उमर ख़ालिद ‘आतंकवादी’ है कि नहीं?

जो लोग ये कहते हैं कि अगर निर्दोष होगा तो अपने आप बाहर आ जाएगा, उनको मैं कह दूं, क्यों न आपको साल भर के लिए जेल में बंद कर दिया जाए? क्यों न देश के हर नागरिक को 18 साल का होते ही साल भर के लिए जेल में बंद कर दिया जाए. हम सब निर्दोष हैं, बाहर आ ही जाएंगे

/
उमर खालिद. (फोटो साभार: फेसबुक/@umar.khalid.984)

जो लोग ये कहते हैं कि अगर निर्दोष होगा तो अपने आप बाहर आ जाएगा, उनको मैं कह दूं, क्यों न आपको साल भर के लिए जेल में बंद कर दिया जाए? क्यों न देश के हर नागरिक को 18 साल का होते ही साल भर के लिए जेल में बंद कर दिया जाए. हम सब निर्दोष हैं, बाहर आ ही जाएंगे.

उमर खालिद. (फोटो साभार: फेसबुक)
उमर खालिद. (फोटो साभार: फेसबुक)

उमर खालिद अरेस्ट हो गया!

ट्विटर पर पढ़ा, आतंकवादी है. कुछ ने कहा आतंकवादी नहीं है तो छूट जाएगा. बहुमत को लगता है, जहां आग होती है धुआं वहीं से उठता है.

कुछ साल पहले तक शायद ये बात सही भी थी. अब इस सोशल मीडिया के ज़माने में आग भी कंप्यूटर ग्राफिक्स से बनाई जा सकती है और धुआं भी.

खैर, सवाल ये है कि उमर खालिद आतंकवादी है कि नहीं? और इसका मेरे पास कोई जवाब नहीं है. मैं आज तक न किसी आतंकवादी से मिला हूं और न किसी आतंकवादी को जानता हूं.

हां, उमर से मैं कई बार मिला हूं और सैकड़ों बार बात कर चुका हूं पर मुझे पता नहीं आतंकवादी क्या बात करते हैं.

हो सकता है उमर ने कुछ आतंकवादी टाइप की बातें मुझसे की हो, और क्योंकि आप सब लोग कई आतंकवादियों से मिल चुके हो, तो मैं आपको उसके साथ हुई कुछ बातें बताऊंगा, हो सकता आप लोग उसके अंदर का आतंकवादी पकड़ लें.

अभी अरेस्ट होने के तीन दिन पहले तक भी वो जयपुर में था और कोरोना के चलते मैं भी मुंबई से पिछले 3-4 महीने से भागकर जयपुर में छिपा हूं.

हम तीन चार दिन रोज़ मिले, घंटों बातें भी हुई. मेरी पत्नी भी उससे इस बार काफी देर तक मिली. उसने भी मज़ाक में मुझसे कहा, ‘कितना शांत और तमीजदार लड़का है, पढ़ा-लिखा भी है. ऐसे लड़कों को तो लड़कियों के बाप अपनी बेटियों की शादी के लिए ढूंढते हैं.’

मैंने पलटकर जवाब दिया, ‘बस दो मसले हैं, एक तो पढ़ा-लिखा है तो कुछ कमाता कुछ नहीं और दूसरा मुसलमान है तो आतंकवादी है.’

वो हंसी, मैं नहीं हंसा क्योंकि बोलते-बोलते मुझे ये अंदाजा हो गया था कि ये बातें अब हिंदुस्तान में मज़ाक नहीं हैं, सच हैं.

आजकल हमारे देश में पढ़े-लिखे कुछ कमाते नहीं हैं और मुसलमान तो आतंकवादी होते ही हैं. हार्वर्ड को हार्ड वर्क ने ऐसा दबोचा है कि लोगों ने किताबें छोड़कर पिस्तौलें उठा ली हैं क्योंकि ‘वो गोली मारनी है न *** को!’

मेरा और उमर का काफी बेअदब-सा रिश्ता है. वो 90% वक़्त अपनी कमर पर हाथ ऐसे रखकर खड़ा होता है जैसे अपने ही हाथ से अपनी कमर को दबा-दबाकर सीधी करने की कोशिश कर रहा हो.

जब आपकी बात सुन रहा होता है, तो लगातार हम्म-हम्म करता रहता है, (गज़ब थकाऊ) कई बार उसे टोक चुका हूं, एक हम्म से दूसरे हम्म में गैप दिया करो. पर वो आदतन अपराधी है, बेसख्ता उसके मुंह से हम्म-हम्म निकलता रहता है.

आंखों के नीचे काले गड्ढे हैं, वजन बस इतना है कि अभी थलचर है, दो किलो और कम हुआ तो पंछी बनकर आसमान में उड़ जाएगा.

अगर सोच इतनी अच्छी नहीं होती तो ख़ासा ज़हर आदमी है. तो चलिए अब जल्दी से सुनिए वो बातें जो मेरे और उमर के बीच हुई हैं. फिर हम मिलकर उमर के अंदर का आतंकवादी पकड़ते हैं.

तो सबसे पहले जिक्र करते हैं उस बात का जो सबसे ज़्यादा हुई, वो थी उमर खालिद की गिरफ़्तारी की बात. सवाल ये नहीं था कि वो गिरफ्तार होगा कि नहीं, सवाल ये था कि ऐसा कब होगा और उसे बाहर आने में कितना वक़्त लगेगा.

अक्सर ऐसा होता था कि कोई न कोई ये कह देता था, पर गिरफ्तार होगा क्यों, किया क्या है? और ये सुनकर हम हंसने लगते थे.

आज भी लोगों को ऐसा लगता है जैसे देश में कानून काम कर रहा है. कुछ और वक़्त की बात है, ये ग़लतफ़हमी भी दूर हो जाएगी.

डॉ. कफील खान को योगी सरकार ने 8 महीने जेल में रखा, डॉ. कफील खान को सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ भड़काऊ बयान देने के आरोप में 29 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था.

डॉ. कफील खान ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 12 दिसंबर 2019 को एक भाषण दिया था. पता है उन पर क्या क्या धाराएं लगाई गईं?

पहले धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में 153 ए में केस दर्ज किया गया था. और बाद में 153 बी (राष्ट्रीय एकता के खिलाफ बयानबाजी), 109 (उकसाने) और 502 (2) (शांति व्यवस्था बिगड़ने) जैसी धाराओं में केस दर्ज किया गया.

गिरफ्तारी के बाद 13 फरवरी को डॉ. कफील खान पर रासुका लगाया गया.

अब ये रासुका क्या है? राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी एनएसए के तहत ऐसे किसी भी व्यक्ति को 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है, जिससे कानून व्यवस्था को खतरा हो.

हालांकि तीन महीने से ज्यादा तक किसी को जेल में रखने के लिए सलाहकार बोर्ड की सहमति लेनी पड़ती है. मतलब किसी भी आदमी को साल भर के लिए यूं ही जेल में सड़ाया जा सकता है. तब तक आप के घरवाले, बाल-बच्चे सब बस सांस रोके साल तक बैठे रहेंगे।

जो लोग ये कहते हैं, अगर निर्दोष होगा तो अपने आप बाहर आ जाएगा, उनको मैं कह दूं, क्यों न आप को साल भर के लिए जेल में बंद कर दिया जाए? क्यों न देश के हर एक नागरिक को 18 का होते ही साल भर के लिए जेल में बंद कर दिया जाए. हम सब निर्दोष हैं, बाहर आ ही जाएंगे.

खैर आठ महीने बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में जिला प्रशासन को भी फटकार लगाई. हाईकोर्ट ने कहा पूरे भाषण को सुने बिना ही रासुका लगा दिया गया जबकि डॉ. कफील का बयान राष्ट्रीय एकता को दर्शाता है.

मैं दोहराता हूं, ‘डॉ. कफील का बयान राष्ट्रीय एकता को दर्शाता है.’

उमर खालिद की गिरफ़्तारी के बाद दिल्ली में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनकी मां साहिबा. (फोटो: पीटीआई)
उमर खालिद की गिरफ़्तारी के बाद दिल्ली में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनकी मां साहिबा. (फोटो: पीटीआई)

ये ही उमर के साथ भी होगा, मैं लिखकर दे रहा हूं. 3 महीने बाद, 6 महीने बाद, 9 महीने बाद या साल भर बाद, कोर्ट कहेगा, उमर का बयान, उसके काम, उसके आदर्श सब कुछ राष्ट्रीय एकता को दर्शाते हैं.

पर तब तक किसी की जिंदगी का साल भर जेल में बर्बाद हो चुका होगा. जैसे डॉ. कफील के 8 महीने गारत हो गए.

हमने इमरजेंसी के बारे में सुना था, जिसमे देश के सारे प्रतिपक्ष के नेताओं को जेल में डाल दिया गया था. पर तब कम से कम उसे इमरजेंसी का नाम तो दिया गया था.

ये एक नई तरह की इमरजेंसी है, जो थोड़ा स्लो मोशन में चल रही है. हर आवाज़ जेल में जाएगी, एक साथ नहीं, एक-एक करके. ये किसी को नहीं छोड़ेंगे.

जिसको ये ग़लतफ़हमी है कि देश में अब भी लोकतंत्र ज़िंदा है, जल्द ही उसकी है ग़लतफ़हमी दूर कर दी जाएगी.

ऐसा नहीं है कि हक़ की लड़ाई के लिए जेल जाना कोई बुरी बात है, सच तो ये है कि हर इंकलाबी के लिए जेल जाना अशोक चक्र की तरह है. ये वो पदक है जो हर इंक़लाबी गर्व से अपने सीने पर पहनता है.

पर उन लोगों की भी बात करना ज़रूरी है, जो निर्दोष लोगों को सिर्फ इसलिए जेल में डाल रहे हैं क्योंकि उन्हें आवाजें पसंद नहीं हैं. जिन्हें ये पसंद नहीं है कि कोई सिर उठे, किसी की भौंहें तने, किसी की गर्दन उनके सामने न झुके. उन लोगों को आप क्या कहेंगे?

अरे! मैं भूल गया, मुझे तो आपको वो सब बातें बतानी है जो उमर करता है. हमें उन बातों में आतंकवादी ढूंढना है.

वो अक्सर मुझसे कहता है, ‘मैं मुसलमानों के लिए लड़ता हूं क्योंकि अभी उन पर ज़ुल्म हो रहा है. अगर मुसलमान ज़ुल्म कर रहे होते, तो मैं उनके खिलाफ लड़ रहा होता. मैं उन सबके लिए लड़ूंगा जो आज कमज़ोर हैं, चाहे वो दलित हों, चाहे गरीब, मजदूर या कारीगर.’

‘तुम्हें शायद लड़ने की आदत है,’ जब मैं उससे कहता हूं, तब वो जवाब देता है, ‘जब तक उन्हें ज़ुल्म करने की आदत है, मुझे लड़ने की आदत है. वो ज़ुल्म करना छोड़ दें, मैं लड़ना छोड़ दूंगा.’ और फिर मैं चुप हो जाता हूं.

मैंने कहा न आदमी ज़हर है, पर सोचता बहुत अच्छा है. एक दिन ‘मैल की बत्ती’ पर बात हुई. पहले समझा दूं कि ‘मैल की बत्ती’ क्या बला है.

जब आप अपने सीने पर अपनी उंगली रगड़ते हैं, तो उन उंगलियों के नीचे काली-काली मैल की लकीरें बन आती हैं, उन्हें ही मैल की बत्ती कहते हैं.

इसके लिए दो-तीन चीज़ों का होना ज़रूरी है, पहले तो खाल पर पसीने की एक पतली परत का होना, फिर नहाने के और इस क्रिया के होने में कम से कम एक घंटे का वक्फा होना. तो अब जब आपको मैल की बत्तियां समझ आ गई हैं, आप सोच रहे होंगे हमारी इस बारे में क्या चर्चा हुई होगी.

उमर का मानना है, ‘मैल की बत्ती’ और भारत का गहरा संबंध है. भारत को सिर्फ वो समझता है जिसने मैल की बत्तियां जी हैं. मैल की बत्तियां एक स्टेट ऑफ माइंड हैं. इस देश के हर मेहनती इंसान को पता है कि वो हर वक़्त मैल की बत्तियों से ढका है, वो कभी भी वैसा साफ नहीं होगा या होगी, जैसे लोग टीवी पर दिखते हैं. लेकिन ये मैल की बत्तियां उसका कवच हैं और ये ही उसका सच हैं.

मैल की बत्तियों से करोड़ों लोग अपना परिवार पाल रहे हैं, रसोइयों में खाने पका रहे हैं, सड़कों पे आवाज़ उठा रहे हैं. ये मैल की बत्तियां इस देश की आत्मा है. ये पसीने में लिपटी मैल की बत्तियां हमारी उर्जा है.

और आखिर में वो सवाल पूछता है, ‘यार, ये जो 24 घंटे एसी में रहते हैं, क्या इनके मैल की बत्तियां आती हैं.’ मुझे इसका जवाब नहीं पता, शायद आपको पता हो.

हमारे बीच अक्सर ऐसी ही कई बातें होती हैं, उसका मानना है, ‘किसी को किसी की जान लेने का हक़ नहीं है, लेकिन सबकी जान बचाना, सबका फ़र्ज़ है.’

उसका एक सवाल है कि ‘कितना अमीर होना बहुत है? क्या अमीरी की कोई हद है? जब देश में 20 करोड़ लोग भूखे सोते हों, तो क्या अमीरी की कोई हद नहीं होनी चाहिए?’

वो इस बात से परेशान है कि ‘क्योंकि वो पढ़-लिख गया, वो आज नेता है, लेकिन वो लड़के-लड़कियां जो उसके साथ उसके बचपन में उसके मोहल्ले में खेल रहे थे, जिनमे से कुछ तो उससे कहीं ज़्यादा समझदार थे, आज वो लोग उन हजारों मोहल्लों में क्यों गल रहे हैं?’

वो बहुत बोलता है, जब एक बार शुरू होता है तो बोलता ही रहता है लेकिन उसकी आंखों में ग़म और उसकी आवाज़ से रंज टपकता रहता है. वो जब हंस रहा होता है, तो अपनी हंसी से परेशान होता है और जब खुश होता है तो अपनी खुशी से नाराज़.

जेल जाने से पहले उसे पता था कि वो जेल जाएगा. उसने ये भी तय किया हुआ था कि इस बार वो सिगरेट छोड़ने की पूरी कोशिश करेगा. उसने वहां जेल में पढ़ने के लिए एक किताबों की लिस्ट भी बना रखी थी. वो खबरदार था, वो तैयार भी था.

लेकिन ये कैसा निजाम है मेरे देशवासियों, हम सबको पता है कि नाइंसाफी होगी और हमें सहनी भी पड़ेगी? न कोई दवा है, न इलाज. इस ज़ुल्म को सहना अब जैसे आदत बन गई है.

खैर, मुझे उम्मीद है कि इन बातों में आपने उमर का आतंकवादी अभी तक ढूंढ लिया होगा और अगर न मिला तो उसके नाम में तो मिल ही गया होगा. आखिर उसका नाम उमर खालिद है.

सत्यमेव जयते, भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है. जिसका अर्थ है: सत्य ही जीतता है/सत्य की ही जीत होती है. शायद भारत का मकसद ही सत्य की खोज है. लेकिन आज हम सत्य नहीं ढूंढ रहे हैं, आज हम नामों में आतंकवादी ढूंढ रहे हैं.

सत्यमेव जयते चाहे आज हमारा राष्ट्रीय आदर्श वाक्य हो, पर जिस दिशा में आज भारत जा रहा है, देर नहीं है हमारा आदर्श वाक्य होगा ‘नफरतेव जयते’ क्योंकि शायद अब यहां नफरत ही जीतेगी…

(दाराब फ़ारूक़ी पटकथा लेखक हैं और फिल्म डेढ़ इश्किया की कहानी लिख चुके हैं.)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq