निकाले गए संविदा पायलटों को कम से कम एक महीने का वेतन देने पर विचार करे एयर इंडिया: अदालत

दिल्ली हाईकोर्ट संविदा पायलटों को निकाले जाने के संदर्भ में दाख़िल दो याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है. एयर इंडिया द्वारा इन पायलटों की सेवा दो अप्रैल से निलंबित कर दी गई थी. बाद में अगस्त माह में इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था.

(फोटो: पीटीआई)

दिल्ली हाईकोर्ट संविदा पायलटों को निकाले जाने के संदर्भ में दाख़िल दो याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है. एयर इंडिया द्वारा इन पायलटों की सेवा दो अप्रैल से निलंबित कर दी गई थी. बाद में अगस्त माह में इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था.

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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एयर इंडिया से संविदा पर रखे उन पायलटों को कम से कम एक महीने का वेतन देने पर विचार करने को कहा है, जिनकी सेवा अप्रैल में निलंबित कर दी गई और बाद में उन्हें अगस्त में बर्खास्त कर दिया गया था.

इस मामले की सुनवाई बीते 23 नवंबर को हुई थी. इस दौरान जस्टिस नवीन चावला की पीठ ने कहा कि कर्मचारियों को यूं इस तरह अधर में लटकाकर नहीं छोड़ा जा सकता है.

उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र की एयर इंडिया के वकील से कहा कि कंपनी इन 61 संविदा पायलटों को एक महीने का वेतन देने की दिशा में काम करे. इन्हें अगस्त में बर्खास्त कर दिया गया था.

अदालत ने विमानन कंपनी से इन पायलटों की शिकायतें सुनकर उनका उपयुक्त निवारण करने के दिशानिर्देश दिए.

अदालत ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 16 दिसंबर तय की है.

दिल्ली उच्च न्यायालय संविदा पायलटों को निकाले जाने के संदर्भ में दाखिल दो याचिकाओं की सुनवाई कर रही है. इन पायलटों की सेवा दो अप्रैल से निलंबित कर दी गई थी. बाद में अगस्त माह में इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अधिवक्ताओं- ललित भारद्वाज, कृष्ण गोपाल और जतिन आनंद द्विवेदी के माध्यम से पायलटों ने एयर इंडिया को यह निर्देश देने की मांग कि है कि वह अपने अनुबंध को बहाल करे या उनके लाइसेंस के साथ 1 अप्रैल से उड़ान भत्ते के साथ वेतन का भुगतान करें.

वहीं, एयर इंडिया ने अपने फैसले का बचाव करते हुए अदालत को बताया कि लॉकडाउन के बाद उसके नियमित पायलटों में से 90 प्रतिशत घर बैठे हैं, क्योंकि अधिकांश उड़ानें बंद पड़ी हैं. उसे हर महीने 1,300 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हो रहा है.

साथ ही यह भी कहा कि संविदात्मक दायित्वों को एक रिट याचिका के माध्यम से लागू करने की मांग नहीं की जा सकती और एक सिविल मुकदमा दायर किया जाना चाहिए.

अदालत ने सुनवाई के दौरान एयरलाइन से पूछा कि अगर वह लॉकडाउन के बाद किसी और पायलट को काम पर नहीं लगा सकती थी तो उसने अप्रैल में ही पायलटों को बर्खास्त क्यों नहीं किया.

इस पर एयरलाइन ने कहा कि यह निश्चित नहीं था कि उड़ानों का संचालन कब तक प्रभावित होगा, इसलिए उनकी सेवाओं को समाप्त नहीं किया था.

बाद में अदालत ने कहा, ‘हम मौजूदा असाधारण स्थिति में एयरलाइन द्वारा सामना की जा रहीं समस्याओं को समझते हैं, लेकिन हम कर्मचारियों को इस तरह अधर में लटका कर छोड़ नहीं सकते. इसलिए उन्हें कम से कम एक महीने का वेतन दें.’

बता दें कि एयर इंडिया ने अप्रैल महीने में अपने करीब 200 अस्थायी कर्मचारियों के अनुबंध निलंबित कर दिए थे, जिनमें कुछ पायलट भी शामिल थे.

एयर इंडिया ने बताया था कि लॉकडाउन के कारण सभी विमानों का संचालन बंद होने से एयरलाइन के राजस्व में बड़ी गिरावट आई है, जिसे देखते हुए एयरलाइन ने कुछ पायलटों समेत 200 कर्मचारियों के अनुबंध निलंबित कर दिए गए हैं जिन्हें सेवानिवृत्ति के बाद नियुक्ति दी गई थीं.

बीते 13 अगस्त को एयर इंडिया ने 48 पायलटों को बर्खास्त कर दिया था. इन 48 पायलटों ने पिछले साल इस्तीफा देने के बाद नियमों के अनुसार छह महीने के नोटिस पीरियड के अंदर अपना इस्तीफा वापस ले लिया था.

बर्खास्तगी पत्र में इस फैसले के लिए एयर इंडिया ने विमान सेवा की आर्थिक स्थिति और कोविड-19 महामारी को बताया था.

बता दें कि कोरोना महामारी के कारण 23 मार्च से सभी उड़ानें रद्द कर दी गईं थी. बीते 25 मई से घरेलू उड़ानों को बहाल दर दिया गया लेकिन भारत में अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानें अभी भी निलंबित हैं.

हालांकि, भारतीय एयरलाइनों को इस साल मई से वंदे भारत मिशन और जुलाई से द्विपक्षीय एयर बबल पैक्ट के तहत विशेष अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित करने की अनुमति दी गई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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