पंजाबः नए कृषि क़ानूनों के विरोध में भाजपा महासचिव ने इस्तीफ़ा दिया

पंजाब भजापा के महासचिव मालविंदर सिंह कांग ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि मेरी अंतर्रात्मा मुझे पार्टी में रहने की अनुमति नहीं दे रही है. पार्टी नेतृत्व किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है.

मालविंदर सिंह कांग (फोटोः ट्विटर)

पंजाब भजापा के महासचिव मालविंदर सिंह कांग ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि मेरी अंतर्रात्मा मुझे पार्टी में रहने की अनुमति नहीं दे रही है. पार्टी नेतृत्व किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है.

मालविंदर सिंह कांग (फोटोः ट्विटर)
मालविंदर सिंह कांग (फोटोः ट्विटर)

चंडीगढ़ः पंजाब भाजपा के महासचिव मालविंदर सिंह कांग ने केंद्र सरकार के विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.

मालविंदर ने किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए पार्टी की साजिशों के कारणों का हवाला देते हुए कहा, ‘मेरी अंतर्रात्मा मुझे पार्टी में रहने की अनुमति नहीं दे रही है.’

कांग को पंजाब में भाजपा के कुछ प्रमुख चेहरों में से एक माना जाता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग का कहना है कि पार्टी में से कोई भी कृषि कानूनों के कारणों के बारे में सुनने के लिए तैयार नहीं था और उनका आरोप है कि पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व का पंजाब समर्थक रुख नहीं था.

कांग ने कहा, ‘मैंने किसान विरोध का मुद्दा तब भी उठाया था, जब अध्यादेशों को पारित किया गया था और पार्टी की कोर समिति का सदस्य होने की वजह से मैंने इसे हर बैठक में उठाने की कोशिश की लेकिन मेरी बात नहीं सुनी गई.’

उनका आरोप है, ‘इस मुद्दे को उठाने पर राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने मुझे पाकिस्तानी कहा था. जब मैंने उनकी भाषा का विरोध किया तो उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी. किसानों के पक्ष में बात करने वालों को लेकर भाजपा का नेतृत्व इस तरह का रुख अख्तियार करता है.’

पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र परिषद के अध्यक्ष रह चुके कांग साधारण कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी से जुड़े थे. कांग उन सिख नेताओं में से हैं, जो पंजाब में भाजपा के पास हैं.

कांग ने कहा कि जब वह चंडीगढ़ गए थे, उन्होंने किसान विरोध का मुद्दा केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के समक्ष भी उठाया था.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन उन्होंने अधिनियम में संशोधनों के मेरे सुझाव को खारिज कर दिया और यह कहकर किसानों से बात नहीं की कि ये सब भटके हुए लोग हैं. भाजपा नेतृत्व में आम धारणा यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो भी कर रहे हैं, वह ठीक है.’

पार्टी के राज्य अध्यक्ष अश्विनी शर्मा को भेजे अपने इस्तीफे में कांग ने कहा, ‘किसान, छोटे कारोबारी और मजदूर संगठन लोकतांत्रिक रूप से और सही तरीके से केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए इन नए अधिनियमों का विरोध कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘पार्टी का राज्य इकाई का महासचिव और पार्टी के कोर समूह का सदस्य होने की वजह से मैंने प्रदर्शन कर रहे किसानों, छोटे कारोबारियों और मजदूर संगठनों के समर्थन में अपनी आवाज पार्टी के मंच पर उठाई थी. किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए मैंने पार्टी महासचिव के पद, कोर समूह और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया है.’

बता दें कि कांग का इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने अपने कई मंत्रियों को किसानों को यह समझाने का जिम्मा सौंपा है कि नए कृषि कानून उनके लिए फायदेमंद हैं.

केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा से पहले ही किनारा कर लिया है.

अकाली दल की सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने बिल के विरोध में सबसे पहले मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दिया था. इसके साथ ही उन्होंने केंद्रीय मंत्री का पद भी छोड़ दिया था.

बता दें कि केंद्र सरकार के तीनों कानूनों- कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम 2020, कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिलने के बाद 27 सितंबर को प्रभावी हुए थे.

संसद के मानसून सत्र में पेश होने के साथ ही इन तीन कृषि कानूनों का देशभर के किसानों ने विरोध करना शुरू कर दिया था. इनका सबसे अधिक विरोध पंजाब और हरियाणा में देखने को मिल रहा है.

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