हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा- कोरोना केस बढ़ रहे थे तो सावधानी बरतने में इंतज़ार क्यों किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने नवंबर महीने में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों को लेकर अरविंद केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई है. इस बीच दिल्ली सरकार ने मास्क न पहनने वालों पर जुर्माना 500 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये कर दिया और शादियों में मेहमानों की संख्या 200 से घटाकर 50 कर दी है.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल. (फोटो: पीटीआई)

दिल्ली हाईकोर्ट ने नवंबर महीने में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों को लेकर अरविंद केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई है. इस बीच दिल्ली सरकार ने मास्क न पहनने वालों पर जुर्माना 500 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये कर दिया और शादियों में मेहमानों की संख्या 200 से घटाकर 50 कर दी है.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल. (फोटो: पीटीआई)
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार से पूछा कि कोविड-19 की वजह से पिछले 18 दिनों में जिन लोगों ने अपनों को खोया है, क्या वे उन्हें इसका जवाब दे पाएंगे कि जब शहर में मामले बढ़ रहे थे तो प्रशासन ने क्यों नहीं कदम उठाए. अदालत ने दिल्ली सरकार से स्थिति को बड़े चश्मे से देखने की सलाह दी है.

हाईकोर्ट की पीठ ने राज्य सरकार ने पूछा कि राजधानी में एक नवंबर के बाद कोरोना केस बढ़ रहे थे तो सरकार शादियों में मेहमानों की संख्या कम करने संबंधी कदम उठाने का इंतजार क्यों करती रही.

दिल्ली सरकार की खिंचाई करते हुए जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सुब्रह्मण्यम प्रसाद की पीठ ने सवाल किया कि वह (दिल्ली सरकार) कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए अदालत के हस्तक्षेप का इंतजार क्यों करती रही, उसने कोविड-19 का प्रसार रोकने के लिए शादी समारोहों में अतिथियों की संख्या 50 तक क्यों नहीं सीमित की?

पीठ ने पूछा, ‘आपने (दिल्ली सरकार) एक नवंबर से ही यह देखना शुरू किया कि स्थिति किस ओर जा रही है, लेकिन जब हमने आपसे सवाल किया तो आप पलट गए. जब शहर में संक्रमितों की संख्या बढ़ रही थी तो स्पष्ट तौर पर कदम उठाने थे.’

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से एक के बाद एक कई सवाल पूछे. अदालत ने पूछा, ‘आप तब क्यों नहीं जागे, जब आपने देखा कि स्थिति खराब हो रही है? हमें आपको 11 नवंबर को नींद से जगाने की जरूरत क्यों पड़ी? आपने एक नवंबर से 11 नवंबर तक क्या किया? आपने फैसला लेने के लिए 18 दिन तक (18 नवंबर तक) क्यों इंतजार किया? क्या आपको पता है कि इस बीच कितने लोगों की मौत हो गई? जिन लोगों ने अपनों को खोया है, क्या आप उन्हें जवाब दे पाएंगे?’

अदालत ने कहा कि सामाजिक दूरी बनाए रखने, थूकने से रोकने और मास्क पहनने को अनिवार्य बनाने से जुड़े नियमों के कार्यान्वयन की निगरानी से उन जिलों में खुश नहीं है, जहां मामले ज्यादा हैं.

पीठ ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि कोविड-19 नियमों के पहली बार उल्लंघन पर 500 रुपये और इसके बाद के उल्लंघन पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाए जाने का भी कोई बहुत ज्यादा असर नहीं हो रहा है. अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ जिलों की तुलना में कुछ अन्य जिलों में निगरानी और जुर्माना लगाने में पर्याप्त असमानताएं हैं.

अदालत ने कहा, ‘आप किस तरह की निगरानी कर रहे हैं? आप चीजों को गंभीरता से बड़े चश्मे से देखें. आप न्यूयॉर्क और साउ पाउलो (ब्राजील) को भी पार कर चुके हैं.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम निश्चित रूप से बिगड़ती स्थिति के मद्देनजर चुप नहीं रह सकते. हम मूक पर्यवेक्षक नहीं रहेंगे. आप 1 नवंबर से वार्डों में बहुत हाल तक काम नहीं कर रहे थे और यह हमें चिंतित कर रहा है. हम यहां आपको नींद से जगाने के लिए नहीं हैं.

हालांकि, अदालत ने आगे कहा, ‘हम यह नहीं कह रहे हैं कि अकेले आप जिम्मेदार हैं, लोग भी जिम्मेदार हैं और उन्हें सावधानियां बरतनी चाहिए. यदि वे नहीं करते हैं, तो आपको इसे इस तरह लागू करना चाहिए कि वे दूसरों को संक्रमण न पहुंचाएं.’

बता दें कि वकील राकेश मल्होत्रा की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी. उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 जांच को बढ़ाने और जल्द से जल्द रिपोर्ट मिलने के संबंध में याचिका दायर की है.

बता दें कि शादियों में मेहमानों की संख्या को 200 तक बढ़ाने के सरकार के 1 नवंबर के फैसले पर पिछले हफ्ते अदालत ने सवाल उठाया था. इसके बाद आप सरकार ने अपनी राहत नियमों में छूट देने की मांग की और शादियों में मेहमानों की संख्या को घटाकर 50 पर सीमित कर दिया.

अदालत ने सरकार को अगले सप्ताह तक अस्पतालों में 660 आईसीयू बेड बढ़ाने की उसकी योजना को लागू करने का निर्देश दिया.

अदालत ने राज्य सरकार को एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया हो कि सभी श्मशान और अन्य सभी दाह संस्कार वाले स्थानों पर पर्याप्त व्यवस्था की गई है.

इसके साथ ही अदालत ने सरकार के उस फैसले को सही ठहराया था जिसमें राजधानी में सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा आयोजन को प्रतिबंधित किया गया था और कहा था कि स्वास्थ्य का अधिकार पहले है.

मास्क न पहनने पर जुर्माना 500 से बढ़ाकर 2000 रुपये

दिल्ली में लगातार तीसरे सप्ताह कोविड-19 मामलों को बढ़ते देखकर उसे रोकने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मास्क न पहनने वाले लोगों पर जुर्माना 500 रुपये बढ़ाकर 2000 रुपये करने की घोषणा की है.

मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, केजरीवाल ने कहा, ‘बहुत से लोग फेस मास्क पहन रहे हैं लेकिन अभी भी कुछ लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. अब जुर्माना बढ़ाकर 500 रुपये से 2000 रुपया कर दिया गया है.’

एक दिन में कोविड-19 से 131 मरीजों की मौत

दिल्ली में बुधवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 7,486 नए मामले सामने आए, जबकि संक्रमण से 131 और मरीजों की मौत हो गई. यह जानकारी अधिकारियों ने दी.

अधिकारियों ने बताया कि एक दिन में कोविड-19 से मरने वालों की यह अब तक की सर्वाधिक संख्या है. इसके साथ ही संक्रमण के कुल मामले पांच लाख से अधिक हो गए और मृतकों की संख्या 7,943 हो गई.

सरकार ने की सर्वदलीय बैठक, सभी दलों ने सहयोग का भरोसा दिलाया

दिल्ली में कोविड-19 महामारी की स्थिति को लेकर सर्वदलीय बैठक के बाद आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार रोजाना आरटीपीसीआर जांच की संख्या 18,000 से बढ़ाकर 27,000 करेगी और महामारी को रोकने के लिए बाजार बंद करने के बारे में निर्णय लेने से पहले मुख्यमंत्री केजरीवाल बाजार संघों के प्रतिनिधियों से मिलेंगे.

बैठक के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘आज सर्वदलीय बैठक में सभी दलों का सहयोग मांगा. ये वक्त राजनीति का नहीं बल्कि सेवा का है. सभी दलों से निवेदन किया कि वे अपने कार्यकर्ताओं से सभी सार्वजनिक स्थलों पर मास्क बंटवाएं. सभी दलों ने आश्वासन दिया कि वे राजनीति छोड़कर जनसेवा करेंगे.’

भारद्वाज ने कहा, ‘हमने कहा कि बाजार बंद करने के किसी भी निर्णय से पहले सरकार द्वारा बाजार संघों से परामर्श किया जाना चाहिए और उन्हें सावधानी बरतने की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि बाजार कोविड-19 हॉटस्पॉट न बन सकें. मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री उनसे मिलेंगे. इसके अलावा जिलाधिकारी और विधायक से भी चर्चा की जाएगी.’

भाजपा और कांग्रेस ने सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा पर प्रतिबंध का मुद्दा उठाया और मांग की कि सरकार आवश्यक कोविड-19 सुरक्षा निर्देशों के अनुपालन के साथ इसकी अनुमति दे.

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष अदेश गुप्ता ने कहा कि सरकार को बाजार बंद करने के बजाय बाजार वाली जगहों पर जागरूकता फैलाने पर ध्यान देना चाहिए. दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि दिल्ली सरकार को लॉकडाउन और बाजार बंदी को लेकर इस भ्रम को स्पष्ट करना चाहिए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)