अमेरिका: ग़ैर-अमेरिकियों को अलग करने की एनपीआर-एनआरसी जैसी ट्रंप की योजना को बाइडन ने पलटा

राष्ट्रपति जो बाइडन ने पद संभालते ही 17 कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए. इनमें पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते में पुन: शामिल होने, विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका को बाहर होने से रोकने, मुस्लिम देशों से लोगों की यात्रा पर प्रतिबंध को हटाने और मेक्सिको सीमा पर दीवार निर्माण को तत्काल रोकना आदि शामिल हैं.

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन. (फोटो: रॉयटर्स)

राष्ट्रपति जो बाइडन ने पद संभालते ही 17 कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए. इनमें पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते में पुन: शामिल होने, विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका को बाहर होने से रोकने, मुस्लिम देशों से लोगों की यात्रा पर प्रतिबंध को हटाने और मेक्सिको सीमा पर दीवार निर्माण को तत्काल रोकना आदि शामिल हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन. (फोटो: रॉयटर्स)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन. (फोटो: रॉयटर्स)

वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पदभार संभालते ही 17 कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें से कुछ पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अहम विदेश नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कुछ फैसलों को पलटने वाले हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, 17 कार्यकारी आदेशों, ज्ञापनों और घोषणाओं में से एक में ट्रंप के उस फैसले को भी वापस लिया गया जिसमें अमेरिकी जनगणना से गैर-अमेरिकी नागरिकों को अलग करने का आदेश दिया गया था.

इसका अर्थ यह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के केंद्र में (खास तौर पर 9/11 हमले के बाद) होने के बावजूद अमेरिका एक ऐसा देश बना रहेगा जो अपने नागरिकों की कोई सूची नहीं तैयार करेगा और इससे उसे यह पता नहीं चलेगा कि उसके कितने रहवासी अमेरिकी नागरिक हैं.

दरअसल, ट्रंप प्रशासन के रहवासियों के बजाय अमेरिकी नागरिकों की गिनती की योजना तैयार करने से डेटा के दुरुपयोग की आशंका जताई जता रही थी. यह आशंकाएं बिल्कुल उसी तरह से थीं जिसमें बहुत से भारतीयों का मानना था कि नरेंद्र मोदी सरकार की राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की योजना के कारण इकट्ठा किए जाने वाले आंकड़ों का अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर मुस्लिमों के खिलाफ दुरुपयोग किया जाएगा.

साल 2019 के मध्य में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने जनगणना के प्रश्नोत्तरों में नागरिकता का सवाल जोड़े जाने पर ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के स्पष्टीकरण से असंतुष्टि जताते हुए इस योजना पर रोक लगा दी थी.

अदालत ने कहा था कि जब तक सरकार बेहतर स्पष्टीकरण नहीं देती, वह बदलाव को लागू नहीं कर सकती.

जैसा कि द वायर  ने पहले भी रिपोर्ट किया था कि अमेरिकी सरकार ने दावा किया था कि नागरिकों के डेटाबेस से मतदाता अधिकार कानून को लागू करने में मदद मिलेगी ठीक उसी तरह से भारत सरकार का दावा है कि एनपीआर और एनआरसी कल्याणकारी योजनाओं के वितरण में सुधार करेंगे.

हालांकि, दोनों सरकारों के नेताओं द्वारा दिए गए बयानों से संदेह पैदा हुआ था और सवाल उठा था कि क्या वास्तव में सरकार की मंशा यही है.

अमेरिका में तो इसके दुष्परिणामों को सामने रखने के लिए ऐतिहासिक साक्ष्य भी मौजूद थे. नागरिक समाज के लोगों और चार जापानी-अमेरिकी लोगों के वकीलों द्वारा अक्टूबर, 2018 में अदालत में दायर एक हलफनामे में बताया गया था कि किस तरह से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल करके जापानी-अमेरिकी नागरिकों को बड़ी संख्या में हिरासत में लिया गया था.

वहीं, दिसंबर, 2019 में भारत सरकार ने एनपीआर को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू की थी जो विवादित एनआरसी के लिए एक आधार तैयार करती. सरकार ने इसके लिए 3,941 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था.

हालांकि, कोरोना वायरस महामारी के कारण यह अभ्यास रुक गया और इसके साथ ही देश भर में होने वाले नागरिकता संशोधन विरोधी कानून-एनआरसी-एनपीआर विरोध पर भी लगाम लग गई.

हालांकि, कुछ राज्य सरकारों ने कहा था कि वे केंद्रीय के मनमाने आदेश की अवहेलना करते हुए एनपीआर को लागू नहीं करेंगे, क्योंकि यह कार्य जनगणना डेटा संग्रह के साथ में होना था.

इसके अलावा इन कार्यकारी आदेशों में पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते में पुन: शामिल होने, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से अमेरिका को बाहर होने से रोकने, मुस्लिम देशों से लोगों की यात्रा पर प्रतिबंध को हटाने और मैक्सिको सीमा पर दीवार निर्माण को तत्काल रोकना आदि शामिल हैं.

बाइडन ने बुधवार को कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर के बाद व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में संवाददाताओं से कहा, ‘मैं आज के कार्यकारी कदमों से गौरवान्वित हूं, और मैंने अमेरिका की जनता से जो वादा किया किया था, उन्हें मैं पूरा करने जा रहा हूं, अभी लंबी यात्रा करनी है. ये बस कार्यकारी आदेश हैं. वे जरूरी हैं, लेकिन जो हम करने वाले हैं उनके लिए हमें विधेयकों की जरूरत पड़ेगी.’

राष्ट्रपति ने कहा कि आने वाले दिनों में वह और कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करने वाले हैं.

बाइडन का पहला कार्यकारी आदेश 100 दिन मास्क लगाने वाला था, जिसमें देश की जनता से 100दिन तक मास्क लगाने की अपील की गई है.

व्हाउट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने बुधवार को अपनी पहली प्रेस वार्ता में कहा कि बाइडन ने 17 कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए हैं.

उन्होंने संवाददाताओं को इन आदेशों से पड़ने वाले प्रभावों के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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