विमानों में ​हिंदी के अख़बार और पत्रिकाओं की संख्या बढ़ाने के निर्देश

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने उड़ानों में हिंदी के अख़बारों की संख्या अंग्रेज़ी के बराबर करने के निर्देश एयरलाइन कंपनियों को दिए हैं.

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नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने उड़ानों में हिंदी के अख़बारों की संख्या अंग्रेज़ी के बराबर करने के निर्देश एयरलाइन कंपनियों को दिए हैं.

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(फोटो: रॉयटर्स)

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) की ओर से जारी निर्देश पत्र में कहा गया है कि विमानों में हिंदी के अख़बारों की संख्या बढ़ाई जाए ताकि बराबर संख्या में अंग्रेजी और हिंदी में अख़बार और मैगज़ीन यात्रियों को उपलब्ध हो सके.

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक डीजीसीए के संयुक्त महानिदेशक ललित गुप्ता ने कहा है, ऐसा देखा गया है कि भारतीय विमानों में हिंदी के अख़बार और मैगज़ीन मिलते या मिलते हैं तो इसकी संख्या बेहद कम होती है. यह भारत की आधिकारिक भाषा नीति के ख़िलाफ़ है.

इकोनॉमिक टाइम्स ने बताया है कि यह निर्देश पत्र हिंदी में जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि विमानों में हिंदी और अंग्रेजी के समाचार पत्र बराबर संख्या में होने चाहिए.

रिपोर्ट के मुताबिक इस निर्देश पर एक एयरलाइन कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘इस निर्देश का कोई आधार नहीं है. डीजीसीए एक सुरक्षा नियामक है. इस नियम का सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है. देश के बहुत सारे हिस्सों में हिंदी न पढ़ी जाती है और न ही बोली.’

हाल ही में एयर इंडिया ने घरेलू उड़ानों की इकोनॉमी क्लास में मांसाहारी खाना बंद करने का फैसला किया है.

दुबई के एक विमानन सलाहकार फर्म मार्टिन कंसल्टिंग के ओनर मार्क मार्टिन ने बताया कि यह एक हास्यास्पद और निरर्थक कदम है. ऐसे तो विमानों में भारत की सभी 300 भाषाओं के अख़बार होने चाहिए, ऐसा होगा तो यात्रियों के लिए जगह ही नहीं बचेगी.

इस निर्देश पर कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर चुटकी ली है. उन्होंने लिखा, डीजीसीए अब विमान में शाकाहारी भोजन के साथ हिंदी अखबार परोसा जाएगा!

इकोनॉमिक टाइम्स से बातचीत में शिवसेना की नीलम गोर्हे ने कहा, ‘अंग्रेज़ी के सिवा किसी भी भाषा का मैं खुले मन से स्वागत करती हूं, पर अगर थोड़ा आगे बढ़कर देखें तो हमें बाकी भाषाओं में भी अख़बारों का स्वागत करना चाहिए जैसे कि मराठी. ये निर्णय यात्रियों की पसंद और प्राथमिकता के अनुसार उन्हीं पर छोड़ देना चाहिए.

कन्नड़ विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष एसजी सिद्धरमैया ने कहा, ‘यह निर्देश हिंदी भाषा को थोपने जैसा ही है, हमें डीजीसीए पूछना चाहिए कि हम विमानों में बाकी भाषाओं के प्रतिनिधित्व के लिए क्या करेंगे?’

उधर, डीजीसीए के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि यह निर्देश सलाह के तौर पर दिया गया था और कम किराये वाली एयरलाइन कंपनियां इससे प्रभावित नहीं होंगी क्यों वहां अख़बार और मैगज़ीन की सुविधा नहीं मिलती.

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