गांधी को ‘पाकिस्तान का राष्ट्रपिता’ कहने वाले भाजपा नेता आईआईएमसी के प्रोफेसर नियुक्त

मध्य प्रदेश भाजपा के पूर्व मीडिया सेल प्रभारी अनिल कुमार सौमित्र को आईआईएमसी में नियुक्त किया गया है. इससे पहले प्रदेश में भाजपा के मुखपत्र चरैवेती के संपादक के पद से 2013 में सौमित्र को तब निलंबित कर दिया गया था जब उन्होंने चर्च में रह रहीं ननों को लेकर एक विवादास्पद लेख लिखा था.

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अनिल कुमार सौमित्र. (फोटो: फेसबुक/वीटी प्रमोद कुमार)

मध्य प्रदेश भाजपा के पूर्व मीडिया सेल प्रभारी अनिल कुमार सौमित्र को आईआईएमसी में नियुक्त किया गया है. इससे पहले प्रदेश में भाजपा के मुखपत्र चरैवेती के संपादक के पद से 2013 में सौमित्र को तब निलंबित कर दिया गया था जब उन्होंने चर्च में रह रहीं ननों को लेकर एक विवादास्पद लेख लिखा था.

अनिल कुमार सौमित्र. (फोटो: फेसबुक/वीटी प्रमोद कुमार)
अनिल कुमार सौमित्र. (फोटो: फेसबुक/वीटी प्रमोद कुमार)

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश भाजपा के पूर्व मीडिया सेल प्रभारी अनिल कुमार सौमित्र को नई दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) में प्रोफेसर नियुक्त किया गया है. पिछले साल उन्होंने महात्मा गांधी को ‘पाकिस्तान का राष्ट्रपिता’ कहा था.

यही कारण है कि उनकी नियुक्ति पर विवाद खड़ा हो गया है और आलोचकों का कहना है कि राष्ट्रपिता को अपमानित करने के लिए उन्हें सम्मानित किया गया है.

साल 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से भाजपा और उसके वैचारिक मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) गांधी को भारत के बंटवारे के लिए जिम्मेदार ठहराने से बचते रहे हैं. हालांकि, संघ परिवार से जुड़े लोग हमेशा से ऐसा ही विचार रखते रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल मई में जब सौमित्र महात्मा गांधी पर की गई टिप्पणी के कारण निलंबित हुए थे, तब भाजपा ने एक स्पष्टीकरण जारी कर कहा था कि सौमित्र का सोशल मीडिया पोस्ट पार्टी की नैतिकता, विचार और सिद्धांतों के खिलाफ है और इससे उसकी छवि को नुकसान पहुंचा है.

सौमित्र ने अपने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था, ‘वह राष्ट्रपिता थे, लेकिन पाकिस्तान के. देश के पास उनके जैसे करोड़ों बेटे हैं, कुछ लायक और कुछ नालायक हैं.’

मध्य प्रदेश में भाजपा के मुखपत्र चरैवेती के संपादक के पद से 2013 में सौमित्र को तब निलंबित कर दिया गया था जब उन्होंने चर्च के नर्क में नन का जीवन शीर्षक से एक लेख छापा था. लेख में एक अप्रमाणित दावा किया गया था कि कैथोलिक चर्चों में ननों का उत्पीड़न आम है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उस समय सौमित्र ने पूर्व लोकसभा स्पीकर, इंदौर से तत्कालीन भाजपा सांसद और संघ परिवार से जुड़े पंडित दीनदयाल विचार प्रकाशन की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को पत्र लिखा था.

पत्र में उन्होंने लिखा था, ‘मेरे साथ एक अपराधी जैसा व्यवहार किया जा रहा है. संपादक के रूप में मेरा चुनाव मेरी आरएसएस की पृष्ठभूमि और वैचारिक प्रतिबद्धता को देखकर किया गया था.’

इस पत्र की प्रतियां आरएसएस नेताओं- मोहन भागवत, सुरेश जोशी और सुरेश सोनी, भाजपा नेताओं- राजनाथ सिंह, लालकृष्ण आडवाणी और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित राज्य के अन्य नेताओं को भेजी गई थीं.

60 आवेदकों के साक्षात्कार के बाद आईआईएमसी में उनकी नियुक्ति हुई है. संस्थान ने उन्हें 20 अक्टूबर को दो साल के प्रोबेशन पीरियड के तहत उनकी नियुक्ति के लिए अधिसूचित किया था और 26 अक्टूबर को एक आदेश द्वारा उनकी जॉइनिंग की तारीख की पुष्टि की गई थी.

सौमित्र ने इंडियन एक्सप्रेस के कॉल और मैसेज पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, वहीं आईआईएमसी के महानिदेशक संजय द्विवेदी ने उनकी नियुक्ति पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

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