यूपी: किसान नेताओं पर किसानों को भड़काने का आरोप, 50 लाख रुपये का बॉन्ड भरने का नोटिस

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, भाकियू नेताओं सहित किसान नेता किसानों को उकसा रहे हैं व झूठी ख़बरें फैला रहे हैं, जिससे इलाके में शांति भंग हो सकती है. नेताओं ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वे बैठकों के माध्यम से लोगों को नए कृषि क़ानून समझा रहे हैं. उन्होंने बॉन्ड भरने के नोटिस को उत्पीड़न क़रार दिया है.

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योगी आदित्यनाथ. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, भाकियू नेताओं सहित किसान नेता किसानों को उकसा रहे हैं व झूठी ख़बरें फैला रहे हैं, जिससे इलाके में शांति भंग हो सकती है. नेताओं ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वे बैठकों के माध्यम से लोगों को नए कृषि क़ानून समझा रहे हैं. उन्होंने बॉन्ड भरने के नोटिस को उत्पीड़न क़रार दिया है.

योगी आदित्यनाथ. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)
योगी आदित्यनाथ. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

किसान आंदोलन के बीच उत्तर प्रदेश के संभल जिला प्रशासन ने छह किसान नेताओं को नोटिस जारी कर प्रत्येक से 50 लाख रुपये का निजी बॉन्ड्स जमा करने के लिए कहा है. इसके साथ ही दो गारंटर भी उपलब्ध कराने के लिए कहा है जो उतनी ही राशि जमा करने का भरोसा दिलाएंगे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने इस किसान नेताओं पर स्थानीय किसानों को भड़काने का प्रयास करने का आरोप लगाया है.

इन छह नेताओं में भारतीय किसान यूनियन (असली) के संभल जिला अध्यक्ष राजपाल सिंह के साथ जयवीर और सतेंद्र उर्फ गंगाफल हैं.

एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि वे गांवों में किसानों को उकसा रहे हैं, साथ ही झूठी खबरें भी फैला रहे हैं, जिससे इलाके में शांति भंग हो सकती है.’

सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट दीपेंद्र यादव ने इस घटनाक्रम की पुष्टि की. पुलिस द्वारा दाखिल रिपोर्ट के आधार पर ये नोटिस सीआरपीसी की धारा 111 (शांति भंग करने की संभावना वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मजिस्ट्रेट का आदेश) के तहत जारी की गई.

हालांकि, बीकेयू (असली) प्रदेश युवा अध्यक्ष ऋषभ चौधरी ने कहा कि इतनी बड़ी राशि का नोटिस भेजना सरकार द्वारा उत्पीड़न है.

उन्होंने कहा, ‘हम सभी शांतिपूर्वक नए कृषि कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हम सभी के पास गलत के खिलाफ आपत्ति उठाने के अधिकार हैं.’

आरोपों से इनकार करते हुए राजपाल सिंह ने कहा, ‘हम गांव में किसानों के साथ बैठकें कर रहे हैं और उन्हें नए कृषि कानून के बारे में समझा रहे हैं.’