बिहार में लिया गया फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है, जनादेश इसके लिए नहीं था: शरद यादव

सूत्रों के मुताबिक शरद यादव को मनाने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उनसे संपर्क किया था लेकिन उन्होंने एनडीए के साथ आने से मना कर दिया.

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सूत्रों के मुताबिक शरद यादव को मनाने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उनसे संपर्क किया था लेकिन उन्होंने एनडीए के साथ आने से मना कर दिया.

शरद यादव (फोटो: पीटीआई)
शरद यादव (फोटो: पीटीआई)

बिहार में महागठबंधन टूटने और जदयू का राजग के साथ गठबंधन कर सरकार बनाना पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शरद यादव को रास नहीं आ रहा है.

सोमवार को शरद यादव ने बिहार में नई सरकार को लेकर अपनी नाराज़गी व्यक्त की है. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार शरद यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.

राजद के साथ गठबंधन तोड़कर राजग के साथ सरकार बनाने पर शरद यादव ने कहा, ‘बिहार में लिए गए फैसले से मैं सहमत नहीं हूं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. लोगों द्वारा दिया गया जनादेश इसके लिए नहीं था. जनता से क़रार तोड़ना सबसे बड़ी चीज़ है. लोगों ने महागठबंधन को वोट दिया था.’

पिछले हफ्ते नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने इसका कारण उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर सफ़ाई न देने को बताया था.

27 जुलाई को शरद यादव के दिल्ली आवास पर राज्यसभा सांसद अली अनवर अंसारी और वीरेंदर कुमार ने बैठक हुई थी. बैठक के बाद शरद ने कहा था कि दो दिन बाद सभी दलों से बात कर वे अपना फैसला सुनाएंगे.

इससे पहले अली अनवर अंसारी ने नीतीश के फैसले की आलोचना करते हुए उसे गलत बताया था और कहा था कि उनकी अंतरात्मा भाजपा के साथ जाने को स्वीकार नहीं करती. वीरेंदर कुमार ने भी नीतीश की आलोचना कर उन्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की सलाह दी थी.

राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी ट्वीट कर शरद यादव का साथ मांगा था. उन्होंने कहा था, ‘हमने और शरद यादव जी ने साथ लाठी खाई है, संघर्ष किया है. आज देश को फिर संघर्ष की ज़रूरत है. शोषित और उत्पीड़ित वर्गों के लिए हमें लड़ना होगा.’

भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने शरद यादव के बयान पर कहा, ‘शरद यादव को अब बिहार की राजनीति में दिलचस्पी नहीं है. वे बस बेचैन हैं.’