केरल: विधानसभा में नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित, भाजपा विधायक ने दिया समर्थन

केरल विधानसभा ने तीन नए कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया, जिसे 140 सदस्यीय विधानसभा के एकमात्र भाजपा सदस्य ओ. राजगोपाल ने भी समर्थन दिया. हालांकि प्रदेश भाजपा की नाराज़गी के बाद राजगोपाल ने कहा कि उन्होंने सदन में प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया था.

ओ. राजगोपाल. (फोटो साभार: ट्विटर/@BJPRajagopal)

केरल विधानसभा ने तीन नए कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया, जिसे 140 सदस्यीय विधानसभा के एकमात्र भाजपा सदस्य ओ. राजगोपाल ने भी समर्थन दिया. हालांकि प्रदेश भाजपा की नाराज़गी के बाद राजगोपाल ने कहा कि उन्होंने सदन में प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया था.

ओ. राजगोपाल. (फोटो साभार: ट्विटर/@BJPRajagopal)
ओ. राजगोपाल. (फोटो साभार: ट्विटर/@BJPRajagopal)

तिरुवनंतपुरम: केरल विधानसभा ने गुरुवार को सर्वसम्मति से केंद्र के तीनों विवादित कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया.

प्रस्ताव में कहा गया है कि ये तीनों कानून ‘किसान विरोधी’ और ‘उद्योगपतियों के हित’ में है जो कृषि समुदाय को गंभीर संकट में धकेलेंगे.

इसी बीच एक आश्चर्यजनक घटनाक्रम में सत्तारूढ़ माकपा के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) के सदस्यों ने ही नहीं बल्कि 140 सदस्यीय विधानसभा के एकमात्र भाजपा सदस्य ने भी केंद्र के खिलाफ लाए प्रस्ताव का ‘इसे लोकतांत्रिक भावना करार’ देते हुए समर्थन किया.

हालांकि, विधानसभा में भाजपा के एकमात्र सदस्य ओ. राजगोपाल ने प्रस्ताव में शामिल कुछ संदर्भों पर आपत्ति दर्ज की, जिसे कोविड-19 नियमों को ध्यान में रखते हुए दो घंटे के विशेष सत्र में पेश किया गया था.

प्रस्ताव को पेश करते हुए मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने आरोप लगाया कि केंद्र के कानूनों में संशोधन उद्योगपतियों की मदद के लिए किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘केंद्र द्वारा इन तीन कानूनों को संसद में ऐसे समय में पेश कर पारित कराया गया जब कृषि क्षेत्र गहरे संकट के दौर से गुजर रहा है.’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इन तीन विवादित कानूनों को संसद की स्थायी समिति को भेजे बिना पारित कराया गया. अगर यह प्रदर्शन जारी रहता है तो एक राज्य के तौर पर केरल को बुरी तरह से प्रभावित करेगा.’

उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधारों को सावधानीपूर्वक सोच-विचारकर लागू करना चाहिए. विजयन ने कहा कि नए कानून से किसानों की मोल-तोल करने की क्षमता क्षीण होगी और इसका फायदा उद्योगों को होगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून में किसानों की रक्षा के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है और उनके पास इन उद्योगपतियों से कानूनी लड़ाई लड़ने की क्षमता नहीं है.

उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि विरोध प्रदर्शन का मुख्य कारण इस कानून की वजह से कृषि उत्पादों की कीमतों में आने वाली संभावित कमी है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है और यह राज्यों को सीधे तौर पर प्रभावित करता है, ऐसे में केंद्र सरकार को अंतर राज्यीय समिति की बैठक बुलानी चाहिए और विस्तृत विचार-विमर्श करना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘इसलिए, केरल विधानसभा केंद्र से अनुरोध करती है कि वह किसानों द्वारा उठाई गई न्यायोचित मांगों को स्वीकार करे और तत्काल इन विवादित तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए कदम उठाए.’

वहीं कांग्रेस के केसी जोसफ ने कहा कि केंद्र द्वारा विवादित कानून को पारित किए हुए 100 दिन हो गए हैं और पंजाब सहित कुछ राज्यों ने पहले ही इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया है और विधेयक लाया गया है.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को विधेयक लाना चाहिए और प्रस्ताव पारित करना चाहिए. जोसफ ने इसके साथ ही कहा कि तीनों कृषि कानून असंवैधानिक एवं संघीय ढांचे के खिलाफ है क्योंकि इसमें राज्यों से परामर्श नहीं किया गया.

इस दौरान भाजपा विधायक राजगोपाल ने कहा कि जो लोग केंद्र के कानून का विरोध कर रहे हैं वे किसानों का विरोध कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने इस कानून का उल्लेख अपने चुनावी घोषणा पत्र में किया था. नया कानून किसानों की आय दोगुनी करने के लिए है.’

हालांकि, जब विधानसभा अध्यक्ष पी. श्रीरामकृष्णन ने प्रस्ताव को मतदान के लिए सदन में रखा तो राजगोपाल ने उसका विरोध नहीं किया.

सत्र के बाद राजगोपाल ने पत्रकारों से कहा, ‘प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया. मैंने कुछ बिंदुओ (प्रस्ताव में) के संबंध में अपनी राय रखी, इसको लेकर विचारों में अंतर था जिसे मैंने सदन में रेखांकित किया.’

उन्होंन कहा, ‘मैंने प्रस्ताव का पूरी तरह से समर्थन किया.’

जब राजगोपाल का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया गया कि प्रस्ताव में तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की गई है, तब भी उन्होंने प्रस्ताव का समर्थन करने की बात कही.

राजगोपाल ने कहा, ‘मैंने प्रस्ताव का समर्थन किया और केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि वह सदन की आम राय से सहमत हैं.

जब राजगोपाल से कहा गया कि वह पार्टी के रुख के खिलाफ जा रहे हैं तो उन्होंने कहा कि यह लोकतांत्रिक प्रणाली है और हमें सर्वसम्मति के अनुरूप चलने की जरूरत है.

हालांकि, विशेष सत्र के दौरान सदन में राजगोपाल ने चर्चा के दौरान कहा था कि नए कानून किसानों के हितों की रक्षा करेंगे और बिचौलियों से बचा जा सकेगा.

उल्लेखनीय है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने विधानसभा का यह विशेष सत्र 23 दिसंबर को विवादित कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए बुलाने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था, लेकिन गत शुक्रवार राज्य के विधि मंत्री एके बालन और कृषि मंत्री वीएस सुनील कुमार द्वारा राज्यपाल से मुलाकात के बाद 31 दिसंबर को विशेष सत्र आयोजित करने का फैसला हुआ.

नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्निथला कोविड-19 से उबरने के बाद होम आइसोलेशन में हैं, इसलिए वे सदन में मौजूद नहीं थे.

वहीं, यूडीएफ ने प्रस्ताव में संशोधन की मांग करते हुए उसमें प्रदर्शनकारी किसानों से बात नहीं करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कड़ी निंदा जोड़ने की मांग की जिसे सदन ने अस्वीकार कर दिया.

विपक्ष के आरोप का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रस्ताव में केंद्र सरकार के खिलाफ पर्याप्त संदर्भ है जो प्रधानमंत्री के खिलाफ भी है.

विजयन ने कहा कि राज्य सरकार केंद्रीय कृषि कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए विधेयक लाने की संभावना पर भी विचार कर रही है.

प्रदेश भाजपा ने जताई नाराजगी, बयान से पलटे भाजपा विधायक

ओ. राजगोपाल द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव को समर्थन देने पर प्रदेश भाजपा द्वारा नाखुशी जाहिर की गई.

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, प्रदेश भाजपा के नेता केएस राधा कृष्णन ने कहा, ‘मैं नहीं समझ सकता कि क्यों राजगोपाल जी जैसा व्यक्ति इस तरह आश्चर्यजनक तरह से केंद्र सरकार के खिलाफ जाएंगे. सब जानते हैं कि अकेला सदस्य कुछ नहीं कर सकता लेकिन उन्हें अपना विरोध तो जताना चाहिए था. यह भाजपा की इच्छा और भावना के खिलाफ है.’

वहीं, मीडिया से बात करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा, ‘मैं राजगोपाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं देखि, न ही मुझे पता है कि उन्होंने क्या कहा. मैं उनसे बात करके आपसे इस बारे में बात करूंगा.’

हालांकि इसके बाद ओ. राजगोपाल ने एक बयान में कहा कि उन्होंने विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया था.

उन्होंने कहा, ‘मैंने केंद्र सरकार का विरोध नहीं किया है. मैंने कहा था कि कृषि कानून किसानों के लिए बहुत फायदेमंद हैं. मुझे केंद्र के खिलाफ बताने वाले बयान आधारहीन हैं.’

राजगोपाल ने आगे कहा, ‘वोटिंग के दौरान स्पीकर ने यह पूछा ही नहीं कि कौन प्रस्ताव के पक्ष में है और कौन नहीं. केवल एक ही सवाल था, जिसे भी अलग से नहीं पूछा गया, जो नियमों का उल्लंघन है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

https://arch.bru.ac.th/wp-includes/js/pkv-games/ https://arch.bru.ac.th/wp-includes/js/bandarqq/ https://arch.bru.ac.th/wp-includes/js/dominoqq/ https://ojs.iai-darussalam.ac.id/platinum/slot-depo-5k/ https://ojs.iai-darussalam.ac.id/platinum/slot-depo-10k/ https://ikpmkalsel.org/js/pkv-games/ http://ekip.mubakab.go.id/esakip/assets/ http://ekip.mubakab.go.id/esakip/assets/scatter-hitam/ https://speechify.com/wp-content/plugins/fix/scatter-hitam.html https://www.midweek.com/wp-content/plugins/fix/ https://www.midweek.com/wp-content/plugins/fix/bandarqq.html https://www.midweek.com/wp-content/plugins/fix/dominoqq.html https://betterbasketball.com/wp-content/plugins/fix/ https://betterbasketball.com/wp-content/plugins/fix/bandarqq.html https://betterbasketball.com/wp-content/plugins/fix/dominoqq.html https://naefinancialhealth.org/wp-content/plugins/fix/ https://naefinancialhealth.org/wp-content/plugins/fix/bandarqq.html https://onestopservice.rtaf.mi.th/web/rtaf/ https://www.rsudprambanan.com/rembulan/pkv-games/ depo 20 bonus 20 depo 10 bonus 10 poker qq pkv games bandarqq pkv games pkv games pkv games pkv games dominoqq bandarqq pkv games dominoqq bandarqq pkv games dominoqq bandarqq pkv games bandarqq dominoqq