लोकपाल को 2019-20 में 1427 शिकायतें मिलीं, चार शिकायतें केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों के ख़िलाफ़ थीं

लोकपाल के अनुसार, कुल शिकायतों में से 1,347 का निस्तारण किया गया. इनमें से 1,152 शिकायतें लोकपाल के अधिकार क्षेत्र से बाहर की थीं. शिकायतों में से 245 शिकायतें केंद्र सरकार के अधिकारियों के विरुद्ध थीं.

लोकपाल का आधिकारिक लोगो. (फोटो साभार: फेसबुक)

लोकपाल के अनुसार, कुल शिकायतों में से 1,347 का निस्तारण किया गया. इनमें से 1,152 शिकायतें लोकपाल के अधिकार क्षेत्र से बाहर की थीं. शिकायतों में से 245 शिकायतें केंद्र सरकार के अधिकारियों के विरुद्ध थीं.

लोकपाल का लोगो. (फोटो साभार: फेसबुक)
लोकपाल का लोगो. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: भ्रष्टाचार-निरोधक संस्था लोकपाल को 2019-20 में कुल 1,427 शिकायतें मिलीं, जिनमें से 613 राज्य सरकार के अधिकारियों से संबंधित थीं और चार शिकायतें केंद्रीय मंत्रियों तथा संसद सदस्यों के खिलाफ थीं.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, लोकपाल को मिलीं 245 शिकायतें केंद्र सरकार के अधिकारियों के विरुद्ध, 200 सार्वजनिक उपक्रमों, वैधानिक इकाइयों, न्यायिक संस्थाओं तथा केंद्र स्तर की स्वायत्त संस्थाओं के खिलाफ थीं. वहीं 135 शिकायतें निजी क्षेत्र के लोगों और संगठनों के विरुद्ध थीं.

लोकपाल के आंकड़ों के अनुसार, छह शिकायतें राज्य सरकारों के मंत्रियों और विधानसभा सदस्यों के खिलाफ थीं. इसमें कहा गया कि कुल शिकायतों में से 220 अनुरोध/टिप्पणियां/सुझाव थे.

लोकपाल के अनुसार, कुल शिकायतों में से 1,347 का निस्तारण किया गया. इनमें से 1,152 शिकायतें लोकपाल के अधिकार क्षेत्र से बाहर की थीं.

आंकड़ों के मुताबिक, कुल 78 शिकायतों को निर्दिष्ट प्रारूप में दाखिल करने की सलाह दी गई.

Lokpal
लोकपाल के समक्ष दायर शिकायतों का विवरण.

लंबित मामलों का विवरण देते हुए लोकपाल के आंकड़ों में कहा गया कि 29 मामले केंद्रीय सतर्कता आयोग के पास लंबित थे, जिसमें से 25 की स्टेटस रिपोर्ट और चार की जांच लंबित थी. इसके अलावा उच्च शिक्षा विभाग के साथ तीन मामलों की स्टेटस रिपोर्ट और एक की जांच लंबित थी. सीबीआई के पास दो मामलों की स्टेटस रिपोर्ट लंबित थी.

इसी तरह एक शिकायत रेलवे बोर्ड के पास जांच के लिए लंबित रही. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि संस्कृति मंत्रालय से संबंधित दो मामलों में स्थिति रिपोर्ट लंबित थी, एक-एक मामले जल संसाधन मंत्रालय, आयकर महानिदेशालय, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, डाक विभाग और पोत परिवहन मंत्रालय के यहां लंबित थे.

मालूम हो कि लोकपाल सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में जांच करने वाली शीर्ष संस्था है.

केंद्र सरकार ने इस साल मार्च में लोकपाल में शिकायत दाखिल करने का एक प्रारूप अधिसूचित किया था. इसके अधिसूचित किए जाने से पहले लोकपाल को किसी भी प्रारूप में मिलीं सभी शिकायतों की छानबीन की जाती थी.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले साल 23 मार्च को जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को लोकपाल के प्रमुख के रूप में शपथ दिलाई थी. लोकपाल के आठ सदस्यों को जस्टिस घोष ने 27 मार्च को पद की शपथ दिलाई थी.

हालांकि लोकपाल के सदस्य जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी का इस साल मई में निधन हो गया. एक अन्य सदस्य जस्टिस दिलीप बी. भोसले ने इस साल जनवरी में पद से इस्तीफा दे दिया था.

नियमों के अनुसार, लोकपाल में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्यों के होने का प्रावधान है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)