यूपी: मुरादाबाद मामले में प्रशासन के इनकार के बाद निजी लैब ने की महिला के गर्भपात की पुष्टि

पांच दिसंबर को मुरादाबाद में पुलिस ने नए धर्मांतरण क़ानून के तहत 25 वर्षीय राशिद और उनके भाई सलीम को गिरफ़्तार कर राशिद की गर्भवती पत्नी पिंकी को नारी निकेतन भेज दिया था. पिंकी ने वहां इंजेक्शन देकर गर्भपात किए जाने का आरोप लगाया था, जिससे प्रशासन और सरकारी डॉक्टरों ने इनकार किया था.

(फोटोः ट्विटर)

पांच दिसंबर को मुरादाबाद में पुलिस ने नए धर्मांतरण क़ानून के तहत 25 वर्षीय राशिद और उनके भाई सलीम को गिरफ़्तार कर राशिद की गर्भवती पत्नी पिंकी को नारी निकेतन भेज दिया था. पिंकी ने वहां इंजेक्शन देकर गर्भपात किए जाने का आरोप लगाया था, जिससे प्रशासन और सरकारी डॉक्टरों ने इनकार किया था.

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नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में कथित लव जिहाद के मामले में प्रशासन ने महिला का गर्भपात होने से इनकार किया था लेकिन एक निजी लैब ने महिला के गर्भपात की पुष्टि की है.

बिजनौर जिले के धामपुर की एक निजी लैब ने पुष्टि की है कि महिला का गर्भपात हुआ है. महिला और उनकी सास ने दावा किया था कि नारी निकेतन में हुई प्रताड़ना की वजह से उनका गर्भपात हुआ था.

बता दें कि राज्य के नए धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत मुरादाबाद में राशिद और उनके भाई को पांच दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था और राशिद की पत्नी पिंकी को जबरन नारी निकेतन भेज दिया गया था.

इसके बाद पिंकी ने मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बयान में कहा था कि वे बालिग हैं और अपनी मर्जी से निकाह किया थाहै और वे नारी निकेतन में नहीं बल्कि अपने पति के घर में रहना चाहती हैं. इस पर मजिस्ट्रेट ने उन्हें उनके पति के घर में रहने की मंजूरी दी थी.

इस बीच पिंकी ने अस्पताल द्वारा इंजेक्शन और दवाइयां दिए जाने से उनका गर्भपात किए जाने का भी आरोप लगाया था, जिससे अस्पताल प्रशासन इनकार करता रहा था.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अब बिजनौर के धामपुर की एक निजी लैब में महिला का अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉ. पीएस सिसौदिया ने कहा, ‘हमें पता चला कि महिला का गर्भपात हुआ था. युवती के गर्भाशय में संक्रमण है, जिसका इलाज किया जाना चाहिए.’

महिला का आरोप है कि जिला अस्पताल प्रशासन द्वारा इंजेक्शन दिए जाने की वजह से उसका गर्भपात हुआ था जबकि अस्पताल इन आरोपों से इनकार करता रहा.

निजी लैब के नतीजे जारी होने के बाद अस्पताल प्रशासन का कहना है कि भ्रूण जीवित नहीं था.

मुरादाबाद जिला अस्पताल के कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. निर्मला पाठक ने कहा, ‘अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट डॉ. आरपी मिश्रा द्वारा दी गई रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि भ्रूण दिखाई दे रहा था लेकिन दिल की धड़कन बंद थी.’

उन्होंने कहा, ‘जह अल्ट्रासाउंड किया जा रहा था, हम बच्चे को लेकर संशय में थे क्योंकि उसके दिल की धड़कन नहीं सुनाई दे रही थी. दूसरी जांच में हमने डॉपलर अल्ट्रासाउंड किया लेकिन तब भी दिल की धड़कन सुनाई नहीं दी. इसकी पुष्टि करने के लिए मैंने ट्रांस वैजाइनल स्कैन करने के लिए कहा क्योंकि कई बार संभावना होती है कि भ्रूण जीवित हो.’

यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने भी पहले कहा था कि भ्रूण जीवित था लेकिन निजी लैब के नतीजे आने के बाद उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की है.

पिंकी के पति राशिद और उनके  देवर को गिरफ़्तारी के बाद पुलिस जांच पूरी होने तक 13 दिनों तक जेल में रखा गया था लेकिन किसी तरह के जबरन धर्म परिवर्तन के कोई सबूत नहीं मिले.

बीते शनिवार को राशिद और उनके भाई सलीम अली को शनिवार को रिहा कर दिया गया.

मुरादाबाद के एएसपी (ग्रामीण) विद्या सागर मिश्रा ने बताया कि पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 169 के तहत जिला अदालत में रिपोर्ट दायर की और अदालत ने पचास-पचास हजार रुपये के निजी बॉन्ड पर दोनों की रिहाई के आदेश दिए.

पिंकी ने इससे पहले बताया था, ‘मुझे बीते पांच दिनों से कहा जा रहा था कि वे रिहा हो जाएंगे लेकिन वे अभी तक रिहा नहीं हुए. गर्भपात होने के बाद तक मुझे उनसे बात नहीं करने दी गई. हम दोनों एक-दूसरे को प्यार करते हैं. प्यार करने वाले लोगों के साथ इस तरह की चीजें होती हैं तो कोर्ट मैरिज करने का क्या मतलब?’

बता दें कि बीते 24 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार तथाकथित ‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए शादी के लिए धर्म परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिए ‘उत्‍तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्‍यादेश, 2020’ ले आई थी.

इसमें विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर विभिन्न श्रेणियों के तहत अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हजार तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है. उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य है, जहां लव जिहाद को लेकर इस तरह का कानून लाया गया है.

प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 28 नवंबर को इस अध्यादेश को मंजूरी दी थी. इसी दिन एक युवती के पिता की शिकायत पर बरेली जिले में नए धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत अपना पहला मामला दर्ज किया गया था.

हालांकि इस मामले में यह भी आरोप लगा है कि पुलिस के दबाव में आकर यह केस दर्ज कराया गया था.

(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)