नीति आयोग सीईओ बोले, देश में ‘अधिक लोकतंत्र’, बाद में कहा- नहीं दिया ऐसा बयान

एक ऑनलाइन कार्यक्रम में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि देश में कड़े सुधार नहीं ला सकते क्योंकि यहां ‘बहुत ज़्यादा लोकतंत्र’ है. उनके इस बयान से मुकरने के बाद कुछ मीडिया संस्थानों ने इस बारे में प्रकाशित की गई ख़बर हटा ली, हालांकि सामने आए कुछ वीडियो में वे ऐसा कहते नज़र आ रहे हैं.

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New Delhi: NITI Aayog CEO, Amitabh Kant speaks during the 'Circular Economy Symposium 2018' in New Delhi on Monday. (PTI Photo/Kamal Singh)(PTI5_14_2018_000165B)
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत. (फोटो: पीटीआई)

एक ऑनलाइन कार्यक्रम में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि देश में कड़े सुधार नहीं ला सकते क्योंकि यहां ‘बहुत ज़्यादा लोकतंत्र’ है. उनके इस बयान से मुकरने के बाद कुछ मीडिया संस्थानों ने इस बारे में प्रकाशित की गई ख़बर हटा ली, हालांकि सामने आए कुछ वीडियो में वे ऐसा कहते नज़र आ रहे हैं.

New Delhi: NITI Aayog CEO, Amitabh Kant speaks during the 'Circular Economy Symposium 2018' in New Delhi on Monday. (PTI Photo/Kamal Singh)(PTI5_14_2018_000165B)
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत द्वारा मंगलवार को दिए एक बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया, जब उन्होंने एक ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा कि भारत में कड़े सुधार नहीं लाए जा सकते हैं क्योंकि ‘हमारे यहां बहुत ज्यादा लोकतंत्र है.’

हालांकि इस बयान के सामने आने के बाद कांत ने ट्विटर पर ऐसी कोई बात कहने से इनकार किया, लेकिन इस कार्यक्रम के कुछ वीडियो क्लिप्स में उन्हें यह कहते हुए देखा जा सकता है.

कांत के इस कार्य्रक्रम में दिए बयान को लेकर समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा खबर जारी की गई थी, जिसे हिंदुस्तान टाइम्स और मिंट द्वारा प्रकाशित किया गया था, हालांकि प्रकाशन के कुछ घंटों के अंदर ही इन्हें वेबसाइट से हटा दिया गया.

हालांकि कई अन्य न्यूज़ आउटलेट, जिन्होंने पीटीआई द्वारा जारी की गई खबर प्रकाशित की थी, उन्होंने उसे नहीं हटाया.

फैक्टचेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ ने भी बताया है कि कांत ने इस कार्यक्रम में यह बात दो बार दोहराई थी.

ऑल्ट न्यूज़ के मुताबिक, कांत ने ‘भारत में बहुत अधिक लोकतंत्र है’ इस कार्यक्रम के दौरान एक नहीं बल्कि दो बार कहा था. कार्यक्रम के वीडियो के 25.43 समय पर वे पहली बार यह बात कहते हैं, ‘भारत में बहुत अधिक लोकतंत्र है इसलिए हम सभी का समर्थन करते हैं.’

वे आगे कहते हैं, ‘पहली बार भारत में सरकार साइज और पैमाने को लेकर बड़ा सोचा और कहा कि हम वैश्विक चैंपियन बनाना चाहते हैं. किसी के पास यह राजनीतिक इच्छाशक्ति और यह कहने का सहस नहीं था कि हम ऐसी पांच कंपनियों के साथ हैं, जो वैश्विक चैंपियन बनना चाहती हैं. सब यही कहा करते थे कि हम भारत में सभी का समर्थन करते हैं, हमें सभी का वोट चाहिए.

इसके बाद 33.03 पर उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘भारत के संदर्भ में कड़े सुधार लाना बहुत मुश्किल है. हमारे यहां बहुत अधिक लोकतंत्र है.’

इसके बाद वे बताते हैं कि कैसे पहली बार सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में सुधार लाने के लिए साहस और दृढ़ता दिखाई. इसके पश्चात उन्होंने इन सुधारों को लाने के लिए जरूरी ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति के बारे में बात की.’

ट्विटर पर @tej_as_f  नाम के यूजर द्वारा शेयर किए गए वीडियो क्लिप में कांत को ऐसा कहते सुना जा सकता है.

समाचार एजेंसी भाषा (पीटीआई की हिंदी सेवा) द्वारा इस बारे में जारी खबर में अमिताभ कांत के बयान में ‘अधिक लोकतंत्र होने’ वाली बात शामिल नहीं है.

एजेंसी के अनुसार, कांत ने कहा कि भारत में कड़े सुधारों को लागू करना कठिन होता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए और बड़े सुधारों की जरूरत है.

स्वराज्य पत्रिका के कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए कांत ने कहा था कि पहली बार केंद्र ने खनन, कोयला, श्रम, कृषि समेत विभिन्न क्षेत्रों में कड़े सुधारों को आगे बढ़ाया है. अब राज्यों को सुधारों के अगले चरण को आगे बढ़ाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘भारत के संदर्भ में कड़े सुधारों को लागू करना बहुत मुश्किल है. इसकी वजह यह है कि चीन के विपरीत हम एक लोकतांत्रिक देश हैं … हमें वैश्विक चैंपियन बनाने पर जोर देना चाहिए. आपको इन सुधारों (खनन, कोयला, श्रम, कृषि) को आगे बढ़ाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है और अभी भी कई सुधार हैं, जिन्हें आगे बढ़ाने की आवश्यकता है.’

उन्होंने यह भी कहा कि कड़े सुधारों को आगे बढ़ाए बिना चीन से प्रतिस्पर्धा करना आसान नहीं है. कांत ने कहा, ‘इस सरकार ने कड़े सुधारों को लागू करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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