पीडीपी नेता को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा, एनआईए की चार्जशीट में संलिप्तता का ज़िक्र तक नहीं

टेरर फंडिंग के आरोप में एनआईए द्वारा गिरफ़्तार किए गए पीडीपी की युवा इकाई के नेता वहीद पारा को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि उन पर लगाए गए आरोपों का कोई अर्थ नहीं है. उनका नाम न आरोपियों में है, न ही चार्जशीट में लेकिन उनकी जांच की जा रही है.

वहीद पारा (फोटो साभार: फेसबुक/@parawahid)

टेरर फंडिंग के आरोप में एनआईए द्वारा गिरफ़्तार किए गए पीडीपी की युवा इकाई के नेता वहीद पारा को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि उन पर लगाए गए आरोपों का कोई अर्थ नहीं है. उनका नाम न आरोपियों में है, न ही चार्जशीट में लेकिन उनकी जांच की जा रही है.

वहीद पारा (फोटो साभार: फेसबुक/@parawahid)
वहीद पारा (फोटो साभार: फेसबुक/@parawahid)

जम्मू: पीडीपी की युवा इकाई के अध्यक्ष वहीद पारा को शनिवार को यहां राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक अदालत ने जमानत दे दी.

पारा को हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों के साथ कथित संबंधों को लेकर डेढ़ महीने तक जेल में रहने के बाद जमानत मिली है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एजेंसी द्वारा कथित टेरर फंडिंग के आरोप में हिरासत में लिए गए पारा को डेढ़ महीने बाद जमानत देते हुए स्पेशल जज सुनित गुप्ता ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप, खासकर यूएपीए के तहत का प्रथमदृष्टया कोई अर्थ नहीं है.

एनआईए के मामले में कई झोल बताते हुए जज ने कहा कि न पहली और न ही पूरक चार्जशीट में ‘वर्तमान आवेदक का जिक्र तक नहीं है’ और उन्हें ‘इस मामले का केवल एक संदिग्ध बताया गया है.’

अदालत ने आतंकी सयैद नवीद मुश्ताक शेख उर्फ़ नवीद बाबू के कथित इकबालिया बयान के आधार पर हुई पारा की गिरफ़्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि एविडेंस एक्ट की धारा 25 के तहत इस बयान की कोई कानूनी वैधता नहीं है, जिसके मुताबिक इस तरह के इकबालिया बयान केवल मजिस्ट्रेट द्वारा सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए जा सकते हैं.

अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी एक गवाह ने पारा का नाम नहीं लिया है.

विशेष जज ने एक लाख रुपये की जमानत राशि और इन्ही ही राशि के निजी मुचलके, पासपोर्ट जमा करने, साथ ही जमानत अवधि के दौरान बिना लिखित इजाजत के जम्मू कश्मीर से बाहर जाने की शर्त पर पारा की रिहाई का आदेश दिया है.

पारा को विशेष तौर पर अभियोजन पक्ष के किसी गवाह से संपर्क न करने के लिए भी कहा गया है।

अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में दक्षिण कश्मीर के अपने गृह नगर पुलवामा जिले से जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव जीतने वाले पारा को एनआईए ने पारा को पिछले साल 25 नवंबर को गिरफ्तार किया था.

उनकी गिरफ्तारी गुपकर घोषणा पत्र गठबंधन (पीएजीडी) के उम्मीदवार के तौर पर उनके द्वारा नामांकन पत्र दाखिल किए जाने के कुछ दिन बाद हुई थी.

एनआईए ने कहा था कि पारा को हिजबुल मुजाहिदीन की मदद संबंधी नवीद बाबू-दविंदर सिंह मामले में गिरफ्तार किया गया था.

पीडीपी ने इस आरोप से इनकार किया था और गिरफ्तारी को ‘राजनीति से प्रेरित’ करार दिया था. पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा था, ‘मेरे खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई भी आरोप साबित नहीं कर पाने पर वे मेरा नाम टेरर फंडिंग से जोड़कर मुझे बदनाम करने के दूसरे तरीके खोज रहे हैं.’

पारा की जमानत याचिका की सुनवाई में जज सुनित गुप्ता में कहा, ‘6 जुलाई 2020 को नवीद मुश्ताक़ और तीन अन्य के खिलाफ मूल चार्जशीट दायर की गई थी, जिसमें बताए गए अपराधों में पारा की संलिप्तता का कोई जिक्र तक नहीं था, इस तथ्य के बावजूद कि नवीद के वर्तमान आवेदक को कथित तौर पर आरोपी बताने वाले बयान जांच एजेंसी के पास पहले से उपलब्ध थे.’

अदालत ने नवंबर में पारा को गिरफ्तार करने के लिए ‘गहरी नींद से जागे एनआईए’ को लेकर आदेश में कहा, ‘जांच एजेंसी की ओर से इस तरह की निष्क्रियता इस तथ्य को स्पष्ट करती है कि वे वर्तमान आवेदक को इस मामले में आरोपी के रूप में पेश करने का इरादा नहीं रखते थे… मुझे संदेह है… कि क्या आगे की जांच के दौरान, जांच एजेंसी द्वारा पुराने सबूतों के आधार पर वहीद पारा को गिरफ्तार किया जा सकता था जो प्रारंभिक जांच के दौरान उनके द्वारा एकत्र किया गया था।

नवीद द्वारा दिए गए कथित बयान कि पारा ने हिज्बुल मुजाहिद्दीन को आतंकी गतिविधियों के लिए वित्तीय मदद मुहैया करवाई थी को लेकर जज ने कहा कि अगर मान भी लें कि अगर उन्होंने पैसा दिया है, पारा के दिए दस लाख रुपये से एके-47 राइफल खरीदने का फैसला वर्तमान आवेदक का नहीं था बल्कि यह नवीद का निर्णय था… इसलिए, हम वर्तमान आवेदक को आतंकवादी संगठन का समर्थन करने के अपराध से नहीं जोड़ सकते।’

अदालत ने यह भी कहा कि एनआईए के उसके पास डिप्टी एसपी दविंदर सिंह, जिन्हें जनवरी 2020 में नवीद के साथ सफर करते हुए हिरासत में लिया गया था, से बातचीत के कॉल रिकार्ड्स होने का दावा करने के बावजूद पहले पारा को गिरफ्तार करने के बारे में नहीं सोचा गया, संभवतः इसलिए क्योंकि एजेंसी को यह नहीं लगा कि प्राप्त साक्ष्य उन्हें आरोपी बनाने के लिए पर्याप्त थे.

जज ने कहा कि पारा का नाम न आरोपियों में है, न ही चार्जशीट में लेकिन उनकी जांच की जा रही है. ऐसे में जांच एजेंसी द्वारा वर्तमान आवेदक के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर गंभीर संदेह है क्योंकि एक सुरक्षित गवाह के बयान के बावजूद उनके खिलाफ ऐसा कुछ नहीं मिला है.

पारा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीएन रैना और अलोक बम्ब्रू पेश हुए थे. सूत्रों के अनुसार,  पारा की जमानत को एनआईए द्वारा उच्च न्यायालय में चुनौती दिए जाने की संभावना है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रिहा होने के बाद जिला जेल से बाहर आए पारा को एक सुरक्षा एजेंसी के लोग अपने साथ ले गए, लेकिन तत्काल यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि वह किसी अन्य मामले में वांछित हैं या पूछताछ के लिए हिरासत में लिए गए हैं.

पीडीपी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पारा को ‘फिर से हिरासत में लिए जाने’ पर चिंता जताई और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से उनकी सुरक्षित रिहाई के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया.

महबूबा ने ट्वीट किया, ‘एनआईए अदालत द्वारा अदालती कार्यवाही के बाद वहीद पारा को जमानत दिए जाने के बावजूद अब उन्हें जम्मू में सीआईके ने हिरासत में लिया है. किस कानून के तहत और किस अपराध में उन्हें गिरफ्तार किया गया है? यह अदालत की खुली अवमानना है. मनोज सिन्हा जी से आग्रह है कि वह हस्तक्षेप करें, जिससे कि न्याय सुनिश्चित हो.’

पारा को पुलवामा और पास के शोपियां जिले में तब युवाओं के लिए मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होने के वास्ते प्रमुख प्रेरक माना जाता था, जब आतंकवाद वहां फिर से अपना सिर उठा रहा था.

साल 2016 से 2018 तक जम्मू कश्मीर खेल परिषद के सचिव के रूप में पारा ने पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य के हिस्सों में खेलों के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाई थी, जिसमें लद्दाख क्षेत्र भी शामिल था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)