सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार कंपनियों को एजीआर का बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया

वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज जैसी कंपनियों को लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपये के समायोजित सकल राजस्व यानी एजीआर का भुगतान दूरसंचार विभाग को करना है. सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों को आगाह किया है कि एजीआर के बकाये की किस्त के भुगतान में चूक की स्थिति में उन पर जुर्माना और ब्याज लगेगा.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज जैसी कंपनियों को लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपये के समायोजित सकल राजस्व यानी एजीआर का भुगतान दूरसंचार विभाग को करना है. सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों को आगाह किया है कि एजीआर के बकाये की किस्त के भुगतान में चूक की स्थिति में उन पर जुर्माना और ब्याज लगेगा.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज जैसी कंपनियों को लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपये के समायोजित सकल राजस्व (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू या एजीआर) से संबंधित बकाया दूरसंचार विभाग (डीओटी) को चुकाने के लिए दस साल का समय दिया है.

दूरसंचार कंपनियों को बकाया चुकाने के लिए यह समय कुछ शर्तों के साथ दिया गया है.

शीर्ष न्यायालय ने मंगलवार को इसके साथ ही दूरसंचार कंपनियों को एजीआर का 10 प्रतिशत बकाया 31 मार्च, 2021 तक चुकाने का निर्देश दिया.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार विभाग की इस मांग को खारिज कर दिया कि एजीआर बकाया के चरणबद्ध तरीके से भुगतान के लिए टेलीकॉम कंपनियों को 20 साल का समय दिया जाए.

इसकी जगह पर कोर्ट ने 1/04/2021 से लेकर 31/03/2031 तक में एजीआर बकाये का भुगतान करने का आदेश दिया है.

जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि दूरसंचार विभाग ने एजीआर के बकाये की, जो मांग की है और उच्चतम न्यायालय ने इस पर जो निर्णय दिया है, वह अंतिम है.

पीठ ने दूरसंचार कंपनियों के प्रबंध निदेशकों या मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) को निर्देश दिया है कि वे बकाया के भुगतान के बारे में चार सप्ताह में वचन या व्यक्तिगत गारंटी दें.

न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को आगाह करते हुए कहा है कि एजीआर के बकाये की किस्त के भुगतान में चूक की स्थिति में उन पर जुर्माना और ब्याज लगेगा. यह न्यायालय की अवमानना भी होगी.

न्यायालय ने कहा कि दिवाला प्रक्रिया से गुजर रहीं दूरसंचार कंपनियों द्वारा स्पेक्ट्रम की बिक्री के मुद्दे पर राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) फैसला करेगा.

न्यायालय ने यह निर्णय 1.6 लाख करोड़ रुपये के बकाये के एजीआर भुगतान की समयसीमा सहित अन्य मुद्दों पर सुनाया है.

मालूम हो कि कोरोना वायरस के चलते देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा से पहले मार्च महीने में दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एजीआर बकाया के भुगतान के लिए कंपनियों को 20 साल की समयसीमा देने की गुजारिश की थी.

डीओटी ने शीर्ष अदालत के 24 अक्टूबर 2019 के उस फैसले में संशोधन की मांग की थी, जिसमें टेलीकॉम कंपनियों से पिछले बकाया का भुगतान करने के लिए एक फॉर्मूला तैयार किया गया था और दूरसंचार विभाग द्वारा तैयार की गई समायोजित सकल आय (एजीआर) की परिभाषा बरकरार रखी गई थी.

हालांकि 18 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र एवं टेलीकॉम कंपनियों को फटकार लगाई और कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने फैसले में तय किए गए एजीआर की परिभाषा को बदला नहीं जा सकता है या इसका पुनर्मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है.

आगे चलकर सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज द्वारा इस मामले में दायर की गई पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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