विशेष क़ानूनों के तहत विभिन्न राज्यों में सांसदों/विधायकों के ख़िलाफ़ 200 से अधिक मामले लंबित

सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि पांच मार्च 2020 और 10 सितंबर 2020 के आदेश के अनुपालन में उच्च न्यायालयों को सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक सांसदों/विधायकों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून के तहत 175 मामले और धनशोधन निषेध क़ानून के तहत 14 मामले लंबित हैं.

New Delhi: A view of Supreme Court of India in New Delhi, Thursday, Nov. 1, 2018. (PTI Photo/Ravi Choudhary) (PTI11_1_2018_000197B)
(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि पांच मार्च 2020 और 10 सितंबर 2020 के आदेश के अनुपालन में उच्च न्यायालयों को सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक सांसदों/विधायकों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून के तहत 175 मामले और धनशोधन निषेध क़ानून के तहत 14 मामले लंबित हैं.

New Delhi: A view of Supreme Court of India in New Delhi, Thursday, Nov. 1, 2018. (PTI Photo/Ravi Choudhary) (PTI11_1_2018_000197B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय को मंगलवार को सूचित किया गया कि विभिन्न कानूनों के तहत अलग-अलग राज्यों में सांसदों/विधायकों के खिलाफ 200 से अधिक मामले लंबित हैं. भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम, धन शोधन रोकथाम अधिनियम और बच्चों का यौन अपराधों से संरक्षण (पॉस्को) अधिनियम, 2012 आदि के तहत उनके खिलाफ मामले दर्ज हैं.

शीर्ष अदालत को यह भी सूचित किया गया कि करीब एक दर्जन संसद सदस्य या विधानसभाओं के सदस्य (पूर्व और मौजूदा) हैं, जिनके खिलाफ आयकर कानून, कंपनी कानून, शस्त्र कानून, आबकारी कानून और एनडीपीएस कानून के तहत मामले लंबित हैं.

न्याय मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने कहा, ‘पांच मार्च 2020 और 10 सितंबर 2020 के आदेश के अनुपालन में उच्च न्यायालयों को सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक 175 मामले भ्रष्टाचार निरोधक कानून-1988 के तहत और 14 मामले धनशोधन निषेध कानून-2002 के तहत लंबित हैं.’

रिपोर्ट को हंसारिया ने वकील स्नेहा कलिता के सहयोग से संकलित किया है. इसमें कहा गया है कि लंबित मामलों के विश्लेषण से पता चलता है कि पूरे देश में सांसदों/विधायकों के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें गठित करने में एकरूपता नहीं है.

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, वकील स्नेहा कलिता की मदद से हंसारिया द्वारा संकलित रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबित मामलों के विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि पूरे देश में सांसदों/विधायकों के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना में एकरूपता नहीं है.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई के लिए आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में एक विशेष अदालत है. तेलंगाना में विशेष अदालत के साथ-साथ सीबीआई की विशेष अदालत में भी सांसदों और विधायकों के मामले लंबित हैं. अन्य सभी राज्यों में ये मामले संबंधित न्यायाधिकार क्षेत्र की अदालतों में लंबित हैं.’

शीर्ष अदालत को पहले बताया गया था कि कई राजनेता देश भर में 4,442 मामलों में आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे हैं. इनमें से मौजूदा सांसद और विधायक 2,556 ऐसे मामलों में विचाराधीन हैं, जिनके खिलाफ सभी लंबित मामलों के बारे में सभी उच्च न्यायालयों से और ज़्यादा जानकारी मांगी गई है.

गौरतलब है कि 10 सितंबर को उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालयों कहा था कि वे नेताओं के खिलाफ विशेष कानूनों जैसे भ्रष्टाचार निरोधक कानून, धनशोधन निरोधक कानून और काला धन कानून के तहत लंबित मामलों की जानकारी से 12 सितंबर तक ई-मेल के जरिये दें.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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