गुजरात: कृषि विश्वविद्यालय ने अचानक रद्द की पशुओं की नीलामी, किसानों का प्रदर्शन

बनासकांठा के सरदारकृषिनगर दांतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय ने 82 पशुओं की नीलामी का एक विज्ञापन दिया था, जिसे बाद में साल 2018 के एक आदेश का हवाला देते हुए अंतिम समय पर रद्द कर दिया गया. किसानों का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई, जिसके चलते उनका पैसा और समय दोनों बर्बाद हुए.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

बनासकांठा के सरदारकृषिनगर दांतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय ने 82 पशुओं की नीलामी का एक विज्ञापन दिया था, जिसे बाद में साल 2018 के एक आदेश का हवाला देते हुए अंतिम समय पर रद्द कर दिया गया. किसानों का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई, जिसके चलते उनका पैसा और समय दोनों बर्बाद हुए.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: गुजरात की एक कृषि यूनिवर्सिटी द्वारा पशुओं की नीलामी प्रक्रिया को अचानक रद्द करने पर किसानों ने भारी विरोध जताया और इसके बाहर प्रदर्शन किया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते मंगलवार को राज्य सरकार के आदेश पर बनासकांठा जिले के सरदारकृषिनगर दांतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय (एसडीएयू) ने आखिरी मिनट पर पशुओं की नीलामी को रद्द किया.

इसके चलते किसानों की यहां के सुरक्षाकर्मियों से झड़प हुई और वे संस्थान के बाहर ही धरने पर बैठ गए.

दरअसल, एसडीएयू के लाइवस्टॉक रिसर्च स्टेशन (एलआरएस) ने रिसर्च के लिए इकट्ठा किए गए 82 पशुओं की नीलामी करने का विज्ञापन निकाला था. इसमें भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में किसान इकट्ठा हुए थे.

हालांकि गार्डों ने उन्हें परिसर में प्रवेश करने से रोका और कहा कि नीलामी रद्द कर दी गई है. इसके चलते डेयरी किसानों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हाथापाई हुई.

बाद में किसानों ने प्रशासन के इस रवैये के खिलाफ धरना भी दिया कि आखिर क्यों बिना नोटिस के नीलामी रद्द की गई.

किसानों ने आरोप लगाया कि पंजरापोल (धर्मार्थ संगठनों द्वारा चलाए जा रहे पशु आश्रय) के लोगों को एलआरएस में घुसने की इजाजत दी गई, जबकि उनके पास प्रमाण पत्र होने के बावजूद उन्हें अंदर जाने नहीं दिया गया.

राज्य सरकार ने अपने साल 2018 के एक दिशानिर्देश का हवाला देते हुए ये नीलामी प्रक्रिया रद्द किया, जिसके तहत सरकारी संस्थानों को रिसर्च के उद्देश्य की पूर्ति कर चुके पशुओं एवं पक्षियों के बेचने पर बैन लगाया गया है और इसकी जगह उन्हें पंजरापोल भेजने का निर्देश दिया गया है.

एलआरएस के एक अधिकारी ने इस अख़बार को बताया कि एसडीएयू ने राज्य सरकार द्वारा जारी साल 2019 के एक सर्कुलर के आधार पर नीलामी के लिए विज्ञापन दिया था.

सर्कुलर में कहा गया है कि रिसर्च कार्य में इस्तेमाल किए गए पशुओं को डेयरी किसानों को बेचा जा सकता है.

भारतीय किसान संघ (बीकेएस) के बनासकांठा जिला इकाई के सचिव मेघराज चौधरी ने कहा, ‘विश्वविद्यालय और सरकार दोनों ने ये सही नहीं किया. किसान कांकरेज गाय और मेहसाणा भैंस खरीदने की उम्मीद में दूर-दूर से दांतीवाड़ा आए थे, लेकिन जब वे विश्वविद्यालय पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि नीलामी बंद कर दी गई है. इस आवाजाही में किसानों को काफी पैसा और समय खर्च हुआ है.’

बीते 17 दिसंबर को एसडीएयू ने अखबारों में विज्ञापन दिया कि कांकरेज नस्ल की 53 गायों और 17 भैसों की 29 दिसंबर को नीलामी होगी. हालांकि विश्वविद्यालय ने बताया कि राज्य सरकार के आदेश पर उन्हें ये रद्द करना पड़ा.

एसडीएयू के एक अधिकारी ने बताया, ‘चूंकि राज्य सरकार का आदेश बीते सोमवार को शाम में ही आया, इसलिए उनके पास समय नहीं मिल पाया कि वे किसानों को बताया सकें.’

बता दें कि पशुओं एवं पक्षिओं के कल्याण की दिशा में काम करने वाले समूहों की मांगों के बाद गुजरात सरकार ने साल 2018 में एक निर्देश जारी कर कहा कि कोई भी सरकारी विभाग, जो पशुपालन की दिशा में कार्य करते हैं, रिसर्च में पशुओं के इस्तेमाल के बाद उसकी नीलामी नहीं करेंगे और उसे पंजरापोल भेजेंगे.

हालांकि सरकार ने साल 2019 में एक और आदेश जारी किया था जिसमें ये कहा गया था कि सरकारी संस्थाएं ऐसे पशुओं को डेयरी किसानों को बेच सकते हैं.

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