शहरी विकास मंत्रालय और दिल्ली सरकार के संयुक्त फ़ैसले के बिना अतिक्रमण नहीं हटाएंगे: रेलवे

दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे बसी 48 हज़ार झुग्गियों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस नेता अजय माकन ने पुनर्वास की याचिका दायर की थी. इस पर केंद्र के यह कहने कि अंतिम निर्णय लेने तक झुग्गियां नहीं हटेंगी, कोर्ट ने कहा कि बस्तियों के ख़िलाफ़ चार सप्ताह तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.

/
दिल्ली के आज़ादपुर रेलवे स्टेशन के पास बनी एक बस्ती. (फोटो: पीटीआई)

दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे बसी 48 हज़ार झुग्गियों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस नेता अजय माकन ने पुनर्वास की याचिका दायर की थी. इस पर केंद्र के यह कहने कि अंतिम निर्णय लेने तक झुग्गियां नहीं हटेंगी, कोर्ट ने कहा कि बस्तियों के ख़िलाफ़ चार सप्ताह तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.

दिल्ली के आज़ादपुर रेलवे स्टेशन के पास बनी एक बस्ती. (फोटो: पीटीआई)
दिल्ली के आज़ादपुर रेलवे स्टेशन के पास बनी एक बस्ती. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: रेलवे ने सोमवार को कहा कि शहरी विकास मंत्रालय और दिल्ली सरकार के साथ मिलकर उचित फैसला लिए बिना वह कोई भी अतिक्रमण नहीं हटाएगा.

रेलवे का यह बयान सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे मौजूद 48 हजार झुग्गियों को हटाने के दिए आदेश के बाद उठे विवाद के बाद आया है.

शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त को तीन महीने में झुग्गियों को हटाने का आदेश दिया था. एक अनुमान है कि नारायणा विहार, आजादपुर, शकूर बस्ती, मायापुरी, श्रीनिवासपुरी, आनंद पर्वत, ओखला और अन्य स्थानों पर बनी झुग्गियों में 2.40 लाख लोग रहते हैं.

उत्तर रेलवे ने शीर्ष अदालत में दाखिल रिपोर्ट में कहा कि पटरियों के किनारे बनी झुग्गियों की वजह से साफ-सफाई में बाधा उत्पन्न हो रही है.

उत्तर रेलवे ने बयान में कहा, ‘रेलवे 31 अगस्त 2020 को एमसी मेहता बनाम भारत सरकार के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले का अनुपालन करने के लिए सभी कदम उठा रहा है. रेलवे अधिकारी सभी हितधारकों- दिल्ली सरकार (डीयूएसआईबी के साथ पांच सितंबर 2020 को बैठक) और शहरी विकास मंत्रालय (10 सितंबर 2020)- के साथ मामले का रास्ता निकालने और उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन के लिए नियमित बैठक कर रहे हैं.’

बयान में आगे कहा गया, ‘साथ ही रेलवे शहरी विकास मंत्रालय और राज्य सरकार के साथ उचित फैसला लिए जाने तक कोई अतिक्रमण नहीं हटाएगा. यही रुख रेल मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय में अजय माकन की याचिका पर लिया है.’

उत्तर रेलवे ने कहा कि उसने पटरियों पर से कूड़ा हटाने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य शुरू किया है और अब तक पांच से छह प्रतिशत कूड़ा हटाया जा चुका है.

उच्चतम न्यायलय के आदेश के अनुरूप कूड़ा साफ करने का काम तीन महीने में पूरा कर लिया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री अजय माकन ने उच्चतम न्यायालय में शुक्रवार को याचिका दायर कर झुग्गियों में रहने वाले लोगों के पुनर्वास का अनुरोध किया था.

उन्होंने अपनी याचिका में झुग्गियों से लोगों को हटाने और इन्हें गिराने से पहले रेल मंत्रालय, दिल्ली सरकार और डीयूएसआईबी को पुनर्वास के निर्देश दिए जाने की मांग की थी.

उन्होंने याचिका में यह भी कहा था कि रेल मंत्रालय, दिल्ली सरकार और डीयूएसआईबी कोई निर्देश दिया जाए कि कि इस मामले में दिल्ली स्लम और जेजे पुनर्वास नीति 2015 और झुग्गियों को हटाने संबंधी प्रोटोकाल का अक्षरश: पालन किया जाए.

बीते गुरुवार डीयूएसआईबी, जिसके प्रमुख मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं, ने रेलवे को लिखे एक पत्र में कहा था कि 2015 की नीति  के अनुसार पुनर्वास की जिम्मेदारी उस एजेंसी/संस्था को लेनी होती है, जिसकी जमीन पर अतिक्रमण होता है.

हालांकि डीयूएसआईबी ने यह भी कहा था कि वह पुनर्वास की जिम्मेदारी ले सकता है लेकिन रेलवे को जमीन और निर्माण की कीमत के साथ रीलोकेशन का शुल्क भी देना होगा जो 7.55 लाख रुपये से 11.30 लाख रुपये प्रति फ्लैट के बीच होगा.

केंद्र ने न्यायालय से कहा, रेल लाइन के किनारे बनी झुग्गियां अंतिम निर्णय लेने तक नहीं हटेंगी

इस बीच सोमवार को केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को यह आश्वासन दिया कि सरकार द्वारा इस मामले में अंतिम निर्णय लिए जाने तक इन झुग्गियों को नहीं हटाया जाएगा.

कांगेस नेता अजय माकन के आवेदन पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने मेहता के इस आश्वासन को दर्ज किया कि इन झुग्गी बस्तियों के खिलाफ चार सप्ताह तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे़, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमणियन की पीठ को केंद्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सूचित किया कि रेलवे, दिल्ली सरकार और शहरी विकास मंत्रालय से परामर्श के बाद ही इस मामले में अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

मेहता ने पीठ से कहा, ‘हमें रेलवे, राज्य सरकार और शहरी विकास मंत्रालय से परामर्श करके इस मामले में अभी निर्णय लेना है. ऐसा होने तक किसी को भी बेदखल नहीं किया जाएगा.

मेहता के इस आश्वासन के बाद पीठ ने माकन का आवेदन चार सप्ताह बाद सूचीबद्ध कर दिया.

माकन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ से कहा कि फिलहाल यथास्थिति बनाए रखी जानी चाहिए.

पीठ ने कहा, ‘हम यथास्थिति के बारे में कोई आदेश नहीं दे रहे हैं. सॉलिसीटर जनरल ने कहा है कि फैसला होने तक कोई कार्रवाई नहीं होगी और हमने इसे दर्ज किया है. हमने मामला चार सप्ताह के लिए स्थगित किया है.’

सिंघवी ने कहा कि ध्वस्त करने की कुछ कार्रवाई 11 सितंबर और आज भी हुई है. मेहता ने कहा, ‘वह इस आदेश के तहत नहीं हुआ है. वह दूसरे आदेश के तहत हुआ है.’

माकन द्वारा दायर इस आवेदन में अधिवक्ता अमन पंवार और नितिन सलूजा के माध्यम से दायर आवेदन में कहा गया है कि न्यायालय के 31 अगस्त के आदेश के बाद रेल मंत्रालय ने झुग्गियां गिराने के लिए नोटिस जारी किए हैं और इसके लिए 11 और 14 सितंबर को अभियान चलाया जाएगा.

आवेदन में कहा गया है कि झुग्गी बस्तियों को हटाने से पहले इनकी आबादी का सर्वे और पुनर्वास करने के बारे में भारत सरकार और दिल्ली सरकार की तमाम नीतियों का पालन नहीं किया गया है और न ही इस तथ्य को न्यायालय के संज्ञान में लाया गया.

आवेदन में कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुए कहा गया है कि इस परिस्थिति में पहले पुनर्वास की व्यवस्था के बगैर ही इन झुग्गियों को गिराना बहुत ही जोखिम भरा होगा क्योंकि इनमें रहने वाली ढाई लाख से ज्यादा की आबादी को अपने आवास और आजीविका की तलाश में दूसरी जगह भटकना होगा.

माकन ने उच्चतम न्यायालय से राहत मिलने पर खुशी जताई और इस मामले को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार पर सिर्फ बयानबाजी करने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, ‘हमें खुशी है कि पहले कदम के तौर पर हमें एक सफलता मिली है. हम इसकी भी खुशी है कि उच्चतम न्यायालय ने जल्द सुनवाई की.’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘अदालत में हमारी याचिका पर सॉलीसिटर जनरल ने माना कि चार हफ़्तों में 48,000 झुग्गियों के पुनर्वास संबंधित मसला सुलझाया जाएगा और तब तक कोई झुग्गी नहीं हटाई जाएगी.’

हालांकि उन्होंने आरोप लगाया, ‘केंद्र और दिल्ली सरकार ने सुध नहीं ली. ये लोग सिर्फ बयानबाजी करते रहे.’

‘झुग्गी वालों को विस्थापित नहीं होने देंगे, उन्हें घर देने के लिए केंद्र के साथ मिलकर काम करेंगे’

केंद्र द्वारा शीर्ष अदालत में दिए आश्वासन के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि वह दिल्ली में रेलवे लाइन के आसपास बनी झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों को विस्थापित नहीं होने देंगे और उनकी सरकार उन्हें घर मुहैया कराने के लिए केंद्र के साथ मिलकर काम करेगी.

इस मुद्दे पर दिल्ली विधानसभा के एक दिवसीय सत्र के दौरान बहस हुई और इस दौरान सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और विपक्षी दल भाजपा ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाया.

नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में नारेबाजी करते हुए 2022 तक सभी को घर उपलब्ध कराने के उनके अभियान की प्रशंसा की.

केजरीवाल ने कहा, ‘मेरा मानना है कि महामारी के इस दौर में 48,000 झुग्गियों को हटाना सही नहीं है. यदि वह स्थान कोरोना वायरस हॉटस्पॉट बन गया तो क्या होगा? कानून कहता है कि पुनर्वास से पहले उन्हें हटाया नहीं जाना चाहिए. हर झुग्गी वाले का यह कानूनी अधिकार है कि उसका एक घर हो.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50