सरकार ने हिंदूराव को कोविड-19 अस्पतालों की सूची से हटाया, ओपीडी सेवा शुरू

उत्तर दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टर पिछले जून महीने से वेतन न मिलने की वजह से हड़ताल पर हैं. बीते 14 जून को बढ़ते मामलों को देखते हुए कोविड-19 निर्दिष्ट अस्पताल घोषित किया गया था.

हिंदू राव अस्पताल. (फोटो साभार: फेसबुक)

उत्तर दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टर पिछले जून महीने से वेतन न मिलने की वजह से हड़ताल पर हैं. बीते 14 जून को बढ़ते मामलों को देखते हुए कोविड-19 निर्दिष्ट अस्पताल घोषित किया गया था.

हिंदू राव अस्पताल. (फोटो साभार: फेसबुक)
हिंदू राव अस्पताल. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने उत्तर दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित हिंदूराव अस्पताल को कोविड-19 के लिए निर्दिष्ट अस्पतालों की सूची से मंगलवार को हटा दिया. इस अस्पताल के डॉक्टर पिछले जून महीने से वेतन न मिलने की वजह से हड़ताल पर हैं.

उत्तरी दिल्ली नगर निगम एनडीएमसी के महापौर जयप्रकाश ने कहा, ‘आम ओपीडी सेवा अस्पताल में शुरू हो गई है और करीब 160 मरीज आए थे.’

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एक आदेश के मुताबिक, हिंदूराव अस्पताल 14 जून को बढ़ते मामलों को देखते हुए कोविड-19 निर्दिष्ट अस्पताल घोषित किया गया था.

आदेश में कहा गया है, उत्तर दिल्ली नगर निगम के आयुक्त की ओर से हिंदूराव अस्पताल को गैर कोविड अस्पताल में बदलने का आग्रह मिला है.

इसमें कहा गया कि मामले का परीक्षण किया गया और अस्पताल में औसत से कम मरीजों के भर्ती होने और एनडीएमसी की ओर से आग्रह मिलने के मद्देनजर अस्पताल को कोविड-19 निर्दिष्ट अस्पतालों की सूची से तत्काल प्रभाव से हटाया जा रहा है.

दिल्ली सरकार ने शनिवार को आदेश दिया था कि नगर निगम द्वारा संचालित अस्पताल से मरीजों को उसके तहत आने वाले अस्पतालों में स्थानांतरित किया जाए.

गौरतलब है कि हिंदूराव अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर बीते जून महीने से वेतन नहीं मिलने की वजह से बीते नौ अक्टूबर को उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर 48 घंटे में उनका वेतन जारी नहीं किया गया तो कोरोना वार्ड में ड्यूटी नहीं करेंगे.

उल्लेखनीय है कि हिंदू राव दिल्ली नगर निगम का सबसे बड़ा अस्पताल है, जिसकी बिस्तरों की क्षमता 900 है और इस समय यह कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए समर्पित बनाया गया था. हिंदू राव अस्पताल भाजपा नीत उत्तरी दिल्ली नगर निगम के न्यायाधिकार क्षेत्र में आता है.

जून में हुई सुनवाई में कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के वेतन का भुगतान नहीं किए जाने के मामलों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि देश महामारी के खिलाफ युद्ध में अंसतुष्ट सैनिकों को बर्दाश्त नहीं कर सकता.

अदालत ने सरकार से इन कोरोना वॉरियर्स के लिए धनराशि जुटाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को कहा था.

बीते जुलाई महीने में भी हिंदू राव अस्पताल के डॉक्टरों ने अदालत के दखल के बावजूद पिछले तीन महीने से वेतन न मिलने को लेकर उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखा था.

द वायर  द्वारा अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि नॉर्थ एमसीडी के तहत आने वाले दो अस्पतालों- कस्तूरबा और हिंदू राव के 350 से अधिक रेजिडेंट डॉक्टरों ने तीन से चार महीने तक का वेतन न मिलने की बात कहते हुए सामूहिक इस्तीफा देने की धमकी दी थी.

इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने नॉर्थ एमसीडी को उसके तहत आने वाले कस्तूरबा गांधी और हिंदू राव समेत छह अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों को मार्च का वेतन 19 जून तक देने का निर्देश दिया था. इसके बाद उन्हें दो महीने का वेतन मिला था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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