कोर्ट की हिदायत, धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश की आड़ में विवाहित युवक-युवती को परेशान न करे पुलिस

तीन साल पहले अंतर धार्मिक विवाह करने वाले युवक-युवती ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल में धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश लागू किए जाने के बाद से अमेठी पुलिस उन्हें प्रताड़ित कर रही है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

तीन साल पहले अंतर धार्मिक विवाह करने वाले युवक-युवती ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल में धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश लागू किए जाने के बाद से अमेठी पुलिस उन्हें प्रताड़ित कर रही है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अमेठी पुलिस को अंतरधार्मिक विवाह करने वाले एक दंपति को अवैध धर्मांतरण अध्यादेश की आड़ में प्रताड़ित न करने की बृहस्पतिवार को सख्त हिदायत दी.

जस्टिस आरआर अवस्थी और जस्टिस सरोज यादव की पीठ ने चांदनी नामक महिला तथा उनके पति द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.

अदालत ने पुलिस अधिकारियों से 2017 में अपहरण के आरोपों में लड़की के परिवार द्वारा उसके पति और अन्य के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की आड़ में उत्पीड़न रोकने के लिए कहा है.

तीन साल पहले उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के कमरौली थाने में आईपीसी की धारा 363 (अपहरण) और धारा 366 (किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध विवाह करने के लिए विवश करने या विवाह के लिए उस महिला का अपहरण करने का अपराध) के तहत केस दर्ज किया गया था.

याचिकाकर्ता के वकील एके पांडे ने मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि चांदनी और उनके पति की तीन साल पहले शादी हुई थी और उनका डेढ़ साल का एक बच्चा भी है.

वकील ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल में धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश लागू किए जाने के बाद पुलिस ने चांदनी के पिता द्वारा उनके पति तथा अन्य के खिलाफ विवाह के लिए अपहरण करने के आरोप में दर्ज कराई गई प्राथमिकी की आड़ में अब दंपति को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया है.

इस पर पीठ ने पुलिस को हिदायत देते हुए कहा कि वह दंपति को प्रताड़ित न करे. अदालत में राज्य सरकार को इस मामले में बुधवार से एक हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश भी दिए हैं.

मालूम हो कि उत्‍तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्‍यादेश, 2020 लाने के बाद से राज्य में कई सारे ऐसे मामले देखने को मिले जहां पुलिस प्रशासन द्वारा इस कानून के तहत हिंदू-मुस्लिम दंपत्ति को प्रताड़ित किया गया, कई सारी गिरफ्तारियां हुईं और कट्टरवादी हिंदू संगठनों द्वारा ऐसे युवक-युवतियों एवं उनके परिजनों को डराने-धमकाने के भी मामले सामने आए हैं.

प्रदेश की योगी सरकार का दावा है कि ये कानून तथाकथित ‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए लाया गया है और इसे लेकर कानून बनाने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य है.

लव जिहाद हिंदूवादी संगठनों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली शब्दावली है, जिसमें कथित तौर पर हिंदू महिलाओं को जबरदस्ती या बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम व्यक्ति से उसका विवाह कराया जाता है.

इस अध्यादेश के तहत शादी के लिए छल-कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन कराए जाने पर अधिकतम 10 साल के कारावास और जुर्माने की सजा और 15,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है, जबकि नाबालिगों और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की महिला के मामले में तीन से 10 वर्ष तक की कैद और 25,000 रुपये जुर्माने की होगी.

इसके अलावा सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में तीन से दस साल तक की कैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25