आरोग्य सेतु ऐप ने कितनों को दी कोरोना जांच की सलाह, सरकार के पास जानकारी नहीं

विशेष रिपोर्ट: कोरोना संक्रमण के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है और एक्टिव केस के मामले में तीसरे पर. ऐसे समय में आरोग्य सेतु ऐप की उपयोगिता और किसी भी तरह से संक्रमण रोकने में इसके कारगर होने को लेकर सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है.

/
(फोटो: द वायर)

विशेष रिपोर्ट: कोरोना संक्रमण के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है और एक्टिव केस के मामले में तीसरे पर. ऐसे समय में आरोग्य सेतु ऐप की उपयोगिता और किसी भी तरह से संक्रमण रोकने में इसके कारगर होने को लेकर सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है.

(फोटो: द वायर)
(फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: कोविड-19 के प्रसार की रोकथाम के रूप में मोदी सरकार द्वारा बहुप्रचारित आरोग्य सेतु ऐप एक बार फिर से आलोचना के घेरे में है.

इस ऐप को बनाने वालों के बारे में कोई जानकारी नहीं देने पर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने कड़ी फटकार लगाई है और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

सीआईसी ने ये संकेत दिया है कि यदि उसे इस मामले में उचित जवाब नहीं मिलता है तो अधिकारियों पर जुर्माना लगाया जा सकता है.

आयोग ने कहा, ‘एनआईसी के मुख्य जन सूचना अधिकारी को यह बताना चाहिए कि जब वेबसाइट पर इसका उल्लेख है कि आरोग्य सेतु मंच को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा डिजाइन, विकसित और होस्ट किया गया है, तब ऐसा कैसे है कि उनके पास इस ऐप को बनाए जाने को लेकर कोई जानकारी ही नहीं है.’

ये पहला ऐसा मौका नहीं है जब सरकार ने आरोग्य सेतु के संबंध में भ्रामक जानकारी दी है और जरूरी सूचनाओं को छिपाने की कोशिश की है.

इस ऐप के शुरूआत से ही द वायर ने इसकी कार्यवाही, निर्माण और प्रचार के संबंध में कई सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन दायर किया था, लेकिन इसमें से किसी पर भी एनआईसी ने जवाब नहीं दी.

आलम ये है कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ये जानकारी भी साझा करने से इनकार कर दिया है कि आरोग्य सेतु ऐप ने कुल कितने लोगों को कोरोना जांच का सुझाव/सलाह दी थी या जांच की सिफारिश की थी और इसमें से कितने लोग पॉजिटिव पाए गए.

सरकार के मुताबिक आरोग्य सेतु ऐप कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के जरिये उन सभी लोगों के विवरण को रिकॉर्ड करता है जिनके संपर्क में यूजर आता है. यदि बाद में उनमें से कोई भी कोविड-19 पॉजिटिव आता है तो उसके बारे में तुरंत इस ऐप के जरिये जानकारी दी जाती है ताकि लोग सतर्क हो जाएं.

एंड्रॉयड और आईफोन दोनों पर ही उपलब्ध यह ऐप यूजर से उसकी लोकेशन की जानकारी और कुछ सवालों के आधार पर उस व्यक्ति के आसपास मौजूद संक्रमण के खतरे और संभावना का पता लगाने में सहायता करता है.

वैसे तो इस ऐप को 16.24 करोड़ बार डाउनलोड किया गया है और सरकार इसी आधार पर इसकी सफलता का दावा कर वाहवाही बटोर रही है, लेकिन फिलहाल आरोग्य सेतु ऐप के कामकाज का कोई विश्वसनीय आकलन उपलब्ध नहीं है.

इसी का पता लगाने के लिए द वायर  ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय एवं राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र में आरटीआई दायर कर निम्नलिखित सवाल पूछे थे:

1. आरोग्य सेतु ऐप ने कुल कितने लोगों या यूजर्स को कोविड-19 जांच की सिफारिश की थी? इसमें से कितने लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है? कृपया राज्य-वार एवं महीना-वार आंकड़े मुहैया कराएं.

2. इस ऐप ने कुल कितने लोगों को क्वारंटीन में जाने की सलाह दी थी? कृपया राज्य-वार एवं महीना-वार आंकड़े मुहैया कराएं.

3. इस ऐप ने कुल कितने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी थी? कृपया राज्य-वार एवं महीना-वार आंकड़े मुहैया कराएं.

4. इस ऐप द्वारा कुल किलने ब्लूटूथ संपर्क पहचाने गए हैं? इसमें से कितने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा संपर्क किए गए थे? कृपया राज्य-वार और महीना-वार आंकड़े भी उपलब्ध कराएं.

द वायर  ने अपने आवेदन में लिखा था कि विभाग इस प्रारूप या किसी भी प्रारूप में उपलब्ध सूचना को मुहैया कराए. हालांकि एनआईसी ने इनमें से किसी भी बिंदु पर जानकारी नहीं दी और कहा कि ये सूचनाएं ‘आसानी से उपलब्ध’ नहीं हैं.

डीडीजी एवं केंद्रीय जनसूचना अधिकारी (सीपीआईओ) सीमा खन्ना ने अपने जवाब में कहा, ‘मांगी गई सूचना आसानी से उपलब्ध या निकालने योग्य नहीं है.’

एनआईसी का ये जवाब प्रथमदृष्टया सूचना का अधिकार कानून का उल्लंघन है.

aarogya setu rti_page-0001
एनआईसी द्वारा दिया गया जवाब.

पहले तो सीपीआईओ ने जानकारी सार्वजनिक करने से इनकार करते हुए कानून की किसी धारा का उल्लेख नहीं किया, दूसरी ओर आरटीआई एक्ट की सिर्फ धारा आठ और नौ के तहत ही कोई सूचना देने से मना किया जा सकता है. ऐसा करते हुए भी सीपीआईओ को उचित तर्क देना पड़ता है.

इसके अलावा धारा 7(9) कहती है कि अगर मांगी गई जानकारी उस प्रारूप में नहीं है जिस प्रारूप में आवेदक ने मांगी है, तो जनसूचना अधिकारी उस रूप में ये जानकारी मुहैया कराए, जिस रूप में वो मौजूद है.

सीआईसी द्वारा फटकार लगाए जाने को लेकर उठे विवाद के बाद आरोग्य सेतु ने एक स्पष्टीकरण जारी किया है.

इसमें ऐप की कार्यप्रणाली का बखान करते हुए एक जगह बताया गया है कि ऐप ने जितने लोगों को कोरोना जांच की सलाह दी थी, उसमें से लगभग 25 फीसदी लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

राष्ट्रीय स्तर पर कुल पॉजिटिविटी रेट 7-8 फीसदी है. हालांकि इसे लेकर अभी भी गोपनीयता बरकरार है कि आखिर इस ऐप ने कितने लोगों को कोरोना जांच की सलाह दी है.

चूंकि कोरोना संक्रमण के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है और वर्तमान में एक्टिव केस के मामले में तीसरे नंबर पर है, ऐसे में ये सवाल उठता है कि आखिर इस ऐप की उपयोगिता क्या है और क्या ये अब तक किसी भी तरह से संक्रमण रोकने में कारगर सिद्ध हो पाई है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञ लगातार इन सवालों को उठा रहे हैं, हालांकि सरकार अभी तक इसका कोई जवाब पेश नहीं कर पाई है.

नागरिकों की निजता ख़तरे में’

यह ऐप अपने शुरूआत से ही नागरिकों की निजी जानकारी की सुरक्षा को लेकर विवादों में घिरा हुआ है. विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार इस ऐप के जरिये नागरिकों की बहुत सारी काफी निजी जानकारी इकट्ठा करती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

हालांकि केंद्र सरकार ने आरोग्य सेतु ऐप के यूजर्स की जानकारियों की प्रोसेसिंग के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसके मुताबिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए जेल की सजा का प्रावधान है.

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 11 मई 2020 को जारी नियमों के तहत ऐप का डेटा इकट्ठा होने के ठीक 180 दिन बाद डेटा डिलीट हो जाएगा, इसके साथ ही डेटा का इस्तेमाल सिर्फ स्वास्थ्य से जुड़े उद्देश्यों के लिए ही हो सकेगा.

इसके साथ ही यूजर्स आरोग्य सेतु से संबंधित जानकारियों को मिटाने का अनुरोध भी कर सकते हैं. इस तरह के अनुरोध पर 30 दिन के भीतर अमल करना होगा.

इन नियमों के तहत केवल डेमोग्राफिक, कॉन्टैक्ट, सेल्फ-असेसमेंट और संक्रमितों के लोकेशन डेटा के संग्रह की ही अनुमति प्राप्त है.

उचित आकलन न होने के बावजूद सरकार अभी भी आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल को बढ़ाने की बात बार-बार दोहरा रही है.

गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि एंप्लॉयर यानी नियोक्ता सभी ऑफिसों और कार्यस्थलों के कर्मचारियों के फोन में आरोग्य सेतु ऐप इंस्टॉल कराने की हरसंभव कोशिश करेंगे.

इसके अलावा जिला प्रशासन को भी कहा गया है कि वे निर्देश जारी कर लोगों से आरोग्य सेतु ऐप इंस्टाल करवाएं ताकि समय रहते खतरे का पता लगने पर स्वास्थ्य सेवाओं के उचित इंतजाम किए जा सकें.

जहां एक तरफ आरोग्य सेतु की उपयोगिता सवालों के घेरे में है, वहीं दूसरी तरफ इसका प्रचार करने में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है.

द वायर ने सितंबर महीने में अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए मोदी सरकार द्वारा लाए गए आरोग्य सेतु ऐप के प्रचार में केंद्र ने करीब 4.15 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. ये राशि सिर्फ साढ़े तीन महीने के भीतर में खर्च की गई थी.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq