किसान प्रदर्शन: विफल बातचीत और बढ़ते विरोध के बीच पीएम मोदी बोले- नए क़ानूनों से किसानों को फायदा

बीते 17 दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसान केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योगपतियों से कृषि क्षेत्र में निवेश की अपील करते हुए कहा कि कृषि में निजी क्षेत्र की ओर से जितना निवेश होना चाहिए था वहीं नहीं हुआ है.

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नरेंद्र मोदी. (फोटो: पीटीआई)

बीते 17 दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसान केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योगपतियों से कृषि क्षेत्र में निवेश की अपील करते हुए कहा कि कृषि में निजी क्षेत्र की ओर से जितना निवेश होना चाहिए था वहीं नहीं हुआ है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: पीटीआई)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: पीटीआई)

नई दिल्ली: तीन नए और विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ एक तरफ जहां किसान अपने विरोध प्रदर्शन का दायरा बढ़ाने की तैयारी में लगे हैं वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि कृषि क्षेत्र में किए गए सुधारों से किसानों को नये बाजार उपलब्ध होंगे और उनकी आय बढ़ेगी.

शनिवार को 17वें दिन में पहुंच चुके किसान आंदोलन का सीधे जिक्र न करते हुए नये कृषि कानूनों के जरिये कृषि क्षेत्र में बाधाओं को हटाने का काम किया गया है. इससे क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकी आएगी और निवेश बढ़ेगा.

प्रधानमंत्री ने देश के प्रमुख उद्योग मंडल फिक्की की 93वीं सालाना आम बैठक का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उद्घाटन करते हुए यह बात कही.

उन्होंने उद्योगपतियों को कृषि क्षेत्र में निवेश करने की अपील करते हुए कहा कि कृषि में निजी क्षेत्र की ओर से जितना निवेश होना चाहिए था वहीं नहीं हुआ है.

उन्होंने कहा कि विभिन्न फसल और फल- सब्जियों को उगाने वाले किसानों को आधुनिक तकनीक का जितना समर्थन मिलेगा उतनी ही उनकी आय बढ़ेगी.

प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में किए गए सुधारों से इस क्षेत्र में खड़ी दीवारों को हटाने का काम किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘कृषि क्षेत्र में जरूरी ढांचागत सुविधाएं हों, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र हो, बेहतर भंडारण सुविधाओं की बात हो इन सब के बीच दीवारें थीं उन्हें हटाया जा रहा है. बाधाएं हटने से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिये नये बाजार मिलेंगे, आधुनिक कोल्ड स्टोरेज उपलब्ध होंगे, निवेश बढ़ेगा और उन्हें इस सब का लाभ मिलेगा.’

बता दें कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों के सैकड़ों किसानों ने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दो सप्ताह से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं से सटे कुछ राजमार्गों को जाम कर दिया है. उन्हें डर है कि सरकार न्यूनतम राज्य-निर्धारित कीमतों पर सीधे फसल खरीद बंद कर देगी जिसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कहा जाता है.

उनका यह भी मानना है कि सरकार अंबानी और अडानी जैसे बड़े कॉरपोरेट समूहों के एकाधिकार के लिए रास्ता खोलने की तैयारी कर रही है.

जब तक सरकार नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती है, प्रदर्शनकारी किसानों ने देश भर में अपने विरोध प्रदर्शन को बढ़ाने की कसम खाई है. सरकार ने अब तक उनकी मांग पर ध्यान देने से इनकार कर दिया है.

बीते 9 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा विवादित कानूनों के संबंध में भेजे गए मसौदा प्रस्ताव को कृषि संगठनों ने सर्वसम्मति से खारिज कर दिया था.

कृषि संगठनों ने कहा था कि 14 दिसंबर को किसान भाजपा कार्यालयों का घेराव करेंगे और देश के विभिन्न हिस्सों में कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन किए जाएंगे. देश के विभिन्न हिस्सों के किसानों को दिल्ली बुलाया जा रहा है.

दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ाए गए

केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों द्वारा आंदोलन को और तेज करने तथा जयपुर-दिल्ली एवं दिल्ली-आगरा एक्सप्रेसवे को अवरुद्ध करने की घोषणा के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने शनिवार को शहर की सीमाओं पर सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ा दिए हैं.

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं जिनमें बहुस्तरीय अवरोधक लगाना और पुलिस बल को तैनात करना शामिल है. प्रदर्शन स्थलों पर यात्रियों को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े इस लिहाज से भी कुछ उपाय किए गए हैं.

उन्होंने बताया कि दिल्ली यातायात पुलिस ने महत्वपूर्ण सीमाओं पर अपने कर्मियों को तैनात किया है ताकि आने-जाने वाले लोगों को कोई परेशान नहीं हो. इसके अतिरिक्त ट्विटर के जरिए लोगों को खुले एवं बंद मार्गों की भी जानकारी दी जा रही है.

दरअसल किसान नेताओं ने नए कृषि कानूनों में संशोधन का सरकार का प्रस्ताव बुधवार को खारिज कर दिया था, इसके साथ ही जयपुर-दिल्ली तथा यमुना एक्सप्रेसवे को शनिवार को अवरुद्ध करके अपने आंदोलन को तेज करने की घोषणा की थी.

यातायात पुलिस ने शनिवार को यात्रियों को ट्वीट कर सिंघू, औचंदी, प्याऊ मनियारी और मंगेश सीमाओं के बंद होने की जानकारी दी. लोगों को लामपुर, सफियाबाद, साबोली और सिंघू स्कूल टोल टैक्स सीमाओं से आनेजाने की सलाह दी गई है.

यातायात पुलिस ने कहा कि मुकरबा और जीटीके रोड से मार्ग बदला गया है अत: लोगों को बाहरी रिंग रोड, जीटीके रोड और राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर जाने से बचना चाहिए.

इसमें यह भी कहा गया कि किसानों के प्रदर्शन के कारण नोएडा एवं गाजियाबाद से यातायात के लिए चिल्ला और गाजीपुर सीमाओं को बंद किया गया है अत: दिल्ली आने के लिए आनंद विहार, डीएनडी, अप्सरा एवं भोपरा सीमाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है.

यातायात पुलिस ने ट्वीट करके बताया कि टिकरी और धानसा सीमाएं भी यातायात के लिए बंद हैं हालांकि झाटीकरा सीमा दो पहिया वाहनों एवं पैदल यात्रियों के लिए खुली है.

इसमें हरियाणा की ओर जाने वाले लोगों को झारोडा, दौराला, कापसहेड़ा, बडुसराय, रजोकरी एनएच-8, बिजवासन/बाजघेड़ा, पालम विमार और डूंडाहेड़ा सीमाओं से जाने को कहा गया है.

किसान नेताओं ने बृहस्पतिवार को यह घोषणा भी की थी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गयीं तो देशभर में रेल मार्ग को अवरुद्ध कर दिया जाएगा और इसके लिए जल्द तारीख घोषित की जाएगी.

हरियाणा में टोल प्लाजा के पास जमा हुए किसान, यात्रियों से नहीं वसूलने दिया शुल्क

केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करते हुए किसानों ने शनिवार को हरियाणा में कुछ टोल प्लाजा पर कब्जा कर लिया और अधिकारियों को यात्रियों से शुल्क की वसूली नहीं करने दी.

आंदोलनकारी किसानों ने कहा था कि नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग के लिए दबाव बनाने के खातिर वे टोल प्लाजा पर एकत्रित होंगे.

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के 100 से अधिक किसान मल्कीत सिंह और मनीष चौधरी के नेतृत्व में अंबाला-हिसार राजमार्ग पर टोल प्लाजा पर इकट्ठे हुए. भाकियू कार्यकर्ता नारे लगा रहे थे और कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे.

टोल प्लाजा के कर्मचारियों ने वाहनों को बिना शुल्क अदा किए जाने दिया. कानून व्यवस्था को कायम रखने के लिए टोल प्लाजा पर बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी तैनात किए गए थे. किसानों ने करनाल के बस्तारा और पियोंट टोल प्लाजा पर भी यात्रियों से शुल्क की वसूली नहीं करने दी.

पंजाब में एक अक्टूबर से किसान विभिन्न टोल प्लाजा पर धरने पर बैठे हैं और यहां भी यात्रियों से शुल्क नहीं वसूला जा रहा.

पंजाब में राष्ट्रीय राजमार्गों पर कुल 25 टोल प्लाजा हैं और यहां किसानों के प्रदर्शन के चलते यात्रियों से शुल्क की वसूली नहीं होने के कारण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को प्रतिदिन तीन करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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