पटना उच्च न्यायालय ने नीतीश सरकार की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाएं ख़ारिज कीं

उच्च न्यायालय ने कहा कि विधानसभा में शक्ति परीक्षण के बाद मामले में अदालत के हस्तक्षेप करने की ज़रूरत नहीं.

उच्च न्यायालय ने कहा कि विधानसभा में शक्ति परीक्षण के बाद मामले में अदालत के हस्तक्षेप करने की ज़रूरत नहीं.

Nitish Kumar Oath Taking Ceremony PTI
(फोटो: पीटीआई)

पटना: पटना उच्च न्यायालय ने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार के गठन और उसकी संवैधानिकता को चुनौती देने वाली दो जनहित याचिकाएं सोमवार को ख़ारिज दीं.

मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति एके उपाध्याय की खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद जनहित याचिकाएं ख़ारिज कर दीं और कहा कि विधानसभा में शक्ति परीक्षण के बाद अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है.

एक याचिका राजद विधायकों सरोज यादव व चंदन वर्मा और दूसरी याचिका समाजवादी पार्टी के सदस्य जितेंद्र कुमार ने दायर की थी.

अदालत ने गत शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई 31 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी थी. नई नीतीश सरकार ने शुक्रवार को विश्वास मत हासिल कर लिया था. राजग इस नई सरकार में गठबंधन साझेदार है.

पिछले हफ्ते नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने इसका कारण उप-मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर सफ़ाई न देने को बताया था.

राजद के साथ गठबंधन तोड़ने और इस्तीफा देने के 24 घंटे के अंदर ही उन्होंने एनडीए से गठबंधन कर लिया था और अगले दिन 27 जुलाई को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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