.

अभिनेत्री के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए वकील अनुज सक्सेना ने अटॉर्नी जनरल की सहमति मांगी थी.

वेणुगोपाल ने 21 अगस्त को सक्सेना को लिखे पत्र में कहा कि अभिनेत्री के बयान दो पैराग्राफ में हैं, जो तथ्यात्मक प्रतीत होते हैं और यह बोलने वाले की अपनी धारणा या सोच हो सकती है.

अटॉर्नी जनरल द्वारा अभिनेत्री के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति देने से इनकार करने के बाद याचिकाकर्ता ने इसी तरह की याचिका सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता के पास भेजी है और उनसे सहमति मांगी है.

भास्कर के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए दायर याचिका में अभिनेत्री के कथित दो बयानों का उल्लेख किया गया है, जो इस प्रकार हैं:

‘हम एक ऐसे देश में रह रहे हैं जहां हमारे देश का सुप्रीम कोर्ट कहता है कि बाबरी मस्जिद को गिराना गैर-कानूनी कृत्य था और इसी फैसले में उन लोगों को पुरस्कृत करता है जिन्होंने मस्जिद को गिराया है.’

‘हम एक ऐसी सरकार द्वारा शासित हैं जो संविधान में यकीन नहीं रखती है, हम ऐसी पुलिस फोर्स द्वारा शासित हैं जो कि संविधान में विश्वास नहीं रखता है, अब ऐसा प्रतीत होता है कि हम ऐसी स्थिति में हैं जहां हमारे कोर्ट इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि वे संविधान में यकीन रखते हैं या नहीं. ऐसी स्थिति में हम क्या करें. आप सभी छात्रों, महिलाओं ने प्रदर्शन में हिस्सा लेकर हमें रास्ता दिखाया कि विद्रोह ही समाधान है.’

वेणुगोपाल ने कहा, ‘टिप्पणी उच्चतम न्यायालय के फैसले से जुड़ी हुई है और यह संस्थान पर हमला नहीं है. यह उच्चतम न्यायालय पर टिप्पणी नहीं है या कुछ ऐसा नहीं कहा गया जिससे निंदा होती है या निंदा करने की मंशा हो या उच्चतम न्यायालय के अधिकार को कमतर आंकने या कमतर आंकने की मंशा दिखती हो. मेरे विचार से बयान आपराधिक अवमानना नहीं है.’

उन्होंने कहा कि बयान का दूसरा हिस्सा अस्पष्ट है और किसी विशिष्ट अदालत से जुड़ा हुआ नहीं है ‘और कुछ ऐसा है कि कोई भी इस बयान का गंभीर संज्ञान नहीं लेगा.’

वेणुगोपाल ने कहा, ‘मेरा मानना है कि इस मामले में अदालत की निंदा या अदालत के अधिकारों को कमतर करने का अपराध नहीं बनता है. इसलिए, मैं स्वरा भास्कर के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति देने से इनकार करता हूं.’

वकील महक माहेश्वरी ने अनुज सक्सेना और प्रकाश शर्मा के साथ 18 अगस्त को अटॉर्नी जनरल के समक्ष याचिका दायर कर आरोप लगाए कि भास्कर ने ‘मुंबई कलेक्टिव’ की तरफ से एक फरवरी 2020 को आयोजित एक पैनल परिचर्चा में ये बयान दिए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)