बंगाल: तृणमूल कांग्रेस के एक और विधायक ने दिया इस्तीफ़ा, 24 घंटे में तीन लोगों ने छोड़ी पार्टी

पश्चिम बंगाल में बैरकपुर के विधायक शीलभद्र दत्ता से पहले बीते बृहस्पतिवार को तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सहयोगी शुभेंदु अधिकारी और पांडबेश्वर के विधायक जितेंद्र तिवारी ने इस्तीफ़ा दे दिया था.

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Kolkata: West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee during a sit-in over the CBI's attempt to question the Kolkata Police commissioner in connection with chit fund scams, in Kolkata, Monday, Feb. 04, 2019. (PTI Photo/Ashok Bhaumik)(PTI2_4_2019_000163B)
ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

पश्चिम बंगाल में बैरकपुर के विधायक शीलभद्र दत्ता से पहले बीते बृहस्पतिवार को तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सहयोगी शुभेंदु अधिकारी और पांडबेश्वर के विधायक जितेंद्र तिवारी ने इस्तीफ़ा दे दिया था.

Kolkata: West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee during a sit-in over the CBI's attempt to question the Kolkata Police commissioner in connection with chit fund scams, in Kolkata, Monday, Feb. 04, 2019. (PTI Photo/Ashok Bhaumik)(PTI2_4_2019_000163B)
ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में बैरकपुर के विधायक शीलभद्र दत्ता ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. पिछले 24 घंटे में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को यह तीसरा बड़ा झटका लगा है.

दत्ता दो बार विधायक रह चुके हैं. दत्ता ने बताया कि उन्होंने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को ईमेल कर अपना इस्तीफा भेज दिया है. दत्ता के इस्तीफे से ऐसी अटकलें तेज हो गई हैं कि वह भी उन नेताओं की जमात में शामिल हो सकते हैं जो या तो भाजपा में शामिल हो चुके हैं या आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भगवा पार्टी में शामिल होने के इच्छुक हैं.

उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘मुझे लगता है कि मौजूदा परिदृश्य में मैं पार्टी में फिट नहीं हो पा रहा था. लेकिन मैं विधायक पद से इस्तीफा नहीं दूंगा.’

उन्होंने कहा, ‘विधायक पद से मुझे इस्तीफा क्यों देना चाहिए? मैं लोगों के वोट की बदौलत जीता हूं. अगर मैं चला जाता (इस्तीफा दे देता) हूं तो वे कहां जाएंगे?’

पिछले कुछ महीने से दत्ता चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पार्टी के मामलों में उनकी दखल को लेकर विरोध कर रहे थे.

दत्ता एक समय मुकुल रॉय के करीबी रह चुके हैं. रॉय तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. दत्ता ने तृणमूल कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ भी बयान दिया है.

इसी तरह तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी ने बृहस्पतिवार को विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. इससे पहले उन्होंने राज्य सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

अधिकारी नंदीग्राम आंदोलन के चेहरा रहे हैं, जिससे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राजनीतिक बढ़त मिली और वह वर्ष 2011 में पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज हुईं.

तृणमूल कांग्रेस से दो दशक का नाता तोड़ने पर पार्टी के पूर्व वरिष्ठ नेता अधिकारी ने ममता बनर्जी को उन्हें अवसर देने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि पार्टी सदस्य के तौर पर बिताए गए समय का वह हमेशा कद्र करेंगे.

अधिकारी के कुछ समर्थकों ने संकेत दिया था कि वह 19 दिसंबर को मिदनापुर में होने वाले भाजपा के कार्यक्रम के दौरान भगवा पार्टी में शामिल हो सकते हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी शनिवार को दो दिन के पश्चिम बंगाल दौरे पर जा रहे हैं और वह भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे.

बीते 26 नवंबर को अधिकारी ने हुगली रिवर ब्रिज कमिश्नर (एचआरबीसी) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके कुछ समय बाद ही उन्होंने मंत्रिमंडल से भी इस्तीफा दे दिया था. अधिकारी ने पूर्वी मिदनापुर जिले के नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से भी 16 दिसंबर को इस्तीफा दे दिया था.

गौरतलब है कि अधिकारी के पिता शिशिर अधिकारी और भाई दिब्येंदु तृणमूल कांग्रेस के क्रमश: तामलुक और कांटी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सदस्य हैं. माना जाता है कि अधिकारी परिवार का पश्चिम मिदनापुर, बांकुड़ा, पुरुलिया, झारग्राम और बीरभूम के कुछ हिस्सों में प्रभाव है और वे 40 से 45 विधानसभा सीटों के नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं.

अधिकारी के बाद पांडबेश्वर के विधायक और आसनसोल नगर निगम के प्रमुख जितेंद्र तिवारी ने भी पार्टी छोड़ दी. चर्चा है कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं. तिवारी ने हाल में आसनसोल में कॉलेज प्रबंधन मंडल से भी इस्तीफा दे दिया था. तिवारी पश्चिम टीएमसी के पश्चिम बर्धमान जिला इकाई के अध्यक्ष भी थे.

तिवारी ने बृहस्पतिवार दोपहर को संवाददाताओं से कहा था, ‘मैंने आसनसोल नगर निगम प्रशासक मंडल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. मुझे काम नहीं करने दिया जा रहा था, ऐसे में मैं इस पद को रख कर क्या करूंगा? इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया है.’

इसके कुछ घंटों के बाद तिवारी ने घोषणा की कि उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और जिला अध्यक्ष पद छोड़ रहे हैं.

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा था, ‘तृणमूल कांग्रेस में बने रहने का कोई तुक नहीं है क्योंकि मुझे लोगों के लिए काम करने नहीं दिया जा रहा है.’

इससे पहले अपनी नाराज़गी जाहिर करने के लिए जितेंद्र तिवारी पार्टी नेतृत्व की बैठक में शामिल नहीं हुए थे, बल्कि 16 दिसंबर की शाम को उन्होंने पार्टी सांसद सुनील मंडल के कांकसा इलाके स्थित आवास पर शुभेंदु अधिकारी से मुलाकात की थी.

तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें ‘गद्दार’ करार दिया है. तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता सौगत रॉय ने कहा, ‘कुछ साल पहले तक जितेंद्र तिवारी कौन थे? वह आज जो भी हैं पार्टी की वजह से हैं. अगर वह अब पार्टी छोड़ रहे हैं तो एक ‘गद्दार’ और ‘ मौसम के हिसाब से रुख बदलने वाले से अधिक कुछ नहीं हैं.’

पूर्व मंत्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भी तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने की घोषणा की है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, टीएमसी सांसद सुनील मंडल और बंगाल वन मंत्री राजीब बनर्जी ने पार्टी के खिलाफ बयान दिए हैं.

इस बीच टीएमसी नेता कबीरुल इस्लाम ने भी पार्टी के माइनॉरिटी सेल के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है. इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि कबीरुल इस्लाम ने अपना इस्तीफा सेल के अध्यक्ष हाजी शेख नुरुल इस्लाम को भेज दिया है.

बताया जा रहा है कि कबीरुल इस्लाम ने टीएमसी के शीर्ष नेतृत्व और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम को लेकर अप्रसन्नता जाहिर की है. उन्होंने यह भी जाहिर किया है कि शुभेंदु अधिकारी जहां जाएंगे वह भी उनका अनुसरण करेंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)