नए कृषि क़ानूनों का दिखने लगा दुष्प्रभाव, मध्य प्रदेश में ट्रेडर्स ने किसानों को ठगा

मध्य प्रदेश के हरदा ज़िले के 22 किसानों को ठगने का मामला सामने आया है, जहां देवास ज़िले की एक फर्म नए कानून का हवाला देकर किसानों से खरीदी कर क़रीब दो करोड़ रुपये की चपत लगाकर भाग गया. नया क़ानून आने के बाद से राज्य में ये आठवां मामला आया है. इसमें क़रीब 150 किसानों को ठगा गया है.

(फोटो: पीटीआई)

मध्य प्रदेश के हरदा ज़िले के 22 किसानों को ठगने का मामला सामने आया है, जहां देवास ज़िले की एक फर्म नए कानून का हवाला देकर किसानों से खरीदी कर क़रीब दो करोड़ रुपये की चपत लगाकर भाग गया. नया क़ानून आने के बाद से राज्य में ये आठवां मामला आया है. इसमें क़रीब 150 किसानों को ठगा गया है.

Prayagraj: A farmer ploughs his field during ongoing nationwide lockdown to contain the spread of COVID-19, at a village in Prayagraj district, April 21, 2020. (PTI Photo) (PTI21-04-2020_000043B)
(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे देशव्यापी किसान आंदोलन के बीच मध्य प्रदेश में व्यापारियों द्वारा कई किसानों को ठगने का मामला सामने आया है.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नए कानूनों का हवाला देते हुए राज्य के देवास स्थित एक फर्म खोजा ट्रेडर्स, जिसके मालिक पवन खोजा और सुरेश खोजा है, ने हरदा जिले के 22 किसानों को करीब दो करोड़ रुपये की चपत लगाई है. इन किसानों ने 2,581 क्विंटल मसूर और चने का उत्पादन किया था, जिसे ट्रेडर लेकर भाग गया है.

इन 22 किसानों ने देवास मंडी से लेकर खातेगांव तहसील स्थित उनके निवास स्थान पर तलाश की, लेकिन वे खरीददार का पता नहीं लगा पाए. अंतत: उन्होंने खातेगांव पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और एसडीएम के सामने लिखित शिकायत दर्ज की है.

ये घटना केंद्र द्वारा लाए गए नए कॉन्ट्रैक्ट एक्ट कानून के संदर्भ में प्रमुख है, जो कि किसानों को उचित दाम देने और विवाद की स्थिति में तत्काल समाधान मुहैया कराने का वादा करता है.

इस कानून की धारा 6 के तहत एसडीएम को ये जिम्मेदारी दी गई है कि ट्रेडर और किसान के बीच विवाद उत्पन्न होने पर वे इसका समाधान निकालें.

किसानों को इस बात का भय है कि चूंकि उन्हें किसी सिविल कोर्ट जाने की इजाजत नहीं दी गई, इसलिए उन्हें एसडीएम के ही निर्णय को मानने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिसे लेकर ये प्रबल संभावना है कि उनका फैसला ज्यादातर ट्रेडर्स के हित में हो सकता है.

किसानों की ये भी मांग है कि ट्रेडर्स को महज पैन कार्ड रखने मात्र से खरीदी की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, बल्कि उनका बाकायदा रजिस्ट्रेशन होना चाहिए ताकि किसान खुद को सुरक्षित महसूस कर सके.

बीते 26 दिसंबर को एसडीएम से की गई अपनी शिकायत में 22 किसानों ने कहा है कि पवन और सुरेश खोजा अलग-अलग दिन उनके पास आए और अपना लाइसेंस दिखाकर हमें आश्वासन देकर हमसे कृषि उपज खरीद लिया.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन जब हमारे खाते में पैसे नहीं आए तो हम खातेगांव मंडी गए. वहां पता चला कि वो रजिस्टर्ड नहीं हैं. हमारी आपसे गुजारिश है कि आप हमारे पैसे दिलवाने में मदद करें.’

किसानों ने ये शिकायती पत्र मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री को भी भेजा है.

देवास जिला कलेक्टर चंद्रमौली ने बताया कि उन्होंने इस मामले की जांच के लिए एक समिति बना दी है और किसानों को जल्द ही राहत प्रदान की जाएगी.

इस मामले में पीड़ित हरदा जिले के किसानों में से एक कन्हैया पटेल ने बताया कि चार जिलों- होशंगाबाद, सिहोर, हरदा और देवास- के 100-150 किसानों को ठगा गया है. उन्होंने बताया कि ट्रेडर द्वारा दिया गया चेक जब बाउंस कर गया, तब उन्हें पता चला कि फ्रॉड हुआ है.

हरदा जिले के ही एक अन्य किसान आनंद जाट ने बताया कि पवन खोजा ने उनसे संपर्क किया और कहा कि सरकार ने ट्रेडर्स को अब सीधे किसानों से खरीदने की इजाजत दे दी है, इसलिए वे अपनी उपज उन्हें बेच सकते हैं.

खोजा ने जाट को मंडी रेट से 700 रुपये अधिक का ऑफर दिया. उसने किसान से 5.5 लाख रुपये में 90 क्विंटल मसूर खरीदा और उन्हें चेक दिया, लेकिन वो चेक बाउंस कर गया.

रिपोर्ट के अनुसार, खास बात ये है कि हरदा राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल का क्षेत्र भी है और नया कानून आने के बाद से मध्य प्रदेश में ये आठवां मामला आया है.

इससे पहले सिवनी में 71 किसान, होशंगाबाद में 61 किसान, ग्वालियर में 24 किसान, गुना में 13 किसान, बालाघाट में आठ, बरवानी में एक और जबलपुर में एक किसान को ठगने का मामला सामने आ चुका है. इसमें से तीन मामलों का निपटारा हो चुका है.