मीडिया में चुनिंदा सूचना आने से पीड़ित और आरोपी के अधिकार प्रभावित होते हैं: सुप्रीम कोर्ट

दहेज हत्या से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी की ज़िम्मेदारी होती है कि वो निष्पक्ष जांच करे, लेकिन ये काम पूरी ईमानदारी से नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण मीडिया में कई जानकारियां चुनिंदा तरीके से लीक कर दी जाती हैं.

(फोटो: रॉयटर्स)

दहेज हत्या से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी की ज़िम्मेदारी होती है कि वो निष्पक्ष जांच करे, लेकिन ये काम पूरी ईमानदारी से नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण मीडिया में कई जानकारियां चुनिंदा तरीके से लीक कर दी जाती हैं.

सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: रॉयटर्स)
सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी अपराध की जांच के दौरान चुनिंदा तरीके से सूचनाओं का खुलासा करना पीड़ित एवं आरोपी के अधिकार को प्रभावित करते है.

लाइव लॉ के मुताबिक, दहेज हत्या के एक मामले में अग्रिम जमानत को खारिज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने ये बात कही.

कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वे इस केस में और जांच करें. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृतक महिला के ससुर, देवर और ननद को अग्रिम जमानत दे दी थी, जो दहेज हत्या के मामले में आरोपी हैं.

जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा था कि प्रथमदृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि इन लोगों को फंसाने के लिए एफआईआर दर्ज की गई है, एफआईआर में लगाए गए आरोपों में कोई पारस्परिक संबंध नहीं है और आरोप सामान्य प्रवृत्ति के हैं तथा किसी आरोपी पर कोई विशेष आरोप दर्ज नहीं है.

केस के दस्तावेजों को उल्लेख करते हुए पीठ, जिसमें जस्टिस इंदु मल्होत्रा और इंदिरा बनर्जी भी शामिल हैं, ने कहा कि यूपी पुलिस की जांच से कई सवालों का जवाब नहीं मिला है.

कोर्ट ने कहा कि पीड़ित महिला की मौत के कुछ दिन बाद ही आगरा में अखबार में कथित सुसाइड नोट के बारे में खबर आई थी.

पीठ ने कहा, ‘इस केस के घटनाक्रम एक पैटर्न को दर्शाते हैं. कथित सुसाइड नोट को मीडिया में तत्काल प्रचारित किया गया. ऐसे उदाहरण अब आम हो चले हैं. चुनिंदा तरीके से सूचनाओं का खुलासा करना कुछ मामलों में आरोपी और अन्य मामलों में पीड़ित के परिवार के अधिकारों को प्रभावित करता है. निष्पक्ष रिपोर्टिंग करना मीडिया की जिम्मेदारी है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसी घटनाएं, जैसा कि इस केस में हुआ है, दर्शाते हैं कि यदि सूचनाओं को चुनिंदा तरीके से सार्वजनिक किया जाता है, जो कि आपराधिक ट्रायल में महत्वपूर्ण सबूत हो सकता है, तो इसे आपराधिक न्याय प्रक्रिया को खराब करने में इस्तेमाल किया जा सकता है’

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जांच अधिकारी की ये जिम्मेदारी है कि वो संबंधित अपराधों की जांच करे. हालांकि ये काम पूरी ईमानदारी से नहीं किया जाता है, जिसके कारण मीडिया में चुनिंदा तरीके से जानकारी लीक कर दी जाती है.

पीठ ने कहा, ‘ऐसा करना आरोपी के लिए ठीक नहीं है क्योंकि इसके चलते निर्दोष के प्रति पूर्वाग्रह की स्थिति उत्पन्न होती है. ये अपराध के पीड़ितों एवं उनके परिवारों के लिए भी ठीक नहीं है. न तो पीड़ितों और न ही उनके परिवारों के पास उनकी परिस्थितियों के बारे में झूठे विवरण के प्रकाशन का जवाब देने के लिए कोई मंच उपलब्ध है.’

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq