गोरक्षा के नाम पर कानून हाथ में लेने वालों को संरक्षण न दें केंद्र और राज्य: उच्चतम न्यायालय

केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि देश में किसी भी स्वयंभू गोरक्षक समूह का कोई स्थान नहीं है.

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(फोटो: पीटीआई)

केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि देश में किसी भी स्वयंभू गोरक्षक समूह का कोई स्थान नहीं है.

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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने स्वयंभू गोरक्षकों की हिंसा की घटनाओं के संदर्भ में केंद्र और राज्यों से शुक्रवार को कहा कि वे किसी भी स्वयंभू गोरक्षकों को संरक्षण न दें. न्यायालय ने गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा की घटनाओं पर उनसे जवाब मांगा है.

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति एम. शांतानागौदर की तीन सदस्यीय खंडपीठ को केंद्र ने सूचित किया कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है लेकिन वह देश में गोरक्षा के नाम पर किसी भी प्रकार की गतिविधियों का समर्थन नहीं करता.

पीठ ने कहा, आपका कहना है कि कानून-व्यवस्था राज्य के अधीन है और राज्य कानून के अनुसार कदम उठा रहे हैं. आप किसी प्रकार के स्वयंभू गोरक्षक समूह का समर्थन नहीं करते.

न्यायालय ने सोशल मीडिया पर अपलोड की गई गोरक्षा के नाम पर हिंसक सामग्री को हटाने के लिए केंद्र एवं राज्यों से सहयोग मांगा.

सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा, कानून-व्यवस्था राज्य के अधीन है और केंद्र सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है, लेकिन केंद्र का मानना है कि कानून की प्रक्रिया के अनुसार देश में किसी भी स्वयंभू गोरक्षक समूह का कोई स्थान नहीं है.

भाजपा शासित गुजरात और झाारखंड की ओर से पेश वकील ने न्यायालय को सूचित किया कि स्वयंभू गोरक्षा संबंधी हिंसक गतिविधियों में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई की गई है.

पीठ ने उनका बयान दर्ज किया और केंद्र व अन्य राज्यों को हिंसक घटनाओं के संबंध में अपनी रिपोर्ट चार सप्ताह में दाख़िल करने का निर्देश दिया. पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए छह सितंबर की तारीख तय की है.

इससे पहले, न्यायालय ने पिछले साल 21 अक्तूबर को दायर याचिका पर छह राज्यों से सात अप्रैल को जवाब मांगा था. इस याचिका में कथित गोरक्षा समूहों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की गई है जो दलितों और अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा कर रहे थे.

सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन ए. पूनावाला ने अपनी याचिका में कहा है कि इन गोरक्षा समूहों द्वारा की जाने वाली कथित हिंसा इस हद तक बढ़ गई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन लोगों के बारे में कहा था कि वे समाज को नष्ट कर रहे हैं.

कथित गोरक्षा के नाम पर आतंक और हिंसा फैलाने वालों के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों एक बार फिर कड़ा संदेश देते हुए ऐसे तत्वों पर कार्रवाई करने की बात कह चुके हैं.

गोरक्षा के नाम पर कानून तोड़ने वालों को चेतावनी देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जुलाई को कहा कि राज्य सरकारों को ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए और सभी राजनीतिक दलों को गोरक्षा के नाम पर हो रही इस तरह की गुंडागर्दी की कड़ी भर्त्सना करनी चाहिए.

प्रधानमंत्री ने कहा था, देश की छवि पर भी इसका असर पड़ रहा है. राज्य सरकारों को ऐसे असामाजिक तत्वों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए.

मोदी ने कहा कि गाय को हमारे यहां माता माना जाता है. लोगों की भावनाएं गाय से जुड़ी हुई हैं. लेकिन लोगों को यह भी याद रखना चाहिए कि गाय की रक्षा के लिए कानून है और कानून तोड़ना कोई विकल्प नहीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से सहयोग के साथ)