कोरोना ने शिक्षा का संकट पैदा किया, शिक्षा में लैंगिक बराबरी चुनौती बनी: यूनेस्को

यूनेस्को ने अपनी वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना वायरस के चलते बंद स्कूलों में लड़कियों के वापस लौटने का ख़तरा बढ़ गया है. रिपोर्ट के अनुसार, कम और निम्न मध्य आय वाले देशों में लड़कों की तुलना में 12 से 17 साल की लड़कियों के स्कूल न लौट पाने का ख़तरा अधिक है.

(फोटो: रॉयटर्स)

यूनेस्को ने अपनी वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना वायरस के चलते बंद स्कूलों में लड़कियों के वापस लौटने का ख़तरा बढ़ गया है. रिपोर्ट के अनुसार, कम और निम्न मध्य आय वाले देशों में लड़कों की तुलना में 12 से 17 साल की लड़कियों के स्कूल न लौट पाने का ख़तरा अधिक है.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: यूनेस्को ने कहा है कि कोविड-19 महामारी ने शिक्षा के क्षेत्र में संकट पैदा कर दिया है तथा लैंगिक भेदभाव पर आधारित गहरी एवं विविध असमानताओं ने उसमें अहम भूमिका निभाई है.

यूनेस्को ने वैश्विक शिक्षा निगरानी नामक एक रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 महामारी के चलते परिवारों के घरों पर ही रहने के दौरान लैंगिक हिंसा, किशोरावस्था में गर्भधारण एवं समय से पूर्व शादी में संभावित वृद्धि, विद्यालयों एवं महाविद्यालयों से बालिकाओं के एक बहुत बड़े वर्ग के निकल जाने की संभावना, ऑनलाइन शिक्षण के चलते लड़कियों को नुकसान होने तथा उन पर घरेलू कामकाज की जिम्मेदारियां बढ़ जाना जैसे कई प्रभाव सामने आए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 की संक्रामकता एवं प्राणघातकता पर अनिश्चिततता के कारण दुनियाभर में सरकारों को लॉकडाउन लगाना पड़ा, आर्थिक गतिविधियां बिल्कुल सीमित करनी पड़ी तथा विद्यालय एवं महाविद्यालय बंद करने पड़े.

रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल में 194 देशों में 91 फीसदी विद्यार्थी प्रभावित हुए. कोविड-19 महामारी ने शिक्षा का संकट पैदा कर दिया, जिसमें विविध तरह की असमानताओं ने भूमिका निभाई. उनमें से कुछ असमानताएं महिला-पुरुष भेदभाव पर आधारित हैं.

रिपोर्ट में कहा है कि वैसे तो इन प्रभावों के हद का सटीक आकलन करना मुश्किल है, लेकिन उसकी कड़ी निगरानी आवश्यक है.

रिपोर्ट में कहा, ‘इन प्रभावों में यह है कि लॉकडाउन के दौरान परिवारों के घरों में लंबे समय तक ठहरने से लैंगिक हिंसा बढ़ी. चाहे ऐसी हिंसा मां को प्रभावित करे या लड़कियों को, लड़कियों की शिक्षा जारी रखने की समर्थता पर उसके परिणाम स्पष्ट हैं.’

यूनेस्को की रिपोर्ट में चिंता व्यक्त की गई है कि समय-पूर्व शादियों से शीघ्र गर्भधारण में वृद्धि हो सकती है, जो महामारी के चलते परिवारों के गरीबी के दलदल में फंस जाने का परिणाम है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कोरोना वायरस के कारण एक करोड़ 13 लाख बाल विवाह अगले 10 वर्षों में बढ़ सकते हैं. यूनेस्को का सुझाव है कि उप-सहारा अफ्रीका में निम्न माध्यमिक विद्यालय की 3.5 प्रतिशत और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की 4.1 प्रतिशत लड़कियों के स्कूल न लौटने का खतरा है.’

विश्व बैंक का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि कम और निम्न मध्य आय वाले देशों में लड़कों की तुलना में 12 से 17 साल की लड़कियों के स्कूल न लौट पाने का खतरा है.

रिपोर्ट ने सिफारिश की गई है कि देशों को महामारी के दौरान लड़कियों के स्कूल वापस लौटने को लेकर उनस संपर्क बनाए रखने की आवश्यकता को पहचानने की जरूरत है.

यूनेस्को का अनुमान है कि कोरोना वायरस के कारण शैक्षणिक संस्थानों के बंद रहने से 154 करोड़ छात्र-छात्राएं प्रभावित हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)