कोर्ट ने कंगना रनौत की बिल्डिंग पर बीएमसी की कार्रवाई ख़ारिज की, कहा- यह दुर्भावना से प्रेरित

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि किसी नागरिक के ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान के चलते सरकार ऐसे दुर्भावनापूर्ण क़दम नहीं उठा सकती है. कोर्ट ने कंगना रनौत के बयान को भी अस्वीकार किया और कहा कि उन्हें सार्वजनिक टिप्पणी करते वक़्त सावधानी बरतनी चाहिए. बीते नौ सितंबर को बीएमसी अभिनेत्री के बांद्रा स्थित बंगले में हुए ‘अवैध निर्माणों’ को ढहा दिया था.

कंगना रनौत. (फोटो: पीटीआई)

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि किसी नागरिक के ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान के चलते सरकार ऐसे दुर्भावनापूर्ण क़दम नहीं उठा सकती है. कोर्ट ने कंगना रनौत के बयान को भी अस्वीकार किया और कहा कि उन्हें सार्वजनिक टिप्पणी करते वक़्त सावधानी बरतनी चाहिए. बीते नौ सितंबर को बीएमसी अभिनेत्री के बांद्रा स्थित बंगले में हुए ‘अवैध निर्माणों’ को ढहा दिया था.

कंगना रनौत. (फोटो: पीटीआई)
कंगना रनौत. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: अभिनेत्री कंगना रनौत को बड़ी राहत देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को शिवसेना नियंत्रित बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के उस नोटिस और आदेश को खारिज कर दिया, जिसके तहत कंगना का बंगला ढहाने का निर्देश दिया गया था.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि यह आदेश ‘दुर्भावना’ से प्रभावित था. इसके साथ ही कोर्ट ने एक मूल्यकार/सर्वेक्षक की नियुक्ति की है, जो कंगना की बिल्डिंग को हुए नुकसान का आकलन कर मार्च 2021 तक एक रिपोर्ट सौंपेगा, जिसके आधार पर कंगना रनौत को इसकी भरपाई की जाएगी.

अपने फैसले ने कोर्ट ने यह भी कहा कंगना द्वारा की गईं टिप्पणियां उचित नहीं थीं और उन्हें सार्वजनिक मंच से ऐसा कुछ बोलते हुए सावधानी बरतना चाहिए. हालांकि इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी नागरिक के गैर-जिम्मेदाराना बयान के आधार पर सरकार दुर्भावनापूर्ण कदम नहीं उठा सकती है. इस तरह की टिप्पणियों को उन्हें नजरअंदाज करना चाहिए.

हाईकोर्ट ने कहा कि केस के बैकग्राउंड से पता चलता है कि ये कार्रवाई बदनीयत के इरादे से अभिनेत्री के ट्वीट और बयानों के चलते की गई थी. इसके पर्याप्त प्रमाण उपलब्ध हैं.

न्यायालय ने कहा कि जिस तरीके से रनौत के बांद्रा स्थित बंगले में ‘अवैध निर्माणों’ को ढहाया गया, वह अनधिकृत था और याचिकाकर्ता को कानूनी उपाय लेने से रोकना भयावह था. बीएमसी की कार्रवाई को केवल एक नागरिक के अधिकारों की जान-बूझकर अवहेलना की कार्रवाई के रूप में माना जा सकता है.

कोर्ट ने कंगना रनौत को इजाजत दी है कि वे अपने घर को रहने योग्य बनाने के लिए अपने हिसाब से कदम उठा सकती हैं. यदि इसके पुनर्निर्माण की जरूरत पड़ती है तो उन्होंने इसके लिए इजाजत लेनी होगी.

इस मामले में लंबी बहस होने के बाद बीते पांच अक्टूबर को जस्टिस एसजे काथावाल्ला और रियाज छागला की पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

मालूम हो कि नौ सितंबर को बीएमसी अभिनेत्री कंगना रनौत के बांद्रा स्थित बंगले में हुए ‘अवैध निर्माणों’ को ढहा दिया था.

इसे लेकर राज्य सरकार की काफी आलोचना हुई और सवाल किया गया कि आखिर क्यों इसी समय और सिर्फ रनौत के बंगले पर ही कार्रवाई की गई?

कंगना रनौत ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार उन्हें शिवसेना के साथ उनकी लड़ाई के चलते निशाना बना रही है, जब उन्होंने मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से की थी.

रनौत ने कहा था कि बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद उन्हें फिल्म माफिया से कहीं अधिक डर मुंबई पुलिस से लगता है.