बिहार फोन कॉल विवाद: भाजपा विधायक ने लालू यादव के ख़िलाफ़ केस दर्ज कराया

भाजपा विधायक ललन पासवान ने आरोप लगाया था कि बिहार में विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले चारा घोटाले में रांची में सज़ा काट रहे लालू यादव ने उन्हें फोन कर मंत्री पद का लालच देकर चुनाव में अनुपस्थित रहने को कहा था.

लालू प्रसाद यादव (फोटो: पीटीआई)

भाजपा विधायक ललन पासवान ने आरोप लगाया था कि बिहार में विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले चारा घोटाले में रांची में सज़ा काट रहे लालू यादव ने उन्हें फोन कर मंत्री पद का लालच देकर चुनाव में अनुपस्थित रहने को कहा था.

लालू प्रसाद यादव (फोटो: पीटीआई)
लालू प्रसाद यादव (फोटो: पीटीआई)

पटना/रांची: राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद के खिलाफ बृहस्पतिवार को भाजपा विधायक ललन पासवान ने प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिन्हें कथित तौर पर लालू प्रसाद ने फोन कर विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव में राजग उम्मीदवार को हराने में मदद करने के बदले मंत्री पद देने की पेशकश की थी.

पासवान ने सतर्कता विभाग के पास प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने कहा कि राजद प्रमुख के कथित कृत्य को ‘भ्रष्टाचार’ के रूप में देखा जाए. विधानसभा के सदस्य के तौर पर वह एक लोक सेवक हैं, जिन्हें प्रसाद ने सदन में मतदान में भाग लेने की संवैधानिक बाध्यता को पूरा करने से रोकने की कोशिश की.

लालू फिलहाल चारा घोटाला के मामलों में रांची में अपनी सजा काट रहे हैं. फिलहाल वह खराब स्वास्थ्य की वजह से रांची स्थित रिम्स (अस्पताल) में भर्ती हैं. उन्हें रिम्स निदेशक के बंगले से वापस पेइंग वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया है.

इस बीच ख़बर है कि लालू प्रसाद यादव द्वारा रिम्स में इलाज के दौरान प्राप्त सुविधाओं का कथित रूप से दुरुपयोग करने के मामले पर झारखंड उच्च न्यायालय चार दिसंबर को सुनवाई करेगा.

गौरतलब है कि भाजपा विधायक और  राजग उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा ने राजद के उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी को हराकर विधानसभा अध्यक्ष का पद पाया. भाजपा विधायक विजय कुमार सिन्हा को 126 वोट मिले, जबकि विपक्षी महागठबंधन के उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी को 114 मत हासिल हुए.

प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पासवान ने कहा, ‘यह कांड राजद की मानसिकता को दर्शाता है, जिसने 15 साल से सत्ता से बाहर रहने के बावजूद कोई सबक नहीं सीखा है. मैं एक दलित हूं और सिर्फ 928 रुपये के बैंक बैलेंस के साथ नव-गठित विधानसभा का सबसे गरीब सदस्य हूं.’

उन्होंने कहा, ‘राजद नेतृत्व को लगता है कि इस तरह के सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के लोग हमेशा बिकने के लिए तैयार रहते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘उनकी वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए मैंने उनका आदर से अभिवादन किया, यहां तक कि चरण स्पर्श कर प्रणाम किया. लेकिन उन्होंने जो कहा वह मुझे आहत कर गया. शुक्र है कि मैं उस वक्त हमारे वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी के घर पर था, जिन्होंने मेरी सहायता की.’

गौरतलब है कि बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने मंगलवार रात अपने ट्विटर अकाउंट से उस कथित फोन कॉल का विवरण साझा किया था.

उन्होंने सोशल मीडिया पर विधायक ललन पासवान द्वारा दायर प्राथमिकी की प्रति के साथ यह जानकारी साझा की.

सुशील मोदी द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक पीरपैंती से विधायक ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत सतर्कता पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है.

लालू द्वारा यह कथित फोन बीते 24 नवंबर को किया गया था और सुशील मोदी द्वारा उनके ट्विटर अकाउंट से साझा किए गए इसके कथित ऑडियो क्लिप में वह पासवान से ‘कोरोना से पीड़ित होने का उल्लेख कर अनुपस्थित रहने’ की बात करते सुने जा सकते हैं.

ऑडियो में कथित तौर पर लालू यादव को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘हम लोग तुमको आगे भी बढ़ाएंगे. तुम कल जो स्पीकर का चुनाव है, उसमें हम लोग का साथ दो. हम तुमको मंत्री बनाएंगे. कल तो इनको हम गिरा देंगे.’

ऑडियो में विधायक अपनी पार्टी के खिलाफ वोट करने में अपनी दिक्कतों को बता रहे हैं जिस पर कथित तौर पर लालू कहते हैं, ‘पार्टी में हो तो ऐबसेंट हो जाओ न. कोरोना हो गया था. फिर स्पीकर हमारा हो जाएगा तो हम लोग देख लेंगे.’

भाजपा विधायक ललन पासवान ने दावा किया था कि सुशील कुमार मोदी की मौजूदगी में ही उनकी लालू यादव से यह बातचीत हुई थी.

पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने भी यह खुलासा किया कि राजद सुप्रीमो ने उनके करीबी सहयोगियों को भी विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर बात करने के लिये कई फोन किए थे.

रिम्स में सुविधाओं का दुरुपयोग के मामले में लालू के खिलाफ चार दिसंबर को होगी सुनवाई

लालू प्रसाद यादव द्वारा रिम्स में इलाज के दौरान प्राप्त सुविधाओं का कथित रूप से दुरुपयोग करने के मामले पर झारखंड उच्च न्यायालय चार दिसंबर को सुनवाई करेगा.

झारखंड उच्च न्यायालय में लालू की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान इसका विरोध करते हुए सीबीआई ने कहा कि उन्होंने रिम्स में अपने इलाज के दौरान सुविधाओं का बहुत दुरुपयोग किया है.

केंद्रीय जांच एजेंसी की दलील पर झारखंड उच्च न्यायालय के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने कहा कि इस संबंध में सुनवाई चार दिसंबर को होगी.

इससे पहले अदालत के छह नवंबर के आदेश पर झारखंड के जेल महानिरीक्षक और बिरसा मुंडा जेल अधीक्षक ने न्यायिक हिरासत के दौरान लालू से मिलने वालों के बारे में स्पष्टीकरण के साथ अपना जवाब पिछले सप्ताह दाखिल कर दिया था. अदालत ने आज इसी पर संज्ञान लिया.

अदालत ने सुविधाओं के दुरुपयोग के मामले में राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए उससे चार दिसंबर से पहले अधिवक्ता की नियुक्ति करने को कहा है.

लालू को निदेशक के बंगले से किया गया स्थानांतरित

इस फोन कॉल विवाद के बाद चारा घोटाले में सजायाफ्ता राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को रांची में रिम्स (अस्पताल) के निदेशक के बंगले से अस्पताल के पेइंग वार्ड में वापस स्थानांतरित कर दिया गया है.

रिम्स के अतिरिक्त निदेशक एवं झारखंड के संयुक्त स्वास्थ्य सचिव डॉ. वाघमारे कृष्ण प्रसाद ने को बताया कि लालू प्रसाद को बृहस्पतिवार को रिम्स निदेशक के ‘केली’ बंगले से पेइंग वार्ड के कमरा नंबर ए-11 में वापस स्थानांतरित कर दिया गया.

उन्होंने बताया कि लालू प्रसाद को बृहस्पतिवार शाम लगभग चार बजे पेइंग वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया.

लालू प्रसाद को अगस्त के प्रथम सप्ताह में रिम्स निदेशक के बंगले में स्थानांतरित किया गया था. रिम्स प्रशासन ने उस समय कहा था कि रिम्स के पेइंग वार्ड में संक्रमण के खतरे को देखते हुए ही उन्हें सुरक्षा की दृष्टि से निदेशक के बंगले में स्थानांतरित किया गया था.

वाघमारे ने बताया कि रिम्स प्रशासन ने पेइंग वार्ड में लालू के इलाज के लिए उचित व्यवस्था को देखते हुए उन्हें वापस वहां भेजने का निर्णय लिया.

इस बीच, रांची स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार के अधीक्षक हामिद अख्तर ने बताया कि लालू प्रसाद को रिम्स निदेशक के केली बंगले से स्थानांतरित करने वह स्वयं रिम्स पहुंचे थे.

उन्होंने बताया कि जब वह केली बंगले पहुंचे, तो लालू प्रसाद सो रहे थे, लिहाजा उन्हें उठाकर रिम्स के पेइंग वार्ड के कक्ष संख्या ए-11 में स्थानांतरित कराया गया.

झारखंड के जेल महानिरीक्षक वीरेंद्र भूषण ने इस संबंध में पूछे जाने पर बताया कि उन्होंने स्वयं जेल अधीक्षक को लालू प्रसाद को पेइंग वार्ड में भेजने के निर्देश दिए थे.

यह पूछे जाने पर कि यह निर्णय बृहस्पतिवार को ही क्यों लिया गया, भूषण ने बताया, ‘वास्तव में लालू प्रसाद को वापस पेइंग वार्ड में स्थानांतरित करने का निर्णय रिम्स प्रशासन की सहमति से पहले ही ले लिया गया था और इसकी तैयारी पहले से ही चल रही थी. संयोगवश, आज ही उन्हें स्थानांतरित किया गया.’

उन्होंने कहा कि वैसे भी जब प्रसाद को केली बंगले में स्थानांतरित किया गया था, तब वह बंगला खाली था, लेकिन अब रिम्स में नए निदेशक ने पदभार संभाल लिया है और वह बंगला खाली होने के इंतजार में स्वयं अतिथि गृह में रह रहे हैं. ऐसे में निदेशक के बंगले से लालू प्रसाद को स्थानांतरित किया ही जाना था.

हालांकि गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मंगलवार के ‘फोन विवाद’ के बाद राज्य के गृह सचिव ने स्वयं जेल प्रशासन को लालू के मामले में सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद उन्हें बंगले से स्थानांतरित करने के लिए कार्रवाई हुई.

दूसरी ओर, भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने दावा किया कि भाजपा द्वारा लालू प्रसाद और राजद के ‘गैरकानूनी कार्यों’ को उजागर किए जाने से दबाव में आई हेमंत सोरेन सरकार ने आनन-फानन में लालू को वापस रिम्स के पेइंग वार्ड में स्थानांतरित किया.

उन्होंने कहा कि वास्तव में लालू प्रसाद को वापस बिरसा मुंडा जेल में ही भेजना चाहिए. उनके पेइंग वार्ड में रहने का कोई औचित्य नहीं है.

इस बीच जेल महानिरीक्षक भूषण ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘लालू जिला प्रशासन के मातहत रिम्स में इलाजरत हैं, लिहाजा उन्हें जेल अधीक्षक ने जिला प्रशासन की जानकारी में दो सेवादार रखने की छूट दी है, जो जेल नियमावली के तहत मान्य है.’

भूषण ने एक बार फिर साफ किया कि रिम्स में भर्ती होने के दौरान लालू की सुरक्षा और जेल नियमावली के अनुपालन कराने की पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और पुलिस की है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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