मध्य प्रदेश: उज्जैन हिंसा के बाद पुलिस ने मुस्लिम का घर गिराया, पड़ोसी ने 19 लोगों को सहारा दिया

आरोप है कि उज्जैन के बेग़म बाग इलाके में भारतीय जनता युवा मोर्चा की रैली में कथित तौर पर सांप्रदायिक नारे लगाने के कारण कुछ लोगों ने पत्थबाज़ी कर दी थी. मध्य प्रदेश में कट्टरवादी हिंदू समूहों द्वारा ऐसी रैलियों के दौरान कई जगहों पर हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं. ये रैलियां राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा जमा करने के उद्देश्य से निकाली जा रही हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

आरोप है कि उज्जैन के बेग़म बाग इलाके में भारतीय जनता युवा मोर्चा की रैली में कथित तौर पर सांप्रदायिक नारे लगाने के कारण कुछ लोगों ने पत्थबाज़ी कर दी थी. मध्य प्रदेश में कट्टरवादी हिंदू समूहों द्वारा ऐसी रैलियों के दौरान कई जगहों पर हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं. ये रैलियां राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा जमा करने के उद्देश्य से निकाली जा रही हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के उज्जैन में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की रैली पर कथित तौर पर पत्थर फेंकने के चलते प्रशासन ने मुस्लिम बहुल क्षेत्र बेगम बाग में अब्दुल रफीक के घर को ढहा दिया, जिसमें 19 लोगों का परिवार रह रहा था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पीड़ित परिवार को कहीं भी आसरा नहीं मिलने के चलते पड़ोसी मीरा बाई ने अपने घर का एक कमरा उन्हें दिया है, जहां ये 19 लोग रह रहे हैं.

दरअसल भाजयुमो के कार्यकर्ताओं ने हाल ही में इस इलाके से एक रैली निकाली थी और आरोप है कि इस दौरान उन्होंने सांप्रदायिक नारेबाजी की, जिसके चलते दूसरी तरफ से उन पर पथराव हुए. जब प्रशासन को खबर मिली तो उन्होंने कार्रवाई करते हुए रफीक के दो मंजिला घर को 26 दिसंबर को ढहा दिया, जिसे उन्होंने 35 साल की मेहनत से खड़ा किया था.

रफीक ने बताया कि पुलिस कथित तौर पर मीरा की छत से 25 दिसंबर को पत्थरबाजी करतीं दो महिलाओं- हीना और यासमीन- को ढूंढ रही थी. हालांकि जब उन्हें पता चला कि मीरा हिंदू हैं, तो पुलिस ने रफीक के घर को निशाना बनाया और घर तोड़ने से पहले उन्हें सामान निकालने का भी मौका नहीं दिया.

मध्य प्रदेश पुलिस की इस कार्रवाई ने महज 30 मिनट में 10 बच्चों समेत पूरे परिवार को बेघर बना दिया.

मीरा ने बताया कि हिना किराएदार थीं और उस दिन उन्हें पत्थर फेंकते हुए देखा गया था. हालांकि वो उसी रात भाग गई थीं.

इस मामले में हत्या करने की कोशिश के आरोप में यासमीन को गिरफ्तार किया गया है, जो कि दो बच्चों की मां हैं और दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करती हैं. इसके अलावा 17 और लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया हैं, जिसमें से 10 लोगों के खिलाफ कठोर एनएसए के तहत केस दर्ज है.

वैसे को बेगम बाग के निवासी अब्दुल शाकिर, भाजयुमो के नवदीप सिंह रघुवंशी और स्थानीय ट्रस्ट भारत माता मंदिर द्वारा तीन एफआईआर दर्ज कराए गए हैं, हालांकि पुलिस का कहना है कि उन्हें सिर्फ बेगम बाज के निवासी के खिलाफ सबूत मिले हैं.

जिला कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि ‘घर गिराना इसलिए जरूरी था ताकि अपराधियों को सबक मिल सके.’ उन्होंने कहा कि भले ही मीरा की छत से हिना और यासमीन पत्थर फेंक रही थीं, लेकिन यासमीन रफीक के घर में रहती थीं.

ये पूछे जाने पर कि भाजयुमो के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई, जिला कलेक्टर ने कहा कि स्थानीय लोगों ने बताया कि रैली के दौरान अपमानजनक नारे लगाने के चलते हिंसा हुई है, हालांकि वे इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं दे सके हैं. यदि इसे साबित करते हुए कोई वीडियो हमारे सामने लाया जाता है तो हम इस पर कार्रवाई करेंगे.

उज्जैन में इस तरह की घटना होने के बाद स्वतंत्र जांच की मांग पर राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा था, ‘जहां से पत्थर आएंगे, वहीं से तो निकाले जाएंगे.’

मालूम हो कि हाल में मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में कट्टरवादी हिंदू समूहों द्वारा रैली निकालने के बाद कई जगहों पर हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं. ये रैलियां राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा जमा करने के उद्देश्य से निकाली जा रही हैं.

मंदसौर के डोरोना गांव में कथित तौर पर मस्जिद गिराने के आरोप में पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है. 

चंदा जुटाने से जुड़े एक अभियान के तहत इंदौर में भी इसी तरह की झड़प की घटना सामने आई है. इस संबंध में पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है.

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