शांति समझौता: नगा समूहों ने कहा- राजनीतिक समाधान का समय नज़दीक है

नगा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि इंतज़ार की घड़ियां समाप्त हुईं और केंद्र ऐसा समाधान निकालने के लिए आवश्यक क़दम उठा रहा है, जो सभी को स्वीकार्य हो.

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राज्यपाल आरएन रवि. (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

नगा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि इंतज़ार की घड़ियां समाप्त हुईं और केंद्र ऐसा समाधान निकालने के लिए आवश्यक क़दम उठा रहा है, जो सभी को स्वीकार्य हो.

नगा शांति वार्ता में वार्ताकार और नगालैंड के राज्यपाल आरएन रवि. (फोटो साभार: सोशल मीडिया)
नगा शांति वार्ता में वार्ताकार और नगालैंड के राज्यपाल आरएन रवि. (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

कोहिमा: नगा शांति समझौते के लिए केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकार आरएन रवि और नगा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों (एनएनपीजी) की बंद कमरे में एक बैठक हुई, जिसमें सभी हितधारक इस पर सहमत हुए कि मुद्दे के सम्मानजनक समाधान की घोषणा करने का समय नजदीक है.

एक वक्तव्य में यह जानकारी दी गई.

दीमापुर में शुक्रवार को हुई बैठक के बाद एनएनपीजी के मीडिया प्रकोष्ठ की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि ‘इंतजार की घड़ियां समाप्त हुईं’ और केंद्र ऐसा समाधान निकालने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है जो सभी को स्वीकार्य हो.

नगालैंड के राज्यपाल रवि टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे, लेकिन वक्तव्य में कहा गया कि उन्हें आश्वासन दिया गया है कि केंद्र सरकार ‘31 अक्टूबर 2019 को नगा समूहों द्वारा लिए गए निर्णय पर आगे बढ़ रही है.’

वक्तव्य में कहा गया कि केंद्र सरकार ने ‘इस तथ्य का संज्ञान लिया है कि नगा जनजाति और नागरिक समाज संगठनों ने राजनीतिक मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया था.’

पिछले साल अक्टूबर में नगा समूहों और वार्ताकार आरएन रवि के बीच कई दौर की बातचीत हुई थी, जिसके बाद दोनों पक्षों ने कहा था कि बातचीत समाप्त हो गई है.

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, ‘नगा मुद्दे का समाधान होना ही चाहिए और इंतजार की घड़ियां समाप्त हो गई हैं. सरकार आवश्यक कदम उठा रही है.’

वक्तव्य में कहा गया कि केंद्र और नगा लोग एक समाधान चाहते हैं और ‘सरकार अब किसी और के लिए नहीं रुकेगी.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नगा बागी संगठनों के अगुआ नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-इसाक मुईवाह (एनएससीएन-आईएम) ने बैठक के बाद शुक्रवार को अलग झंडे, संविधान और ग्रेटर नगालिम की अपनी पुरानी मांग को दोहराया.

गौरतलब है कि उत्तर पूर्व के सभी उग्रवादी संगठनों का अगुवा माने जाने वाला एनएससीएन-आईएम अनाधिकारिक तौर पर सरकार से साल 1994 से शांति प्रक्रिया को लेकर बात कर रहा है.

सरकार और संगठन के बीच औपचारिक वार्ता वर्ष 1997 से शुरू हुई. नई दिल्ली और नगालैंड में बातचीत शुरू होने से पहले दुनिया के अलग-अलग देशों में दोनों के बीच बैठकें हुई थीं.

18 साल चली 80 दौर की बातचीत के बाद अगस्त 2015 में भारत सरकार ने एनएससीएन-आईएम के साथ अंतिम समाधान की तलाश के लिए रूपरेखा समझौते (फ्रेमवर्क एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर किए.

एनएससीएन-आईएम के महासचिव थुलिंगलेंग मुईवाह और वार्ताकार आरएन रवि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में तीन अगस्त, 2015 को इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

तीन साल पहले केंद्र ने एक समझौते (डीड ऑफ कमिटमेंट) पर हस्ताक्षर कर आधिकारिक रूप से छह नगा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों (एनएनपीजी) के साथ बातचीत का दायरा बढ़ाया था.

अक्टूबर 2019 में आधिकारिक तौर पर इन समूहों के साथ हो रही शांति वार्ता खत्म हो चुकी है, लेकिन नगालैंड के दशकों पुराने सियासी संकट के लिए हुए अंतिम समझौते का आना अभी बाकी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)