यूपी: गैंगस्टर विकास दुबे से संबंध के आरोप में 37 पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के आदेश

बीते दो जुलाई को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के गांव बिकरू निवासी गैंगस्टर विकास दुबे को उसके गांव पकड़ने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया था, जिसमें आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे. नौ जुलाई को उज्जैन से गिरफ़्तार कर उत्तर प्रदेश लाने के दौरान पुलिस ने विकास दुबे को मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था.

Kanpur: A special investigation team visits the Bikaru Village, where eight policemen were killed by gangster Vikas Dubey on July 3, for investigation into the case in Kanpur, Sunday, July 12, 2020. Dubey was also killed in an encounter on July 10. (PTI Photo)

बीते दो जुलाई को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के गांव बिकरू निवासी गैंगस्टर विकास दुबे को उसके गांव पकड़ने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया था, जिसमें आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे. नौ जुलाई को उज्जैन से गिरफ़्तार कर उत्तर प्रदेश लाने के दौरान पुलिस ने विकास दुबे को मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था.

Kanpur: A special investigation team visits the Bikaru Village, where eight policemen were killed by gangster Vikas Dubey on July 3, for investigation into the case in Kanpur, Sunday, July 12, 2020. Dubey was also killed in an encounter on July 10. (PTI Photo)
(फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश सरकार ने राज्‍य के पुलिस महानिदेशक को विशेष जांच दल (एसआईटी) की सिफारिश के आधार पर कानपुर में गैंगस्टर विकास दुबे के साथ हुई मुठभेड़ से संबंधित मामले में बिकरू कांड में 37 पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

राज्य के गृह सचिव तरुण गाबा ने एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर पिछले दिनों पुलिस महानिदेशक और अपर पुलिस महानिदेशक कानपुर को 37 पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए. इसमें वृहद दंड (सेवा समाप्‍त) और लघु दंड (पदावनति) की कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.

कानपुर के चौबेपुर थाने के तहत आने वाले बिकरू गांव के गैंगस्‍टर विकास दुबे से संबंधों के आरोप में आठ पुलिसकर्मियों की सेवा समाप्‍त, छह पुलिसकर्मियों की पदावनति और 23 पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाही जल्‍द शुरू हो सकती है.

प्रशासन ने जिन आठ पुलिस अधिकारियों की सेवा समाप्त करने के निर्देश दिए हैं, उनमें कानपुर के चौबेपुर थाने में तैनात पूर्व थानाध्‍यक्ष विनय तिवारी (अब जेल में निरूद्ध), पूर्व में चौबेपुर में तैनात पुलिस उपनिरीक्षक अजहर इशरत, कृष्‍ण कुमार शर्मा, कुंवर पाल सिंह, विश्‍वनाथ मिश्रा, लखनऊ के कृष्‍णानगर में तैनात उप निरीक्षक अवनीश कुमार सिंह, चौबेपुर में तैनात रहे आरक्षी अभिषेक कुमार और रिक्रूट आरक्षी राजीव कुमार का नाम शामिल है.

शासन से पदावनति के लिए जिन पुलिसकर्मियों का नाम प्रस्‍तावित किया गया है, उनमें बजरिया के निरीक्षक राममूर्ति यादव, लखनऊ कृष्‍णानगर के पूर्व निरीक्षक अंजनी कुमार पांडेय, उपनिरीक्षक चौबेपुर दीवान सिंह, मुख्‍य आरक्षी लायक सिंह, आरक्षी विकास कुमार और कुंवर पाल सिंह शामिल हैं.

इसके अलावा शासन ने 23 पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाही के निर्देश दिए हैं. सरकार ने कानपुर में पुलिस प्रमुख रह चुके आईपीएस अधिकारी अनंत देव को गैंगस्‍टर विकास दुबे से साठगांठ के आरोप में पिछले हफ्ते निलंबित कर दिया था.

अपर मुख्‍य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्‍थी ने कहा कि अनंत देव को एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर निलंबित किया गया है.

मालूम हो कि दो जुलाई की देर रात उत्तर प्रदेश में कानपुर के चौबेपुर थानाक्षेत्र के बिकरू गांव में पुलिस की एक टीम गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई थी, जब विकास और उसके साथियों ने पुलिस पर हमला कर दिया था.

इस मुठभेड़ में डिप्टी एसपी सहित आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी और विकास दुबे फरार हो गया था.

पुलिस के मुताबिक, विकास दुबे को नौ जुलाई को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार कर उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (यूपी-एसटीएफ) का दल अपने साथ कानपुर ला रहा था कि पुलिस दल की एक गाड़ी पलट गई.

पुलिस का कहना था कि इस दौरान विकास दुबे ने भागने की कोशिश की तो पुलिस को गोली चलानी पड़ी, जिसके बाद दुबे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.

दुबे 10 जुलाई को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था और 11 जुलाई को एसआईटी का गठन किया गया था.

इस संबंध में सरकार ने पुलिसकर्मियों और गैंगस्‍टर के बीच साठ-गांठ की जांच के लिए तीन सदस्‍यीय एसआईटी का गठन किया था. एसआईटी ने बीते दिनों राज्‍य सरकार को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें पुलिसकर्मियों और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिसकर्मी विकास दुबे के लिए कथित रूप से मुखबिरी करते थे और पुलिस जब भी छापेमारी के लिए पहुंचती थी, तो उसे बता देते थे.

एसआईटी ने विकास दुबे के मोबाइल फोन के पिछले एक वर्ष तक के रिकॉर्ड खंगाले, तो पता चला कि कई पुलिसकर्मी उसके नियमित संपर्क में थे.

सरकार ने 11 जुलाई को अपर मुख्‍य सचिव स्‍तर के अधिकारी संजय भूस रेड्डी के नेतृत्‍व में एसआईटी का गठन किया था, जिसमें अपर पुलिस महानिदेशक हरीराम शर्मा और पुलिस उप महानिरीक्षक जे. रवींद्र गौड़ शामिल थे. एसआईटी को पहले 31 जुलाई तक रिपोर्ट देनी थी, लेकिन सरकार ने बाद में समय सीमा बढ़ा दी थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)