असम: तीन अलग स्वायत्त ज़िला परिषद बनाने के लिए विधेयक पारित

मार्च में बजट सत्र के आखिरी दिन मोरान स्वायत्त ज़िला परिषद विधेयक 2020, कामतापुर स्वायत्त ज़िला परिषद विधेयक 2020 और मतक स्वायत्त ज़िला परिषद विधेयक 2020 पेश किए गए थे, जिन्हें गुरुवार को पारित कर दिया गया.

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असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल. (फोटो साभार: फेसबुक/Sarbananda Sonowal)

मार्च में बजट सत्र के आखिरी दिन मोरान स्वायत्त ज़िला परिषद विधेयक 2020, कामतापुर स्वायत्त ज़िला परिषद विधेयक 2020 और मतक स्वायत्त ज़िला परिषद विधेयक 2020 पेश किए गए थे, जिन्हें गुरुवार को पारित कर दिया गया.

असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल. (फोटो साभार: फेसबुक/Sarbananda Sonowal)
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल. (फोटो साभार: फेसबुक/Sarbananda Sonowal)

असम विधानसभा ने गुरुवार को मतक, मोरान और कोच राजबोंगशी समुदायों के लिए तीन अलग-अलग स्वायत्त जिला परिषद बनाने के लिए तीन विधेयक पारित किए.

मोरान स्वायत्त जिला परिषद विधेयक 2020, कामतापुर स्वायत्त जिला परिषद विधेयक 2020 और मतक स्वायत्त जिला परिषद विधेयक 2020 इस साल की शुरुआत में मार्च में बजट सत्र के आखिरी दिन पेश किए गए थे.

द सेंटिनल असम की खबर के मुताबिक, गुरुवार को विधानसभा में मोरान और मतक समुदाय वाले विधेयक तो सर्वसम्मति से पास हो गए, लेकिन तीसरे विधेयक को लेकर विपक्ष और सत्तारूढ़ भाजपा के एक सदस्य द्वारा कामतापुर स्वायत्त जिला परिषद का नाम बदलकर कोच राजबोंगशी करने की मांग उठाई गई.

एआईयूडीएफ विधायक मामून इमादुल हक़ का कहना था कि असम की सभी स्वायत्त जिला परिषदों के नाम समुदायों के नाम पर हैं, जैसे राभा हजोंग, तीवा, मिसिंग, मोरान, मतक आदि, लेकिन कामतापुर एक भौगोलिक क्षेत्र है जो कूच बिहार तक फैला हुआ है.

उन्होंने कहा कि इसे लेकर आज भले ही कोई समस्या नहीं है, लेकिन भविष्य में इसे लेकर क़ानूनी मुश्किलें आ सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि लोग इससे यह गलत अर्थ भी निकाल सकते हैं कि असम सरकार क्षेत्रों के नाम पर राज्य को बांट रही है.

कांग्रेस विधायक अब्दुर रशीद मंडल ने भी उनकी मांग का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि असम में 69 लाख कोच राजबोंगशी लोग रहते हैं, विधेयक के अनुसार जिसमें से कामतापुर में केवल तीन लाख रहते हैं.

उन्होंने कहा, ‘तो इस बिल में पूरे असम को लिया जाना चाहिए. मैं यह आग्रह भी करता हूं कि सीटों की संख्या प्रस्तावित 30 से बढ़ाकर 60  की जानी चाहिए.’

हालांकि नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने कहा कि भौगोलिक सीमाएं तय करने की बजाय कोच राजबोंगशियों के विकास के लिए एक सैटेलाइट काउंसिल बनाए जाने की बात कही.

भाजपा के अश्विनी रे सरकार का कहना था कि परिषद का नाम कामतापुर कोच राजबोंगशी स्वायत्त जिला परिषद कर दिया जाए और समुदाय के सभी लोगों को इसमें लाया जाए.

हालांकि, इस बीच कांग्रेस विधायक वाजिद अली चौधरी ने बताया कि कामतापुर को अलग राज्य बनाने के लिए एक बड़ा आंदोलन हो चुका है. ऐसे में क्या यह स्वायत्त परिषद बनाना उसी को मान्यता देना तो नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसा है तो उन्हें इस पर आपत्ति है. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें कोच राजबोंगशियों के परिषद के बनने से उन्हें कोई परेशानी नहीं है.

इसके बाद सरकार का पक्ष रखते हुए मंत्री चंदन ब्रह्मा ने कहा कि कामतापुर स्वायत्त जिला परिषद बनने को लेकर किसी भी समुदाय को डरने  जरूरत नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘कोच राजबोंगशी लोगों के विकास के लिए कामतापुर काउंसिल को बनाने की जरूरत थी. मूल सिद्धांत बोडोलैंड टेरीटोरियल काउंसिल और राभा-हजोंग काउंसिल क्षेत्र को छोड़कर अविभाजित गोआलपाड़ा जिले के लोगों का विकास करना है.’

गौरतलब है कि पूर्वोत्तर के कई राज्यों में छठी अनुसूची के तहत जनजातीय समुदायों को स्वायत्तता दी गई है. असम, त्रिपुरा, मेघालय और मिज़ोरम छठी अनुसूची के तहत ही स्वायत्त क्षेत्र हैं.

वर्तमान में संविधान की छठी अनुसूची में 4 राज्यों के 10 स्वायत्त जिला परिषद शामिल हैं. जिनमें से असम में तीन हैं- बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद, कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद और दीमा हसाओ स्वायत्त जिला परिषद.