अविवाहित हिंदू बेटी को शादी होने तक पिता से भरण-पोषण पाने का अधिकार है: सुप्रीम कोर्ट

मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए बेटी को यह साबित करना होगा कि कि वह ख़ुद का ख़र्च चलाने में असमर्थ है.

(फोटो: रॉयटर्स)

मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए बेटी को यह साबित करना होगा कि कि वह ख़ुद का ख़र्च चलाने में असमर्थ है.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने बीते मंगलवार को कहा कि एक अविवाहित हिंदू बेटी को शादी होने तक अपने पिता से भरण-पोषण या गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार है. बशर्ते बेटी को यह साबित करना होगा कि वह खुद का खर्च चलाने या देखभाल करने में असमर्थ है.

पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए बेटी को सीआरपीसी की धारा 125 के बजाय हिंदू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 20(3) के तहत आवेदन देना होगा.

दोनों कानूनों में फर्क को रेखांकित करते हुए कोर्ट ने कहा कि धारा 125 के तहत सिर्फ नाबालिग बेटे-बेटी को पिता से भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार है, जबकि हिंदू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम अविवाहित बेटी (चाहे वो किसी भी उम्र की हो) को अपने पिता से गुजारा भत्ता प्राप्त करने का हक देता है.

इस मामले (अभिलाषा बनाम प्रकाश एवं अन्य) में याचिकाकर्ताओं ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकार रखते हुए मां और उनके दो बेटों को पिता द्वारा गुजारा भत्ता देने की मांग को खारिज कर दिया था. हालांकि बेटी के बालिग होने तक पिता द्वारा भरण-पोषण देने का आदेश दिया गया था.

हरियाणा में रेवाड़ी के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने फरवरी 2014 में अपने आदेश में कहा कि बेटी 26 अप्रैल 2005 को बालिग हो गई है, इसलिए उन्हें सिर्फ इस तारीख तक गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार है.

सीआरपीसी की धारा 125(1)(सी) का वर्णन करते हुए जज ने कहा कि यदि अविवाहित बेटी किसी शारीरिक या मानसिक बीमारी से पीड़ित नहीं है तो उन्हें बालिग होने के बाद पिता से भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार नहीं है.

बाद में फरवरी 2018 में हाईकोर्ट ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के इस फैसले को बरकरार रखा और याचिकाकर्ताओं की अपील को खारिज कर दिया.

इसके बाद बेटी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और यहां पर दलील दी गई कि हिंदू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम, 1956 (एचएएमए) की धारा 20 के तहत पिता की जिम्मेदारी है कि बेटी की शादी होने तक वे उसके भरण-पोषण का पूरा खर्च उठाएं.

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वे अभी भी बेरोजगार हैं, इसलिए उन्हें अपने पिता से भत्ता प्राप्त करने की जरूरत है.

सीआरपीसी की धारा 125 का विवरण देते हुए कोर्ट ने कहा कि इस कानून के तहत बालिग बेटी को सिर्फ उसी स्थिति में पिता से गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार है जब वो किसी शारिरिक या मानसिक या चोट से पीड़ित हो और खुद का खर्च उठाने में असमर्थ हो.

पीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 488 में सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति के इरादे से महिला और बच्चों की नजरअंदाज करने से रोकने की मांग की गई है.

पीठ ने आगे कहा, ‘कानून समुदाय की सामूहिक चेतना के अलावा और कुछ नहीं हैं. यह समुदाय और सामाजिक व्यवस्था के हित में है कि उपेक्षित महिला और बच्चे का ख्याल रखा जाना चाहिए और उन्हें तत्काल राहत प्राप्त करने के लिए एक मंच प्रदान किया जाना चाहिए.’

साल 1969 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को आधार बनाते हुए पीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 488 और हिंदू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम, 1956 के बीच कोई विसंगती नहीं है और दोनों एक ही बात कहते हैं. सीआरपीसी की धारा 488 एक उपाय प्रदान करती है और यह सभी धर्मों से संबंधित सभी व्यक्तियों के लिए लागू होती है.

इन तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने आदेश दिया कि अविवाहित बेटी को हिंदू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 20 के तहत गुजरा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार है.

हालांकि पीठ ने कहा कि एक मजिस्ट्रेट सीआरपीसी की धारा 125 के तहत शक्तियों के प्रयोग करते हुए अधिनियम की धारा 20 के तहत एक आदेश पारित नहीं कर सकता है.

कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत रखरखाव की अवधारणा की तुलना में हिंदू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम के तहत विचार किए गए भरण-पोषण एक बड़ी अवधारणा है. पीठ ने कहा कि इस अधिनियम की धारा 3 (बी) में विवाह खर्च सहित भरण-पोषण की समावेशी परिभाषा दी गई है.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq