कोविड-19 मरीज़ों के घर के बाहर पोस्टर चिपकाने की ज़रूरत नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल एक जनहित याचिका में कहा गया था कि कोविड-19 संक्रमण के पोस्टर घर के बाहर लगाने और मरीज़ों के नाम रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन तथा वॉट्सऐप ग्रुप पर साझा करने से न सिर्फ़ उनके साथ भेदभाव हो रहा है, बल्कि बेवजह लोगों का ध्यान उन पर जा रहा है.

(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल एक जनहित याचिका में कहा गया था कि कोविड-19 संक्रमण के पोस्टर घर के बाहर लगाने और मरीज़ों के नाम रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन तथा वॉट्सऐप ग्रुप पर साझा करने से न सिर्फ़ उनके साथ भेदभाव हो रहा है, बल्कि बेवजह लोगों का ध्यान उन पर जा रहा है.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के घर के बाहर पोस्टर चिपकाने की आवश्यकता नहीं है और इस तरह की कवायद आपदा प्रबंधन कानून के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्देश जारी किए जाने पर ही की जा सकती है.

शीर्ष अदालत ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों का संज्ञान लेते हुए कहा कि इसमे कहीं भी कोविड मरीजों के घर के बाहर पोस्टर चिपकाने की किसी अनिवार्यता का जिक्र नहीं है.

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मार्ग निर्देशन के लिए पहले ही 19 नवंबर, 2020 को एक आदेश जारी किया था, हम सिर्फ यही टिप्पणी कर रहे हैं कि अभी किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को कोविड-19 के मरीज के घर के बाहर पोस्टर लगाने की जरूरत नहीं है.’

पीठ ने कहा, ‘राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश इस तरह की कवायद तभी कर सकते हैं जब इस बारे में आपदा प्रबंधन कानून, 2005 के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा कोई निर्देश जारी किया गया हो. तदनुसार इस याचिका का निस्तारण किया जाता है.’

शीर्ष अदालत ने कोविड-19 के मरीजों के घर के बाहर पोस्टर लगाने की व्यवस्था खत्म करने के निर्देश के लिए कुश कालरा की जनहित याचिका पर यह व्यवस्था दी.

पीठ ने अपने 11 पृष्ठों के फैसले में इस तथ्य का जिक्र किया कि सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने ‘स्पष्ट शब्दों में’ इस बारे में केंद्र का दृष्टिकोण रखा है और कहा है कि न तो इस तरह का कोई निर्देश दिया गया है और न किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के लिए ऐसे पोस्टर लगाने की जरूरत है.’

पीठ ने अपने फैसले में इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि कोविड-19 के बहुत ही हल्के लक्षण/कोई लक्षण नहीं होने के मामले घर में ही पृथकवास के बारे में केंद्र द्वारा दो जुलाई को जारी परिवर्तित दिशा निर्देशों में भी कोविड मरीजों के घरों के बाहर पोस्टर लगाने के बारे में कोई निर्देश नहीं है.

साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि मंत्रालय ने 19 नवंबर को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे गए पत्र में फिर दोहराया कि दिशा निर्देशों में इस तरह का कोई निर्देश या दिशा निर्देश शामिल नहीं है.

पीठ ने कहा, ‘हालांकि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका के पक्ष में कई दलीलें दी हैं लेकिन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशा   निर्देशों के मद्देनजर उपरोक्त विस्तृत कथन पर मौजूदा याचिका में विचार करने की जरूरत नही है.’

इन दिशानिर्देशों में कहीं भी कोविड-19 के मरीज के घर के बाहर पोस्टर लगाने की आवश्यकता का जिक्र नहीं है.

इस याचिका में याचिकाकर्ता ने कोविड-19 के मरीजों या पृथकवास में रहने वालों के घर के बाहर पोस्टर चिपकाने के बारे में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के फैसले पर सवाल उठाए थे.

याचिका में कहा गया था कि इस तरह से घर के बाहर पोस्टर लगाए जाने से लोगों के निजता और सम्मान के साथ जीने के अधिकारों का हनन हो रहा है.

याचिका में राज्यों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोविड-19 के मरीजों के घर के बाहर इस तरह से पोस्टर लगाने की व्यवस्था खत्म करने और कोविड मरीजों के नामों का कालोनियों तथाअपार्टमेंट में प्रसार करने पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था.

याचिका में कहा गया था कि पंजाब और दिल्ली ने कोविड-19 के मरीजों के घर के बाहर पोस्टर चिपकाने के निर्देश जारी किए थे जिन्हे बाद में वापस ले लिया गया था.

केंद्र ने इससे पहले शीर्ष अदालत से कहा था कि दिशा-निर्देशों में कोविड-19 मरीजों के घर के बाहर पोस्टर लगाने संबंधी कोई निर्देश नहीं दिया गया है और पोस्टर लगाने का मकसद किसी को ‘कलंकित करने की मंशा’ नहीं हो सकता.

न्यायालय ने एक दिसंबर को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि कोविड-19 मरीजों के मकान के बाहर एक बार पोस्टर लग जाने पर उनके साथ ‘अछूतों’ जैसा व्यवहार होता है और यह जमीनी स्तर पर एक अलग हकीकत बयान करता है.

स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा था, ‘उसके दिशा-निर्देशों में संक्रमित लोगों के घर के बाहर पोस्टर या साइनेज लगाने संबंधी कोई निर्देश नहीं दिया गया है.’

सॉलिसीटर जनरल ने न्यायालय से कहा था कि कुछ राज्य संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए अपने स्तर पर ऐसा कर रहे हैं.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq