तीन साल में यौन उत्पीड़न, घृणा से जुड़े साइबर अपराध के 93 हज़ार से अधिक मामले आए: गृह राज्य मंत्री

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में बताया कि इंटरनेट का उपयोग बढ़ने के साथ ही साइबर अपराध की संख्या में भी वृद्धि हो रही है. उन्होंने कहा कि देश में होने वाले साइबर अपराध के पीछे जो मंशा रही है, उनमें व्यक्तिगत शत्रुता, धोखाधड़ी, यौन उत्पीड़न, घृणा फैलाना, पायरेसी का विस्तार, सूचनाओं की चोरी आदि शामिल हैं.

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी. (फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में बताया कि इंटरनेट का उपयोग बढ़ने के साथ ही साइबर अपराध की संख्या में भी वृद्धि हो रही है. उन्होंने कहा कि देश में होने वाले साइबर अपराध के पीछे जो मंशा रही है, उनमें व्यक्तिगत शत्रुता, धोखाधड़ी, यौन उत्पीड़न, घृणा फैलाना, पायरेसी का विस्तार, सूचनाओं की चोरी आदि शामिल हैं.

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी. (फोटो: पीटीआई)
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को कहा कि देश में 2017 से 2019 के बीच धोखाधड़ी, यौन उत्पीड़न और घृणा से जुड़े साइबर अपराध के 93 हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए.

गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इंटरनेट का उपयोग बढ़ने के साथ ही साइबर अपराध की संख्या में भी वृद्धि हो रही है.

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो द्वारा संकलित एवं प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, 2017 में 21,796, 2018 में 27,248 तथा 2019 में 44,546 साइबर अपराध मामले दर्ज किए गए.

रेड्डी ने कहा, ‘देश में होने वाले साइबर अपराध के पीछे जो विभिन्न मंशा रही है, उनमें व्यक्तिगत शत्रुता, धोखाधड़ी, यौन उत्पीड़न, घृणा फैलाना, पायरेसी का विस्तार, सूचनाओं की चोरी आदि शामिल हैं.’

मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य के ͪविषय हैं तथा साइबर अपराध सहित अपराध की रोकथाम करने, उनका पता लगाने, जांच और अभियोजन के लिए प्राथमिक रूप से राज्य जिम्मेदार हैं. विधि प्रवर्तन एजेंसियां साइबर अपराध करने वालों के विधिक कानून के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई करती हैं.

यह भी बताया गया कि केंद्र सरकार ने महिलाओं और बच्चों के प्रति होने वाले साइबर अपराधों पर विशेष बल देते हुए नागरिकों को सभी प्रकार के साइबर अपराधों से संबंधित शिकायतों की रिपोर्ट दर्ज करने में सक्षम बनाने के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) भी शुरू किया है.

इससे संबंधित सवाल कर्नाटक से राज्यसभा सदस्य केसी रामामूर्ति द्वारा पूछा गया था. उन्होंने पूछा था कि देश में साइबर अपराध रोकने के लिए सरकार की ओर से कौन से कदम उठाए गए हैं और कौन से उठाए जाने बाकी हैं?

उन्होंने यह भी पूछा था कि साइबर अपराधों को कम करने के लिए सरकार की ओर से कौन से प्रयास किए जा रहे हैं और इनमें से कितनी घटनाएं सीमापार की हैं?

बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में नेशनल साइबर सिक्योरिटी समन्वयक लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ.) राजेश पंत ने बताया था कि साल 2019 में देश में साइबर अपराधों से 1.25 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

उन्होंने कहा था कि कहा कि आने वाले दिनों में साइबर सुरक्षा को लेकर खतरे बढ़ेंगे, क्योंकि देश स्मार्ट शहर विकसित करने के साथ 5जी नेटवर्क समेत अन्य क़दम उठा रहा है.

वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग को 2020 में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा के संबंध में 23,722 शिकायतें मिलीं, जो पिछले छह वर्षों में सबसे ज्यादा हैं.

आंकड़ों के अनुसार 1,276 शिकायतें महिलाओं के प्रति पुलिस की उदासीनता और 704 शिकायतें साइबर अपराध की हैं. वहीं, 1,234 शिकायतें बलात्कार या बलात्कार की कोशिश की मिली हैं, जबकि यौन उत्पीड़न की 376 शिकायतें 2020 में मिलीं.

बता दें कि अगस्त महीने में संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि पूरे दुनिया में वैश्विक महामारी के दौरान साइबर अपराधों में 350 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद रोधी कार्यालय के प्रमुख ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि साइबर अपराधों में जालसाजी करने वाली साइटों में जबरदस्त वृद्धि हुई है. ज्यादातर ने अस्पतालों व स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को निशाना बनाया और कोविड-19 वैश्विक महामारी की दिशा में काम को बाधित किया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)