हाथरस गैंगरेप: पीड़िता की पहचान बताने पर हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस और फेसबुक-ट्विटर को नोटिस भेजा

हाथरस ज़िले में सितंबर 2020 में एक दलित युवती से बलात्कार कर बेरहमी से मारपीट की गई थी, जिसके बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में पीड़िता की पहचान उजागर करने वाले मीडिया प्रकाशनों समेत कई के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है.

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(फोटो: पीटीआई)

हाथरस ज़िले में सितंबर 2020 में  एक दलित युवती से बलात्कार कर बेरहमी से मारपीट की गई थी, जिसके बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में पीड़िता की पहचान उजागर करने वाले मीडिया प्रकाशनों समेत कई के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने कथित तौर पर हाथरस गैंगरेप पीड़िता की पहचान उजागर करने के लिए दिल्ली पुलिस, फेसबुक, ट्विटर और विभिन्न मीडिया प्रकाशनों को नोटिस जारी किए हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ ने पीड़िता की पहचान उजागर करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किए हैं.

ये नोटिस आईडिवा डॉट कॉम, न्यूज18, दैनिक जागरण, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यूएनआई), दलित कैमरा, बज़फीड, यूट्यूब, द मिलेनियम पोस्ट, द सिटिजन आदि को भी जारी किए गए हैं और इनसे जवाब मांगा गया है.

याचिकाकर्ता मनन नरूला ने अधिवक्ताओं सुमन चौहान और जीवेश तिवारी के जरिये याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि आईपीसी की धारा 228ए का उल्लंघन किया गया है.

याचिका में कहा गया है कि विभिन्न मीडिया प्रकाशनों, पोर्टल और संस्थानों ने पीड़िता के बारे में ऐसी सूचना प्रकाशित की, जो व्यापक स्तर पर लोगों के बीच पीड़िता की पहचान को उजागर करती है.

याचिका में आईपीसी की धारा 228ए का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा कार्यवाही न करने का आरोप लगाया गया है.

याचिका के जरिये दिल्ली सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह सोशल मीडिया मंचों और मीडिया संस्थानों से ऐसी कोई सामग्री, खबर, सोशल मीडिया पोस्ट या ऐसी कोई भी सूचना हटाने को कहे, जिनमें हाथरस सामूहिक बलात्कार पीड़िता या इस तरह के अन्य मामलों की पीड़िता की पहचान का ब्योरा हो.

याचिकाकर्ता के वकील ने पूर्व के कठुआ मामले का भी जिक्र किया, जिसमें पीड़िता की पहचान उजागर की गई थी और हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था.

उस समय हाईकोर्ट ने कठुआ सामूहिक बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने को लेकर कई मीडिया संस्थानों को फटकार भी लगाई थी.

याचिका में कहा गया है कि कई सेलेब्रिटीज ने भी पीड़िता का नाम हैशटैग के साथ पोस्ट किया था. मालूम हो कि आईपीसी की इस धारा के तहत बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करना अपराध है.

मामले की अगली सुनवाई पांच फरवरी को होगी.

बता दें कि उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 14 सितंबर 2020 को चार युवकों ने 19 साल की दलित युवती के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट करने के साथ बलात्कार किया था. उनकी रीढ़ की हड्डी और गर्दन में गंभीर चोटें आई थीं.

करीब 10 दिन के इलाज के बाद उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन 29 सितंबर 2020 को युवती ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया.

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