गुजरात: मुंबई के शख़्स और यूट्यूब चैनल पर अडाणी ग्रुप की कंपनी के ख़िलाफ़ पोस्ट करने पर रोक

अडाणी ग्रुप की सहायक एग्रो कंपनी द्वारा दाखिल एक सिविल मामले पर कार्रवाई करते हुए अहमदाबाद की अदालत ने मुंबई के रहने वाले विनय दुबे और संबंधित यूट्यूब चैनल पर इस कंपनी और अडाणी ग्रुप के संबंध में कोई आपत्तिजनक लेख, वीडियो या ट्वीट करने या उन्हें प्रसारित करने से रोक दिया है.

(फोटो: रॉयटर्स)

अडाणी ग्रुप की सहायक एग्रो कंपनी द्वारा दाखिल एक सिविल मामले पर कार्रवाई करते हुए अहमदाबाद की अदालत ने मुंबई के रहने वाले विनय दुबे और संबंधित यूट्यूब चैनल पर इस कंपनी और अडाणी ग्रुप के संबंध में कोई आपत्तिजनक लेख, वीडियो या ट्वीट करने या उन्हें प्रसारित करने से रोक दिया है.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

अहमदाबाद: अडाणी एग्री लॉजिस्टिक्स (पानीपत) प्राइवेट लिमिटेड (एएएलएल) द्वारा दाखिल एक सिविल सूट पर कार्रवाई करते हुए अहमदाबाद सिटी सिविल कोर्ट ने मुंबई निवासी विनय दुबे और उनसे संबंधित यूट्यूब चैनल को एएएलएल-पानीपत और अडाणी ग्रुप के संबंध में कोई आपत्तिजनक स्टोरी, लेख, वीडियो या ट्वीट करने या उन्हें प्रसारित करने से प्रतिबंधित कर दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अडाणी एग्री लॉजिस्टिक्स ने यह मामला कंपनी खिलाफ कथित तौर पर एक आपत्तिजनक वीडियो प्रसारित करने के लिए दाखिल किया है और दुबे से पांच करोड़ के हर्जाने की मांग की है.

दुबे का वीडियो यूट्यूब चैनल लोकतंत्र टीवी पर प्रसारित हुआ था. अडाणी ग्रुप की सहायक कंपनी अडाणी एग्री लॉजिस्टिक्स की मांग पर 5 जनवरी को होने वाली मामले की अगली सुनवाई तक कंपनी को यह राहत दी गई है.

28 दिसंबर के अपने आदेश में सिविल कोर्ट ने बचाव पक्ष (दुबे) और उनके एजेंट्स, प्रतिनिधियों को निर्देश दिया कि उन्हें संबंधित कंपनी और अडाणी समूह के खिलाफ बोलने, कंटेंट प्रकाशित करने, लेख या रिपोर्ट चलाने, कोई आपत्तिजनक स्टोरी, लेख, वीडियो और ट्वीट करने से बचना होगा.

अहमदाबाद सिटी सिविल कोर्ट के चेंबर जज चिरायु अध्यारु ने अपने आदेश में कहा, ‘अगर हम वीडियो में दिए गए बयानों पर विचार करते हैं (तो) मेरी राय में यह माननीय प्रधानमंत्री के साथ-साथ वादी कंपनी के लिए असम्मानजनक और अपमानजनक टिप्पणी है. ऐसे बयान वास्तविक घटनाओं पर आधारित भी नहीं लगते हैं बल्कि सनसनीखेज और खबरों के प्रकाशन के लिए बनाए जाते हैं.’

अपने अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता (authorised signatory) विपुल प्रमोदराय उचट के माध्यम से एएएलएल-पानीपत ने पिछले साल दिसंबर में एक सिविल मामला दाखिल किया था जिसमें पांच करोड़ रुपये के हर्जाने के साथ (वीडियो पर) स्थायी तौर पर रोक लगाने की मांग की थी.

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि दुबे यूपी के रहने वाले हैं और वर्तमान में मुंबई में रहते हैं. उन्होंने यूट्यूब पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसे अडानी समूह ने फर्जी बताया है.

हालांकि कंपनी का कहना है कि मामला विचाराधीन है, इसलिए वे इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं दे सकते हैं.

इससे पहले दिसंबर की शुरुआत में कंपनी ने ‘लोकतंत्र टीवी नाम के यूट्यूब चैनल के किसानों के आंदोलन को लेकर किये जा रहे एक भ्रामक वीडियो’ के जवाब में ट्विटर पर एक विस्तृत बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि यह वीडियो उनकी छवि ख़राब करने और उनके बारे में आम राय को भ्रमित करने की कोशिश है.

लोकतंत्र टीवी ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

वहीं, 36 वर्षीय दुबे ने कहा कि उनके खिलाफ देशभर में 22 शिकायतें दर्ज कराई गई हैं. पिछले साल में अप्रैल में मुंबई में एक वीडियो में एक रेलवे स्टेशन के बाहर प्रवासी मजदूरों को भड़काने के आरोप में उन्हें 14 दिन जेल में बिताना पड़ा था.

मुंबई पुलिस ने कहा था कि पिछले साल बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूरों के इकट्ठा होने में उनके वीडियो ने भूमिका निभाई थी जिसके कारण लोगों का मानना था उन्हें घरों को ले जाने के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जाएंगी.

pkv games bandarqq dominoqq