किसान आंदोलन: यूएन प्रमुख और ब्रिटिश सांसदों ने कहा- शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार

केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में बीते 26 नवंबर से किसानों का प्रदर्शन जारी है. भारत ने किसान प्रदर्शनों के बारे में दुनियाभर के नेताओं और वैश्विक संस्थाओं की टिप्पणियों को ‘भ्रामक’ और ‘गैर जरूरी’ बताया है और कहा है कि यह एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से जुड़ा विषय है.

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New Delhi: Farmers at Singhu border during their ongoing protest march Delhi Chalo against Centres new farm laws, in New Delhi, Sunday, Nov. 29, 2020. (PTI Photo/Atul Yadav)(PTI29-11-2020 000032B)

केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में बीते 26 नवंबर से किसानों का प्रदर्शन जारी है. भारत ने किसान प्रदर्शनों के बारे में दुनियाभर के नेताओं और वैश्विक संस्थाओं की टिप्पणियों को ‘भ्रामक’ और ‘गैर जरूरी’ बताया है और कहा है कि यह एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से जुड़ा विषय है.

New Delhi: Farmers at Singhu border during their ongoing protest march Delhi Chalo against Centres new farm laws, in New Delhi, Sunday, Nov. 29, 2020. (PTI Photo/Atul Yadav)(PTI29-11-2020 000032B)
दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर किसान बीते 11 दिनों से धरने पर बैठे हैं. (फोटो: पीटीआई)

संयुक्त राष्ट्र/लंदन: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता और ब्रिटेन के विभिन्न दलों के 36 सांसदों ने भारत में केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसानों के प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कहा है कि लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार है और अधिकारियों को उन्हें यह करने देना चाहिए.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने शुक्रवार को कहा, ‘जहां तक भारत का सवाल है तो मैं वही कहना चाहता हूं कि जो मैंने इन मुद्दों को उठाने वाले अन्य लोगों से कहा है कि लोगों को शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का अधिकार है और अधिकारियों को उन्हें यह करने देना चाहिए.’

दुजारिक भारत में किसानों के प्रदर्शन से जुड़े एक सवाल पर प्रतिक्रिया दे रहे थे.

हजारों किसान सितंबर में भारत में लागू तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हुए 26 नवंबर से राजधानी दिल्ली की अनेक सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

ब्रिटेन में विभिन्न दलों के 36 सांसदों के एक समूह ने विदेश मंत्री डॉमिनिक राब को पत्र लिखकर उनसे कहा है कि भारत में नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के ब्रिटिश पंजाबी लोगों पर प्रभाव के बारे में वह अपने भारतीय समकक्ष एस. जयशंकर को अवगत कराएं.

पत्र में कहा गया है कि यह ब्रिटेन में सिखों और पंजाब से जुड़े लोगों के लिए विशेष रूप से चिंता का विषय है, हालांकि अन्य भारतीय राज्यों पर भी इसका खासा प्रभाव पड़ता है. कई ब्रिटिश सिखों और पंजाबी लोगों ने अपने सांसदों के समक्ष इस मामले को उठाया है, क्योंकि वे पंजाब में परिवार के सदस्यों और पैतृक भूमि से सीधे प्रभावित हैं.

यह पत्र शुक्रवार को जारी किया गया और इसे लेबर पार्टी के सिख सांसद तनमनजीत सिंह धेसी ने तैयार किया है. इस पर भारतीय मूल के कई सांसदों के हस्ताक्षर हैं. इन नेताओं में वीरेंद्र शर्मा, सीमा मल्होत्रा और वेलेरी वाज के साथ ही जेरेमी कॉर्बिन भी शामिल हैं.

सांसदों के इस पत्र में मंत्री से आग्रह किया गया है कि वह ‘पंजाब में बिगड़ती स्थिति’ पर चर्चा करने के लिए उनके साथ तत्काल बैठक करें. इसके साथ ही इस मुद्दे पर भारत सरकार के साथ विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) के किसी भी संवाद के बारे में अद्यतन जानकारी देने की मांग की गई है. एफसीडीओ ने कहा कि उसे अभी तक पत्र नहीं मिला है.

भारत ने किसान प्रदर्शनों के बारे में विदेशी नेताओं की टिप्पणियों को ‘भ्रामक’ और ‘गैर जरूरी’ बताया और कहा कि यह एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से जुड़ा विषय है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने विदेशी नेताओं की टिप्पणियों के बारे में मंगलवार को कहा था, ‘हमने भारत में किसानों से संबंधित कुछ ऐसी टिप्पणियों को देखा है जो भ्रामक सूचनाओं पर आधारित हैं. इस तरह की टिप्पणियां अनुचित हैं, खासकर जब वे एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से संबंधित हों.’

मंत्रालय ने एक कड़े संदेश में कहा, ‘बेहतर होगा कि कूटनीतिक बातचीत राजनीतिक उद्देश्यों के लिए गलत तरीके से प्रस्तुत नहीं की जाएं.’

भारत ने चार दिसंबर को कनाडा के उच्चायुक्त नादिर पटेल को तलब कर उनसे कहा कि किसानों के आंदोलन के संबंध में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और वहां के कुछ अन्य नेताओं की टिप्पणी देश के आंतरिक मामलों में एक ‘अस्वीकार्य हस्तक्षेप’ के समान है.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडाई राजनयिक से यह भी कहा गया गया कि ऐसी गतिविधि अगर जारी रही तो इससे द्विपक्षीय संबंधों को ‘गंभीर क्षति’ पहुंचेगी.

दरअसल, ट्रूडो ने बीते 30 नवंबर को एक फेसबुक लाइव कार्यक्रम के दौरान भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर कहा था, ‘स्थिति चिंताजनक है और हम अपने परिवार और दोस्तों को लेकर बहुत चिंतित हैं. मुझे पता है कि यह आपमें से कई की वास्तविकता है.’

उन्होंने कहा था कि कनाडा शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के लिए हमेशा खड़ा है और उन्होंने भारत सरकार से संवाद कायम (किसानों से) करने की जरूरत बताई थी.

हालांकि, कनाडाई राजदूत को तलब करने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक बार फिर कहा कि उनका देश विश्व में कहीं भी शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि वह तनाव को घटाने और संवाद के लिए कदम उठाए जाने से खुश हैं.

वहीं, ऑस्ट्रेलिया में दक्षिण ऑस्ट्रेलियाई संसद में सदस्य तुंग गो ने बीते दो दिसंबर को भारत सरकार से आग्रह किया था कि किसी भी लोकतंत्र में उसके नागरिकों को मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल करने की अनुमति होनी चाहिए और यहां यह शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करना है.

बता दें कि केंद्र सरकार के तीन विवादित कृषि कानूनों के विरोध में बड़ी संख्या में पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली की सीमाओं पर बीते 11 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. यह प्रदर्शन 26 नवंबर को शुरू हुआ था.

मौजूदा समय में किसान नेता अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार से बातचीत कर रहे हैं. हालांकि शनिवार तक हुई पांच दौर की वार्ता के बाद अभी तक इस संबंध में कोई समाधान नहीं निकल सका है. इस बीच किसानों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है.

(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)

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