राजस्थान: बसपा विधायकों के कांग्रेस विलय मामले में सुप्रीम कोर्ट का विधानसभा स्पीकर को नोटिस

2019 में बसपा के छह विधायकों के सत्तारूढ़ कांग्रेस में जाने के मामले की दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर समेत पूर्व बसपा विधायकों को नोटिस जारी किए हैं. इस मामले में हाईकोर्ट द्वारा दिए आदेश को बसपा और एक भाजपा विधायक ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है.

(फोटो: पीटीआई)

2019 में बसपा के छह विधायकों के सत्तारूढ़ कांग्रेस में जाने के मामले की दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर समेत पूर्व बसपा विधायकों को नोटिस जारी किए हैं. इस मामले में हाईकोर्ट द्वारा दिए आदेश को बसपा और एक भाजपा विधायक ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है.

सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान में बसपा के सभी छह विधायकों के राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में विलय के मामले में दो याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को राज्य विधानसभा अध्यक्ष और अन्य को नोटिस जारी किए.

जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने इस मामले में विधानसभा सचिव और कांग्रेस में शामिल हुए बसपा के सभी छह विधायकों को भी नोटिस जारी किए हैं.

बहुजन समाज पार्टी और भाजपा के विधायक मदन दिलावर ने इस मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अलग-अलग अपील दायर की हैं.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, अपनी याचिका में बसपा ने कहा है कि वह एक राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी है इसलिए पार्टी की किसी भी इकाई के विलय का फैसला राज्य इकाई तब तक नहीं नहीं कर सकती जब तक कि राष्ट्रीय इकाई इसे मंजूरी न दे.

बता दें कि बसपा के ये विधायक सितंबर 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे, जिसे राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष ने 18 सितंबर 2019 को मंजूरी दी थी.

राजस्थान विधानसभा के लिए 2018 में हुए चुनाव में ये छह विधायक बसपा के टिकट पर जीते थे लेकिन बाद में सितंबर, 2019 में वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे.

इन विधायकों में –  राजेंद्र सिंह गुढ़ा (उदयपुर वाटी), जोगेंद्र सिंह अवाना (नदबई), वाजिब अली (नगर), लाखन सिंह (करौली), संदीप कुमार (तिजारा) और दीपचंद खेरिया (किशनगढ़ बास) हैं.

इन विधायकों ने 16 सितंबर, 2019 को कांग्रेस में विलय का आवेदन किया था और अध्यक्ष ने 18 सितंबर, 2019 को इस संबंध में आदेश दे दिए थे.

इससे पहले उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त, 2020 को राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष से कहा था कि बसपा विधायकों के राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस में विलय के खिलाफ भाजपा के मदन दिलावर की अयोग्यता की याचिका पर तीन महीने के भीतर निर्णय करें.

साथ ही, उच्च न्यायालय ने दिलावर की याचिका आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए 22 जुलाई को उनकी अयोग्यता याचिका अस्वीकार करने का अध्यक्ष का पिछले साल मार्च का आदेश निरस्त कर दिया था.

उच्च न्यायालय ने इस मामले में बसपा की याचिका खारिज करते हुए उसे अध्यक्ष के यहां अयोग्यता याचिका दायर करने की छूट प्रदान की थी.

दिलावर ने बसपा के विधायकों के विलय को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के अमल पर रोक लगाई जाए.

इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर रोक लगाने के लिए दिलावर की याचिका को निरर्थक बताते हुए उसे ख़ारिज कर दिया था क्योंकि हाईकोर्ट ने इसी मुद्दे पर अपना आदेश पारित कर दिया था.

दिलावर ने इसे चुनौती देते हुए कहा था कि अध्यक्ष ने इन छह विधायकों के कांग्रेस में विलय को गलत अनुमति दी है.

राजस्थान की 200 सदस्यीय विधान सभा में सत्तारूढ़ कांग्रेस में बसपा के इन विधायकों के विलय से गहलोत सरकार की स्थिति मजबूत हो गई थी.

बसपा विधायकों के विलय के बाद विधानसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 100 से ज्यादा हो गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)