राजस्थान: कोटा के सरकारी अस्पताल में बीते 24 घंटे में नौ बच्चों की मौत, जांच का आदेश

राजस्थान के कोटा शहर स्थित जेके लोन अस्पताल का मामला. पिछले साल दिसंबर महीने में भी इस अस्पताल में 100 से अधिक शिशुओं की मौत को लेकर काफी हंगामा मचा था.

कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल. (फोटो साभार: ट्विटर/@Pintuchoudhry3)

राजस्थान के कोटा शहर स्थित जेके लोन अस्पताल का मामला. पिछले साल दिसंबर महीने में भी इस अस्पताल में 100 से अधिक शिशुओं की मौत को लेकर काफी हंगामा मचा था.

कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल. (फोटो साभार: ट्विटर/@Pintuchoudhry3)
कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल. (फोटो साभार: ट्विटर/@Pintuchoudhry3)

जयपुर: राजस्थान में कोटा शहर के एक सरकारी अस्पताल में कुछ घंटे के अंतराल पर नौ नवजात बच्चों की मौत हो गई. अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.

एक अधिकारी ने बताया कि जेके लोन अस्पताल में एक से चार दिन के पांच बच्चों की मौत बुधवार रात हो गई, जबकि चार बच्चों की मौत बृहस्पतिवार को हुई.

दैनिक भास्कर के मुताबिक अस्पताल अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा ने कहा, ‘नौ नवजात में से 3 जब अस्पताल पहुंचे तो उनकी जान जा चुकी थी. 3 को जन्मजात बीमारी थी. इनमें एक का सिर ही नहीं था और दूसरे के सिर में पानी भर गया था. तीसरे में शुगर की कमी थी. दो अन्य बच्चे बूंदी से रेफर होकर आए थे, उन्हें इन्फेक्शन था.’

डॉ. दुलारा ने कहा कि अस्पताल में हर महीने करीब 60 से 100 बच्चों की मौत होती है. रोज के लिहाज से ये आंकड़ा 2 से 5 के बीच रहता है. हालांकि, एक दिन में 9 बच्चों की मौत सामान्य नहीं है.

बच्चों की मौत का मामला सामने आने के बाद जिला कलेक्टर अस्पताल का दौरा किया. उन्होंने तुरंत 5 अतिरिक्त डॉक्टर और 10 नर्सिंग स्टाफ तैनात करने के आदेश दिए.

राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने जांच का आदेश दिया है और इस संबंध में अस्पताल से एक रिपोर्ट मांगी है.

राजस्थान पत्रिका के मुताबिक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने अस्पताल में शिशुओं की मौत मामले पर अस्पताल प्रशासन को क्लीनचिट दे दी है. उन्होंने अस्पताल प्रशासन के रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि एक भी शिशु की मौत प्रशासनिक या डॉक्टरों की लापरवाही से नहीं हुई है. नौ में तीन शिशुओं की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले हो चुकी थी, जबकि तीन की मौत जन्मजात बीमारी के कारण हुई है. अन्य तीन शिशुओं की मौत चिकित्सकों के अनुसार सीओटी (अचानक हुई मौत) के कारण हुई है.

उधर, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने जेके लोन अस्पताल में एक दिन में नौ नवजातों की मौत पर चिंता जताई है और जांच की मांग की है.

उन्होंने कहा, ‘पहले भी इस अस्पताल में बड़ी संख्या में शिशुओं की मौत हुई थी. तब भी अस्पताल प्रशासन की मांग के अनुसार केंद्र सरकार और सीएसआर के जरिये कई संसाधन दिए गए थे. इसके बावजूद अस्पताल में नवजातों और माताओं का सुरक्षित न होना चिंता का विषय है. इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए, ताकि बार-बार ऐसी घटनाएं न हों. इलाज के इंतजाम ऐसे हों, जिससे किसी के भी घर की खुशियां न उजड़ें.’

बता दें कि बच्चों की मौत के मामले में यह अस्पताल पिछले साल दिसंबर में सुर्खियों में रहा था. दिसंबर में इस अस्पताल में 100 से अधिक शिशुओं की मौत हुई थी. शिशुओं की मौत को लेकर काफी हंगामा हुआ था.

इसके अलावा राजस्थान के ही जोधपुर जिले के डॉ. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज में दिसंबर महीने में एक महीने में 146 नवजातों की मौत का मामला सामने आया था.

दैनिक भास्कर के रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल जेके लोन अस्पताल में 35 दिनों में 107 बच्चों की मौत हुई थी, इसकी जांच के लिए दिल्ली से टीम भेजी गई थी. साथ ही राज्य के मंत्री और अधिकारी भी पहुंचे थे.

पीडियाट्रिक विभाग के अध्यक्ष डॉ. अमृत लाल बैरवा को हटाया गया था. उनकी जगह जयपुर के डॉ. जगदीश को विभागाध्यक्ष बनाया था.

शिशुओं की मौत को लेकर विपक्ष ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा. दोषियों पर तुरंत कार्रवाई करने की मांग की.

भाजपा ने ट्वीट कर कहा, ‘नवजातों की मौत का यह मामला बेहद गंभीर लापरवाही का नतीजा है. इस घटना के दोषियों को तुरंत चिह्नित करके उन पर कार्यवाही करनी चाहिए. नाइट ड्यूटी स्टाफ इसलिए सो रहा था, क्योंकि इन पर नियंत्रण रखने वाली राजस्थान की सरकार भी पिछले लगभग 2 साल से सो ही रही है!’

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पुनिया ने ट्वीट कर कहा, ‘दुर्भाग्यपूर्ण है. कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार की संवेदनहीनता की हद है, आज कोटा के सरकारी अस्पताल में 8 घंटे में 9 नवजात बच्चों की मौत हो गई, पिछले साल यहीं 35 दिन में 107 बच्चों की मौत हुई थी, फिर भी सरकार नहीं चेती, जागो सरकार जागो, नहीं तो भागो.’

वहीं, भाजपा नेता और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने कहा, ‘कोटा के जेके लोन अस्पताल में 8 घंटे में 9 नवजात बच्चों की मौत की खबर दुखद एवं मन को विचलित करने वाली है. पिछले वर्ष भी प्रशासन की लापरवाही से सैकड़ों बच्चों की मौत हुई थी. मासूम बच्चों की मौतों का सिलसिला लगातार जारी है, आखिरकार सरकार कर क्या रही है?’

उन्होंने कहा, ‘शर्मनाक, हद है प्रशासन की संवेदनहीनता की! एक भी शिशु की मौत होना मानवीय संवेदना को झकझोरने वाली बात है. मेरी मांग है कि सरकार उन पीड़ित परिजनों की व्यथा को समझे, जिन्होंने अपना बच्चा खोया है और इस मामले की त्वरित जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)