कर्नाटक: हाईकोर्ट का मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के दो मामलों की जांच जारी रखने का आदेश

बीते पंद्रह दिनों में यह दूसरी बार है जब कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की याचिका ख़ारिज की है. इससे पहले 23 दिसंबर को अदालत ने भूमि अधिसूचना वापस लेने के एक अन्य मामले में चल रही आपराधिक कार्रवाई रद्द करने के येदियुरप्पा के अनुरोध को नहीं माना था.

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Bengaluru: Karnataka Chief Minister B S Yediyurappa at oath-taking ceremony of newly elected members of Assembly house, at Vidhana Soudha, in Bengaluru, on Saturday. Supreme Court has ordered Karnataka BJP Government to prove their majority in a floor test at the Assembly .(PTI Photo/Shailendra Bhojak) (PTI5_19_2018_000082B)
बीएस येदियुरप्पा. (फोटो: पीटीआई)

बीते पंद्रह दिनों में यह दूसरी बार है जब कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की याचिका ख़ारिज की है. इससे पहले 23 दिसंबर को अदालत ने भूमि अधिसूचना वापस लेने के एक अन्य मामले में चल रही आपराधिक कार्रवाई रद्द करने के येदियुरप्पा के अनुरोध को नहीं माना था.

Bengaluru: Karnataka Chief Minister B S Yediyurappa at oath-taking ceremony of newly elected members of Assembly house, at Vidhana Soudha, in Bengaluru, on Saturday. Supreme Court has ordered Karnataka BJP Government to prove their majority in a floor test at the Assembly .(PTI Photo/Shailendra Bhojak) (PTI5_19_2018_000082B)
बीएस येदियुरप्पा. (फोटो: पीटीआई).

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को दोहरा झटका देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने भूखंड उपयोग के लिए मंजूरी के आदेश को वापस लेने में हुई कथित फर्जीवाड़े की एक शिकायत को बहाल कर दिया है और भूमि अधिसूचना अवैध तरीके से वापस लेने के 2015 के मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया है.

जस्टिस जॉन माइकल कुन्हा ने बुधवार को अलाम पाशा की एक याचिका आंशिक तौर पर स्वीकार कर ली और इसके अनुरूप अतिरिक्त नगर दीवानी एवं सत्र न्यायालय के 26 अगस्त 2016 के येदियुरप्पा समेत चार में से तीन आरोपियों के संबंध में उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पाशा की शिकायत खारिज कर दी गई थी.

यह मामला येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री के तौर पर प्रथम कार्यकाल के दौरान 2012 में कथित रूप से पाशा द्वारा जारी किए गए दस्तावेजों की जालसाजी और आपराधिक षड्यंत्र के आरोपों से संबद्ध है.

इस मामले में येदियुरप्पा (तत्कालीन मुख्यमंत्री) के अलावा पूर्व उद्योग मंत्री मुरुगेश निरानी, पूर्व प्रमुख सचिव वीपी बालिगर और कर्नाटक उद्योग मित्र के पूर्व प्रबंध निदेशक शिवस्वामी के. आरोपी हैं.

शुरुआत में निचली अदालत ने 2013 में पाशा की शिकायत इस आधार पर खारिज कर दी थी कि आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी नहीं ली गई है.

इसके बाद याचिकाकर्ता ने 2014 में येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद फिर से शिकायत दायर की, लेकिन निचली अदालत ने 26 अगस्त, 2016 को इसी आधार पर इसे खारिज कर दिया.

हालांकि, उसने याचिकाकर्ता को सक्षम प्राधिकार से पूर्व में मंजूरी लेने के बाद अदालत में आने की छूट दी.  याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में कहा कि प्रतिवादियों के पद पर न रहने को लेकर उनके खिलाफ अभियोग के लिए मंजूरी आवश्यक नहीं है.

हाईकोर्ट ने इस पर सहमति जताई और कहा कि मंजूरी नहीं लिए जाने के कारण पहली शिकायत को खारिज करना प्रतिवादियों के पद से हटने के बाद 2014 में दर्ज शिकायत को बरकरार रखने में बाधा नहीं बनेगा, लेकिन उसने तीसरे प्रतिवादी बालिगर के मामले में निचली अदालत का आदेश बरकरार रखा, क्योंकि सरकार ने उनके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी नहीं दी थी.

इससे पहले, मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को झटका देते हुए हाईकोर्ट ने उनकी वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें कथित तौर पर अवैध तरीके से भूमि अधिसूचना वापस लेने को लेकर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया गया था.

इसके साथ ही, अदालत ने मुकदमे के खर्च के तौर पर मुख्यमंत्री को 25 हजार रुपये जमा कराने का भी आदेश दिया.

येदियुरप्पा की याचिका मंगलवार को जब जस्टिस कुन्हा की अदालत में सुनवाई के लिये आई तो उन्होंने उसे खारिज करते हुए लोकायुक्त पुलिस को मामले की जांच जारी रखने का निर्देश दिया.

उल्लेखनीय है कि एक पखवाड़े में यह दूसरी बार है जब अदालत ने येदियुरप्पा की याचिका खारिज की है.

इससे पहले 23 दिसंबर को अदालत ने भूमि अधिसूचना वापस लेने के एक अन्य मामले में चल रही आपराधिक कार्रवाई रद्द करने के येदियुरप्पा के अनुरोध को खारिज कर दिया था.

यह मामला गंगनहल्ली में 1.11 एकड़ जमीन की अधिसूचना वापस लेने का है जो बेंगलुरु के आरटी नगर में मातादहल्ली लेआउट का हिस्सा है और इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी एवं अन्य भी आरोपी हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता जयकुमार हीरेमठ की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने वर्ष 2015 में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत मामला दर्ज किया था.

इससे पहले दिसंबर में ही कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसके तहत मंत्रियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ 61 मामलों में मुकदमा वापस लेने का फैसला किया गया था. इसमें मौजूदा सांसदों और विधायकों के भी मामले शामिल हैं.

कर्नाटक सरकार ने राज्य के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली एक उप-समिति के सुझावों पर 31 अगस्त, 2020 को सत्ताधारी भाजपा के सांसदों और विधायकों पर दर्ज 61 मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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