कृषि क़ानून: केंद्र के साथ किसान संगठनों की बैठक बेनतीजा, पंजाब में बहाल नहीं होगी ट्रेन सेवा

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों के साथ एक और दौर की चर्चा होगी और पंजाब सरकार तथा किसान संगठनों के आश्वासन के बाद ही ट्रेन सेवा बहाल की जाएगी. इससे पहले 14 अक्टूबर को मंत्रीस्तरीय बैठक में भी इस मुद्दे का कोई समाधान नहीं निकल पाया था.

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पंजाब के किसान संगठनों के साथ बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश. (फाइल फोटो: ट्विटर/@nstomar)

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों के साथ एक और दौर की चर्चा होगी और पंजाब सरकार तथा किसान संगठनों के आश्वासन के बाद ही ट्रेन सेवा बहाल की जाएगी. इससे पहले 14 अक्टूबर को मंत्रीस्तरीय बैठक में भी इस मुद्दे का कोई समाधान नहीं निकल पाया था.

पंजाब के किसान संगठनों के साथ बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश. (फोटो: ट्विटर/@nstomar)
पंजाब के किसान संगठनों के साथ बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश. (फोटो: ट्विटर/@nstomar)

नई दिल्ली: पंजाब में रेल यातायात बाधित करने के मुद्दे पर किसान संगठनों और सरकार के बीच शुक्रवार को हुई वार्ता बेनतीजा रही. दोनों ही पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े रहे.

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पंजाब के किसानों के साथ एक और दौर की चर्चा करेगी.

तोमर ने यह भी कहा कि पंजाब सरकार और किसान संगठन पहले पटरियों की सुरक्षा का आश्वासन दें, उसके बाद ट्रेन सेवा बहाल की जाएगी.

तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में विभिन्न किसान संघों के प्रतिनिधियों के साथ लंबी बैठक की. इसमें पंजाब सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल हुए.

करीब महीने भर पहले बीते 14 अक्टूबर को केंद्रीय कृषि सचिव की पंजाब के किसानों के साथ राष्ट्रीय राजधानी में चर्चा अनिर्णायक रही थी. किसान संगठन मंत्री स्तरीय वार्ता की मांग करते हुए बैठक से बाहर चले गए थे.

यह बैठक ऐसे वक्त में हुई है, जब किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के बैनर तले 26 और 27 नवंबर को दिल्ली में प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं.

तोमर ने पत्रकारों से कहा, ‘हमने कई घंटों तक चर्चा की. चर्चा सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई, लेकिन उनके (किसानों के) मुद्दों पर सरकार के दृष्टिकोण पर मतभेद थे, मगर हमने उनसे कहा है कि चर्चा जारी रहेगी.’

कृषि मंत्री ने कहा, ‘हमने सरकार का दृष्टिकोण रखा. हमने उनसे कहा कि उनकी मांग और सरकार के रुख में बड़ा अंतर है और इसका तत्काल समाधान नहीं हो सकता है. हमने उनसे अनुरोध किया कि वे हमारे साथ और बैठक करें.’

उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों को आश्वस्त किया गया है कि नए कानूनों से एमएसपी खरीद और मंडी व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

पंजाब में रेलगाड़ी चलाने पर तोमर ने कहा, ‘रेल मंत्री ने बैठक में कहा कि जब राज्य सरकार पटरियों की सुरक्षा का आश्वासन देगी, तभी ट्रेन सेवा बहाल होगी. पंजाब सरकार और किसानों को मुद्दे पर सोचना चाहिए.’

दरअसल, मोदी सरकार ने पंजाब में नाकेबंदी का हवाला देकर पंजाब जाने वाली मालगाड़ियों को रोक दिया है.

कृषि मंत्री तोमर ने बैठक में इस बात पर जोर दिया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता हमेशा कृषि ही रही है. उन्होंने यह उल्लेख किया कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर विशेष ध्यान के साथ सरकार किसानों का कल्याण करने के लिए कई उपाय कर रही है.

नए कृषि अधिनियम न केवल किसानों को लाभकारी मूल्य पर अपनी उपज बेचने की स्वतंत्रता प्रदान करेंगे बल्कि किसानों के हितों की भी रक्षा करेंगे.

उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उस सकारात्मक भावना का स्वागत किया जिसमें किसान संगठनों और केंद्र सरकार ने चर्चा की तथा इसे रचनात्मक घटनाक्रम बताया.

इससे पहले सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के रुख को सुना और पंजाब में रेल सेवा को बहाल करने के लिए समाधान पर पहुंचने की कोशिश की.

भारतीय किसान मंच के प्रमुख जत्थेदार बूटा सिंह शादीपुर ने बैठक के बाद कहा, ‘बैठक बेनतीजा रही और हमारा पक्ष सुनने के बाद मंत्रियों ने कहा कि वे मुद्दे का समाधान करने के लिए जल्द दोबारा मिलेंगे.’ उन्होंने कहा कि किसान संघ पंजाब में मालगाड़ियों की बहाली चाहते हैं, जो नाकेबंदी की वजह से बंद हैं.

पंजाब में तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों के आंदोलन की वजह से रेल सेवा बंद है. किसान संघ 18 नवंबर को चंडीगढ़ में बैठक करेंगे, जिसमें मुद्दे पर आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी.

सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्ष नए कृषि कानूनों पर अपने-अपने रुख पर अड़े रहे. उन्होंने कहा कि मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों ने किसान नेताओं को यह समझाने की कोशिश की कि ये कानून क्यों अहम हैं और कृषि क्षेत्र के लिए कितने लाभकारी हैं.

बहरहाल, किसान अपने इस रुख पर अड़े रहे कि इन अधिनियमों को रद्द किया जाना चाहिए और इनकी जगह अन्य नए कानून लाए जाने चाहिए, जिनमें पक्षकारों के साथ ज्यादा मशविरा किया जाए. किसानों ने एमएसपी की गारंटी की भी मांग की. सरकारी सूत्रों ने कहा कि खरीद स्तर पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई, लेकिन किसी सहमति पर नहीं पहुंचा जा सका क्योंकि किसान संघ अपने रुख पर अड़े रहे.

मालूम हो कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधयेक– किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में देश के कई हिस्सों में किसान संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था. पंजाब में ये विरोध प्रदर्शन अब भी जारी है.

किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.

दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने बार-बार इससे इनकार किया है. सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं. 

पंजाब विधानसभा विधानसभा ने केंद्र के कृषि संबंधी नए कानूनों को खारिज करते हुए बीते 20 अक्टूबर को एक प्रस्ताव और चार विधेयक पारित करते हुए कहा था कि ये संसद द्वारा हाल में पारित तीन कृषि कानूनों को बेअसर करेंगे.

पंजाब के बाद राजस्थान में भी केंद्रीय कृषि कानूनों के राज्य के किसानों पर पड़ने वाले असर को ‘निष्प्रभावी’ करने के लिए तीन विधेयक विधानसभा में बीते 31 अक्टूबर को पेश किए गए. इन विधेयकों में राज्य के किसानों के हितों की रक्षा के लिए कई प्रावधान किए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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