हाथरस गैंगरेप: फोरेंसिक लैबोरेटरी को अपराध के 11 दिन बाद मिला था पीड़िता का सैंपल

फोरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि सीमन या स्पर्म सैंपल, स्वाब और कपड़ों में से किसी पर भी नहीं पाए गए. इसी रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने दावा किया था कि पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं हुआ.

हाथरस गैंगरेप पीड़िता का अंतिम संस्कार करते पुलिसकर्मी. (फोटो: पीटीआई)

फोरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि सीमन या स्पर्म सैंपल, स्वाब और कपड़ों में से किसी पर भी नहीं पाए गए. इसी रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने दावा किया था कि पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं हुआ.

हाथरस गैंगरेप पीड़िता का अंतिम संस्कार करते पुलिसकर्मी. (फोटो: पीटीआई)
हाथरस गैंगरेप पीड़िता का अंतिम संस्कार करते पुलिसकर्मी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: आगरा की फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) को हाथरस की 19 वर्षीय पीड़िता के कपड़े, नाखून की कतरन, बाल, वेजाइनल एवं एनल स्वाब सहित 13 सैंपल उसके गैंगरेप के 11 दिन बाद 25 सितंबर को मिले थे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एफएसएल की रिपोर्ट से पता चला है कि टीम के सामने 13 सैंपल पेश किए गए जिसमें नाखून की कतरन, बाल, वेजाइनल स्वाब स्टिक, अंतःस्रावी स्वाब स्टिक, पेरिनल स्वाब स्टिक, एनल स्वाब स्टिक, ब्लड सैंपल, कंट्रोल स्वाब स्टिक, दो सलवार, एक फटा कुर्ता, दुपट्टा और अंडरवियर शामिल थे.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सीमन या स्पर्म सैंपल, स्वाब और कपड़ों में से किसी पर भी नहीं पाए गए.

बता दें कि इसी रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा था कि फॉरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट से यह साफ जाहिर होता है कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ.

उन्होंने कहा था कि दिल्ली के एक अस्पताल के मुताबिक, दलित युवती की मौत गले में चोट लगने और उसके कारण हुए सदमे की वजह से हुई थी.

हालांकि, 29 सितंबर को दिल्ली के एक अस्पताल में दम तोड़ने से पहले पीड़िता ने 22 सितंबर को बयान दिया था कि चार युवकों ने उसके साथ बलात्कार किया था.

वहीं, लाइव लॉ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि बलात्कार को साबित करने के लिए महिला के शरीर में स्पर्म का मिलना आवश्यक नहीं है.

आईपीसी की धारा 375 के तहत महिला के प्राइवेट पार्ट में पुरुष के प्राइवेट पार्ट का प्रवेश बलात्कार साबित करने के लिए काफी है. इसके साथ ही अलग-अलग समय पर सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्टों ने इस संबंध में फैसले भी दिए हैं.

बता दें कि आरोप है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 14 सितंबर को सवर्ण जाति के चार युवकों ने 19 साल की दलित युवती के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट करने के साथ बलात्कार किया था.

उनकी रीढ़ की हड्डी और गर्दन में गंभीर चोटें आई थीं. आरोपियों ने उनकी जीभ भी काट दी थी. उनका इलाज अलीगढ़ के एक अस्पताल में चल रहा था.

करीब 10 दिन के इलाज के बाद उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 29 सितंबर को युवती ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था.

इसके बाद परिजनों ने पुलिस पर उनकी सहमति के बिना आननफानन में युवती का 29 सितंबर की देर रात अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया था. हालांकि, पुलिस ने इससे इनकार किया है.

युवती के भाई की शिकायत के आधार पर चार आरोपियों- संदीप (20), उसके चाचा रवि (35) और दोस्त लवकुश (23) तथा रामू (26) को गिरफ्तार किया गया है. उनके खिलाफ गैंगरेप और हत्या के प्रयास के अलावा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारक अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

इस बीच हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार द्वारा पीड़ित के पिता को कथित तौर पर धमकी देने का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसके बाद मामले को लेकर पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली की आलोचना हो रही है.

युवती की मौत के बाद विशेष रूप से जल्दबाजी में किए गए अंतिम संस्कार के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने उत्तर प्रदेश पुलिस से जल्दबाजी में अंतिम संस्कार किए जाने पर जवाब मांगा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)