सीआईसी ने केंद्र द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान ज़ब्त सामग्री की सूची जारी न करने को मंज़ूरी दी

1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छिपे आतंकियों को निकालने के लिए सेना द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था. एक आरटीआई आवेदन में केंद्रीय गृह मंत्रालय से उस सामान की सूची और वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी मांगी गई थी जो इस कार्रवाई में ज़ब्त किया गया था, जिससे मंत्रालय ने इनकार कर दिया.

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अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर. (फोटो: पीटीआई)

1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छिपे आतंकियों को निकालने के लिए सेना द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था. एक आरटीआई आवेदन में केंद्रीय गृह मंत्रालय से उस सामान की सूची और वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी मांगी गई थी जो इस कार्रवाई में ज़ब्त किया गया था, जिससे मंत्रालय ने इनकार कर दिया.

अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर. (फोटो: पीटीआई)
अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने 1984 में पंजाब के स्वर्ण मंदिर में चलाए गए सैन्य अभियान के दौरान एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा जब्त दस्तावेजों और मूल्यवान वस्तुओं की विस्तृत जानकारी का खुलासा न करने के केंद्र के फैसले को सही ठहराया है.

इस सैन्य अभियान में सैन्यकर्मियों समेत 576 लोगों की जान गई थी.

सूचना के अधिकार के तहत गुरविंदर सिंह चड्डा द्वारा दायर किए गए आवेदन में केंद्रीय गृह मंत्रालय से उन सभी वस्तुओं की सूची और उनकी वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी मांगी गई थी, जो उस समय कार्रवाई के दौरान जब्त की गई थी.

आवेदनकर्ता ने इस ऑपरेशन से संबंधित सभी दस्तावेजों और इस कार्रवाई के दौरान मारे गए लोगों की सूची की भी मांग की थी.

साल 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के भीतर छिपे आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए सेना द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जब्त की गई वस्तुओं की विस्तृत सूची और विवरण के बिना आरटीआई के जवाब में कहा कि ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान लगभग चार हजार दस्तावेज/पुस्तकें/फाइल और सोना/सोने के आभूषण, चांदी/ चांदी के आभूषण, रत्न, मुद्रा, सिक्के इत्यादि केंद्रीय एजेंसी ने जब्त किए थे. ये वस्तुएं और दस्तावेज शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी या पंजाब सरकार को सौंप दिए गए थे.’

मंत्रालय ने कहा, ‘इस कार्यालय में उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार 493 आतंकवादी/ आम नागरिक और सेना के 83 अधिकारी जून 1984 में स्वर्ण मंदिर क्षेत्र में मारे गए थे.’

जब्त की गई वस्तुओं के बारे में सटीक जानकारी न मिलने से असंतुष्ट चड्ढा ने मंत्रालय में पहली अपील एक वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष दायर की जिन्होंने सूचना के अधिकार की धारा 8, 1 (ए) का हवाला देते हुए जानकारी देने से मना कर दिया.

इस धारा के तहत सरकार उस जानकारी को देने से मना कर सकती है जिससे देश की संप्रभुता और अखंडता प्रभावित होने की आशंका होती है.

इसके बाद आवेदनकर्ता ने केंद्रीय सूचना आयोग में दूसरी अपील दायर की. मंत्रालय ने कहा कि चड्ढा को बिंदुवार जवाब उपलब्ध कराया गया, लेकिन जो विवरण मांगा गया था वह गोपनीय था और उसे जाहिर करने से देश की सुरक्षा प्रभावित हो सकती थी.

केंद्रीय गृह मंत्रालय के जवाब से सहमति जताते हुए सूचना आयुक्त वाईके सिन्हा ने कहा कि चड्ढा ऐसी जानकारी की मांग कर रहे हैं जिसे सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जाहिर नहीं किया जा सकता.

सिन्हा ने कहा, ‘इसलिए आयोग इस मामले में और हस्तक्षेप नहीं करेगा.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान सेना द्वारा ले गई कलाकृतियों की वापसी की मांग कर रही है.

पिछले साल जून में एसजीपीसी के मुख्य सचिव रूप सिंह ने कहा था कि सिख संदर्भ पुस्तकालय का हिस्सा रहे पवित्र ग्रंथों, कलाकृतियों और ऐतिहासिक पुस्तकों को ऑपरेशन के दौरान सेना द्वारा ले जाया गया था.

यह पूछे जाने पर कि मीडिया के एक वर्ग ने रिपोर्ट किया था कि केंद्र ने एसजीपीसी को कलाकृतियां वापस कर दी थीं, तब सिंह ने दावा किया था कि ऐतिहासिक किताबों की केवल कुछ प्रतियां वापस की गई थीं.

उन्होंने कहा था कि अभी भी बड़ी मात्रा में सामग्री और गुरु ग्रंथ साहिब की हस्तलिखित प्रतियां केंद्र के पास हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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