अरुणाचल प्रदेश: छात्र संगठन ने चीनी गांव को लेकर में प्रदर्शन किया, केंद्र पर निशाना साधा

हाल ही में चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के विवादित क्षेत्र में एक नया गांव बसाने का मामला सामने आया है. यह गांव प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी ज़िले में त्सारी नदी के तट पर स्थित एक ऐसे क्षेत्र में है, जो भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवादित है. छात्र संगठन ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार राज्य को विदेशी घुसपैठ से बचाने में विफल रही है.

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अरुणाचल प्रदेश में अगस्त 2019 और नवंबर, 2020 की सैटेलाइट तस्वीरें. (फोटो साभार: एनडीटीवी)

हाल ही में चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के विवादित क्षेत्र में एक नया गांव बसाने का मामला सामने आया है. यह गांव प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी ज़िले में त्सारी नदी के तट पर स्थित एक ऐसे क्षेत्र में है, जो भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवादित है. छात्र संगठन ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार राज्य को विदेशी घुसपैठ से बचाने में विफल रही है.

अरुणाचल प्रदेश में अगस्त 2019 और नवंबर, 2020 की सैटेलाइट तस्वीरें. (फोटो साभार: एनडीटीवी)
अरुणाचल प्रदेश में अगस्त 2019 और नवंबर, 2020 की सैटेलाइट तस्वीरें. (फोटो साभार: एनडीटीवी)

ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले में चीन द्वारा कथित तौर पर गांव बसाए जाने को लेकर छात्र संगठन ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन ने बृहस्पतिवार को प्रदर्शन किया है.

राज्य के शीर्ष छात्र संगठन की विभिन्न इकाइयों और समुदाय आधारित संगठनों ने राजधानी ईटानगर के इंदिरा गांधी पार्क पर धरना दिया और केंद्र से इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने की मांग की.

इस दौरान बैनर एवं तख्तियां लिए लोगों ने चीन की इस हरकत की निंदा की और केंद्र पर पूरे मामले को लेकर चुप्पी साधने का आरोप लगाया.

यूनियन के अध्यक्ष हावा बगांग ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्य को विदेशी घुसपैठ से बचाने में विफल रही है.

उन्होंने कहा, ‘अगर केंद्र सरकार अनुमति देती है तो छात्र संगठन चीनी सेना के खिलाफ लड़ने को तैयार है.’

बगांग ने राज्य के सांसदों से भी ऐसे मुद्दों पर मुखर होने का अनुरोध किया, जो अरुणाचल प्रदेश और इसके लोगों के हितों से संबंधित हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह विकास के पैकेज जारी करे और सीमावर्ती राज्य में सैन्य तैनाती बढ़ाने के अलावा सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क और दूरसंचार कनेक्टिविटी स्थापित करे.

छात्र यूनियन के महासचिव तोबाम दाई ने कहा कि राज्य के लोग इस तरह के गंभीर मुद्दों के प्रति केंद्र के अड़ियल रवैये से निराश हैं.

दाई ने कहा कि यह कहते हुए कि राज्य के क्षेत्र पर चीन का दावा एक पुराना मुद्दा है, मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया. उन्होंने इसके लिए पूर्व में कांग्रेस और अब भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकारों को दोषी ठहराया.

इससे पहले बीते 23 जनवरी को अरुणाचल प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं ने चीन द्वारा सुबनसिरी जिले में एक गांव के निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन किया था और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का पुतला जलाया था.

बता दें कि बीते 18 जनवरी को सैटेलाइट आधारित तस्वीरों के जरिये एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के विवादित क्षेत्र में एक नया गांव बसाया है और इसमें करीब 101 घर हैं.

यह गांव ऊपरी सुबनसिरी जिले में त्सारी नदी के तट पर स्थित एक ऐसे क्षेत्र में है, जो भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवादित है और इसे सशस्त्र संघर्ष द्वारा चिह्नित किया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 1 नवंबर 2020 को खींची गईं तस्वीरों का विभिन्न विशेषज्ञों ने विश्लेषण किया है. जिन्होंने पुष्टि की है कि निर्माण भारतीय सीमा के भीतर करीब 4.5 किलोमीटर में किए गए हैं. इससे पहले 26 अगस्त 2019 की तस्वीरों में यहां कोई निर्माण गतिविधि नजर नहीं आती है.

सरकारी मानचित्र के अनुसार, हालांकि यह क्षेत्र भारतीय क्षेत्र में है, लेकिन 1959 से यह चीनी नियंत्रण में है. शुरुआत में यहां सिर्फ चीन की एक मिलिट्री पोस्ट थी, लेकिन इस समय एक पूरा गांव बसा दिया गया है, जिसमें हजारों लोग रह सकते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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