फ़र्ज़ी टीआरपी मामला: यूपी में दर्ज हुई एक एफआईआर, केंद्र ने सीबीआई को सौंपी जांच

बीते 17 अक्टूबर को लखनऊ के हज़रतगंज थाने में टीआरपी में कथित हेरफेर की एक शिकायत दर्ज करवाई गई थी, जिसकी जांच सीबीआई से कराने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से निवेदन किया था.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

बीते 17 अक्टूबर को लखनऊ के हज़रतगंज थाने में टीआरपी में कथित हेरफेर की एक शिकायत दर्ज करवाई गई थी, जिसकी जांच सीबीआई से कराने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से निवेदन किया था.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट में जहां रिपब्लिक टीवी की मुंबई पुलिस द्वारा उसके खिलाफ टीआरपी में कथित छेड़छाड़ के लिए दर्ज एफआईआर ख़ारिज करने की याचिका पर सुनवाई हो रही है, वहीं उत्तर प्रदेश में भी ‘अज्ञात’ चैनलों और लोगों के खिलाफ इसी तरह का मामला दर्ज हुआ है.

केंद्र ने यूपी के इस मामले को केंद्रीय अंवेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि मामला लखनऊ के हजरतगंज थाने में एक विज्ञापन कंपनी के प्रवर्तक कमल शर्मा की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसे यूपी सरकार ने सीबीआई को सौंप दिया.

उन्होंने कहा कि त्वरित कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है.

अधिकारियों ने बताया कि मुख्य आरोप धन लेकर टीआरपी रेटिंग में हेरफेर किए जाने का है. सीबीआई अधिकारियों ने विस्तृत ब्यौरा देने से इनकार कर दिया.

सूत्रों ने बताया कि 17 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज करने के बाद राज्य सरकार ने केंद्र से इस मामले को सीबीआई को सौंपने का निवेदन किया था, जिसके बाद मंगलवार को इसकी अनुमति दे दी गई.

एफआईआर दर्ज करवाने वाले कमल शर्मा गोल्डन रैबिट कम्युनिकेशन्स नाम का मीडिया और विज्ञापन कंपनी चलाते हैं.

अपनी शिकायत में शर्मा ने कहा है कि उनके पास यह विश्वसनीय जानकारी है कि कुछ अज्ञात लोगों द्वारा गलत तरह से टीआरपी से छेड़छाड़ करते हुए धोखाधड़ी करने की साजिश रची जा रही है.

उनकी एफआईआर में किसी आरोपी का नाम नहीं है, जो इसे एक ‘ओपन’ एफआईआर का दर्जा देता है, जिसका अर्थ है कि सभी टीवी चैनलों की जांच की जा सकती है.

मालूम हो कि बीते आठ अक्टूबर को मुंबई पुलिस ने ‘टेलीविजन रेटिंग पॉइंट’ (टीआरपी) से छेड़छाड़ करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ करने का दावा किया था.

मुंबई के पुलिस आयुक्त ने दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी सहित तीन चैनलों ने टीआरपी के साथ हेराफेरी की है. हालांकि रिपब्लिक टीवी ने इन आरोपों से इनकार किया है.

गौरतलब है कि टीआरपी से यह पता चलता है कि कौन-सा टीवी कार्यक्रम सबसे ज्यादा देखा गया. इससे दर्शकों की पसंद और किसी चैनल की लोकप्रियता का भी पता चलता है.

गोपनीय तरीके से कुछ घरों में टीवी चैनल के दर्शकों के आधार पर टीआरपी की गणना की जाती थी. देश में ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च कॉउंसिल (बार्क) टीवी चैनलों के लिए साप्ताहिक रेटिंग जारी करता है.

बार्क टीवी के दर्शकों की संख्या बताने के लिए सटीक, विश्वसनीय और समयबद्ध प्रणाली के गठन और निगरानी का काम करता है और भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के दिशानिर्देशों से बंधा होता है.

टीआरपी को मापने के लिए मुंबई में दो हजार बार-ओ- मीटर (BAR-o-meters) लगाए गए हैं और बार्क ने ‘हंसा’ नामक एजेंसी को इन मीटर पर नजर रखने का ठेका दिया था.

पुलिस के अनुसार, यह कथित फर्जी टीआरपी मामला तब सामने आया जब बार्क ने हंसा रिसर्च ग्रुप के माध्यम से शिकायत दर्ज करवाई कि कुछ चैनल विज्ञापनदाताओं को आकर्षित करने के लिए टीआरपी अंकों के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं.

आरोप लगाया गया है कि दर्शक संबंधी आंकड़े इकठ्ठा करने के लिए जिन परिवारों में मीटर लगाए गए थे और उनमें से कुछ को कुछ खास चैनल देखने के लिए रिश्वत दी जाती थी.

मुंबई पुलिस ने इस मामले में विशाल भंडारी, बोम्पल्ली राव, बॉक्स सिनेमा के मालिक नारायण शर्मा और फक्त मराठी चैनल के मालिक शिरीष शेट्टी को गिरफ्तार किया था.

पुलिस का कहना है कि टीआरपी से कथित छेड़छाड़ का सबसे पहले पता उस समय चला, जब बार्क की नजर इस साल की शुरुआत की असामान्य टीआरपी रेटिंग्स पर गई.

आंतरिक जांच के दौरान पता चला कि हंसा के कर्मचारी विशाल भंडारी टीआरपी से छेड़छाड़ में शामिल हैं. हंसा रिसर्च ग्रुप को पता चला कि भंडारी ने अपने पिता के घर पर दो बार-ओ-मीटर लगाए हैं.

इसके एक दिन बाद नौ अक्टूबर को पुलिस ने रिपब्लिक मीडिया के मुख्य वित्त अधिकारी शिव सुब्रमण्यम सुंदरम, वितरण विभाग के प्रमुख घनश्याम सिंह, दो विज्ञापन एजेंसियों और बॉक्स सिनेमा और फक्त मराठी के अकाउंटेंट को तलब किया था.

हालांकि, सिर्फ विज्ञापन एजेंसियों के अधिकारी- मैडिसन के प्रमुख सैम बलसारा और आईपीजी मीडिया ब्रांड्स के सीईओ शशि सिन्हा ही पूछताछ के लिए पुलिस मुख्यालय पहुंचे थे. उनसे आठ से अधिक घंटों तक पूछताछ की गई थी.

वहीं, रिपब्लिक के सीएफओ शिव सुब्रमण्यम सुंदरम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले की जल्द सुनवाई की मांग की और मुंबई पुलिस के समन को भी चुनौती दी. तब सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट जाने को कहा था.

मुंबई पुलिस द्वारा मामला दर्ज किया था जिसके बाद बार्क ने अस्थायी रूप से रेटिंग का काम स्थगित कर दिया है.

दो और लोग गिरफ्तार

मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने टीआरपी छेड़छाड़ मामले के सिलसिले में मंगलवार को हंसा रिसर्च एजेंसी के दो पूर्व कर्मियों को गिरफ्तार किया.

इस तरह इस मामले में अब तक आठ लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं. पुलिस ने बताया कि रामजी वर्मा (41) और दिनेश विश्वकर्मा (37) ने कुछ सालों के लिए हंसा एजेंसी में काम किया था.

अधिकारी के अनुसार वर्मा को वर्ली से गिरफ्तार किया गया जबकि विश्वकर्मा को मुंबई हवाईअड्डे से शाम को गिरफ्त में लिया गया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)